दिल्ली की हवा आज फिर डर से भारी हो गई। लाल किले के पास उस जगह पर, जहां रोज सैकड़ों लोग आते-जाते हैं, अचानक एक कार में तेज धमाका हुआ। आवाज इतनी जबरदस्त थी कि आस-पास की खिड़कियां तक हिल गईं। कुछ ही सेकंड में आग की लपटें उठीं और तीन-चार गाड़ियाँ जलकर राख हो गईं। शुरुआती जानकारी के मुताबिक 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से ज़्यादा घायल हैं। पर असली डर यह है कि अभी भी आंकड़ा बढ़ सकता है।
दिल्ली के दिल में धमाका — डर, अफरातफरी और सवाल
लाल किला सिर्फ एक स्मारक नहीं है, यह दिल्ली का दिल है। ऐसे में जब उसके पास धमाका होता है, तो सिर्फ दिल्ली नहीं, पूरा देश हिल जाता है। मैं खुद कई बार उस रूट से गुजरा हूँ — वही मथुरा रोड, वही लाल किले की पार्किंग के पास का इलाका। दिमाग में बस एक ही बात घूम रही है, “अगर मैं आज वहाँ होता तो?” ऐसी सोच ही रोंगटे खड़े कर देती है।

गृहमंत्री की तुरंत प्रतिक्रिया — सख्त एक्शन की तैयारी
खबर सामने आते ही गृहमंत्री ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से बात की और पूरी रिपोर्ट तलब की। NIA और NSG की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं। आसपास के CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं, जबकि दिल्ली के सभी प्रमुख इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पर सबसे अहम बात ये है कि लोगों के बीच डर का माहौल साफ दिख रहा है।
याद आ गया पुराना वाकया...
2011 का वो दिन याद है जब दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाका हुआ था। तब भी मैंने खुद अपने दोस्तों को फोन करके हाल जाना था। वही बेचैनी, वही डर आज फिर लौट आया है। फर्क बस इतना है कि अब तकनीक बढ़ गई है, पर इंसानी भरोसा उतना ही कमजोर दिखता है।
दिल्ली, मुंबई और यूपी में हाई अलर्ट — डर फैलाने की कोशिश?
मुंबई, यूपी और उत्तराखंड में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो घूम रहे हैं, जिनमें लोग अपनी गाड़ियाँ छोड़कर भागते दिख रहे हैं। ये सिर्फ एक धमाका नहीं, ये सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी परीक्षा है। सवाल ये उठता है कि लाल किले जैसी जगह पर, जहाँ हर समय पुलिस तैनात रहती है, वहाँ कोई विस्फोटक कार तक पहुँची कैसे?
आम आदमी की आवाज — “अब भरोसा किस पर करें?”
पास में रहने वाले लोगों से बात की तो किसी ने कहा “भैया, पहले डर नहीं लगता था बाहर निकलने में, अब लगता है।” यही है असली नुक़सान। धमाके सिर्फ जान नहीं लेते, वे लोगों के भीतर का सुकून भी मार देते हैं। और यही बात सबसे ज़्यादा चुभती है।
निष्कर्ष नहीं, एक भावना...
ऐसी घटनाएँ हमें बार-बार याद दिलाती हैं कि सुरक्षा सिर्फ पुलिस की नहीं, हम सबकी ज़िम्मेदारी है। दिल्ली फिर खड़ी होगी, जैसे हर बार होती आई है — पर इस बार ज़ख्म थोड़ा गहरा है।


