दिल्ली ब्लास्ट: लाल किले के पास गूंजा धमाका, 8 लोगों की मौत, सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप
दिल्ली के लाल किले के पास जोरदार धमाका, कार में ब्लास्ट के बाद लगी आग से 8 लोगों की मौत और 24 घायल। देशभर में सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप, मुंबई, यूपी और उत्तराखंड में हाई अलर्ट जारी।
दिल्ली ब्लास्ट: लाल किले के पास गूंजा धमाका, 8 लोगों की मौत, सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप
दिल्ली का दिल कहे जाने वाला लाल किला आज एक बार फिर दहशत के साए में आ गया। कार में हुए जोरदार धमाके ने पलभर में सन्नाटा फैला दिया। पास खड़ी तीन और गाड़ियाँ आग की लपटों में घिर गईं। सड़क पर अफरा-तफरी, धुएँ का गुबार और लोगों की चीखें — वो नज़ारा जिसने राजधानी की रफ्तार को कुछ मिनटों के लिए रोक दिया।
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घटना का मंजर: लाल किले के पास हड़कंप
यह सब शाम करीब साढ़े छह बजे हुआ, जब सड़क पर रोज की तरह ट्रैफिक था। एक सफेद SUV से धुआँ उठा और देखते ही देखते ज़ोरदार धमाका हुआ। आसपास खड़ी गाड़ियों में आग लग गई। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक 8 लोगों की मौत और 24 से ज़्यादा घायल हैं। कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मुंबई, यूपी और उत्तराखंड में हाई अलर्ट
जैसे ही धमाके की खबर फैली, दिल्ली पुलिस, NIA और NSG की टीमें मौके पर पहुँचीं। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका — देश के कई हिस्सों में अलर्ट जारी कर दिया गया। मुंबई, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। रेलवे स्टेशन, मेट्रो और बाजारों में तलाशी अभियान चल रहा है।
लोगों के मन में डर, सवाल और गुस्सा
जो लोग उस वक्त वहाँ मौजूद थे, उनकी आँखों में अब भी वो मंजर ताजा है। एक दुकानदार ने कहा, “ऐसा लगा जैसे ज़मीन हिल गई। चारों तरफ बस धुआँ था।” किसी ने मदद के लिए दौड़ लगाई, तो कोई वीडियो बनाने लगा — यही है आज का डर और हकीकत दोनों।
व्यक्तिगत नज़रिया: हादसे नहीं, चेतावनी हैं
मैंने 10 साल पहले दिल्ली में एक छोटा सा गैस सिलेंडर ब्लास्ट देखा था — कोई बड़ा हादसा नहीं था, लेकिन वो पल मुझे अब तक याद है। लोग पहले तो बस तमाशा देखते हैं, फिर गुस्सा करते हैं, और कुछ दिन बाद भूल जाते हैं। यही चक्र बार-बार दोहराया जाता है। सवाल ये है कि क्या इस बार भी हम वही गलती करेंगे?
सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन जब तक सुरक्षा व्यवस्था ज़मीन पर मज़बूत नहीं होती, ऐसे हादसे सिर्फ आंकड़े नहीं, सबक बनकर सामने आते रहेंगे। और ये सबक हर बार भारी कीमत लेकर आता है — किसी का बेटा, किसी का पिता, किसी की ज़िंदगी।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए परीक्षा
अब मामला केवल ‘कौन जिम्मेदार है’ तक सीमित नहीं रह गया है। यह देश के सुरक्षा तंत्र की परीक्षा है। जब दिल्ली जैसी हाई-सेक्योरिटी ज़ोन में ऐसी घटना हो सकती है, तो बाकी शहरों की सुरक्षा का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं।
आखिरी बात: आग सिर्फ कार में नहीं लगी, भरोसे में भी लगी है
कभी-कभी हादसे हमें याद दिलाते हैं कि “सुरक्षा सिर्फ व्यवस्था की नहीं, जागरूकता की भी जिम्मेदारी है।” ये धमाका केवल एक जगह पर नहीं हुआ — इसने उस भरोसे को भी झटका दिया है जो हम हर दिन अपने आस-पास के माहौल पर रखते हैं। अब वक्त है, जागने का — वरना हर हादसा बस एक खबर बनकर रह जाएगा।
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