कार में आग लगने पर क्या करें: दिल्ली हादसे से मिली कड़वी सीख
कभी-कभी ज़िंदगी इतनी तेज़ी से चलती है कि हमें यह एहसास ही नहीं होता कि कब कोई छोटी-सी लापरवाही बड़ा हादसा बन जाती है। दिल्ली के लालकिले के पास हाल ही में जो हुआ, उसने यही याद दिलाया कि कार में आग या विस्फोट कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि हकीकत भी हो सकता है।
कार में आग लगना इतना आसान क्यों होता है?
देखिए, कार एक बंद बॉडी होती है जिसमें फ्यूल, इलेक्ट्रिक वायरिंग, इंजन की गर्मी और हवा का दबाव – सब साथ काम करते हैं। ज़रा सी वायरिंग की गलती, लीक होता ईंधन, या ओवरहीटेड इंजन – और बस, कुछ सेकंड में सब बदल सकता है। कई बार लोगों को लगता है कि “मेरे साथ तो ऐसा नहीं होगा”, लेकिन यही सोच सबसे बड़ी भूल बनती है।

पहला कदम: खुद को और दूसरों को निकालिए
अगर आपकी कार में धुआं उठना शुरू हो जाए तो सोचिए मत — बस तुरंत बाहर निकल जाइए। खुद को और बाकी यात्रियों को बाहर निकालें, और गाड़ी से कम से कम 30-40 मीटर दूर रहें। बहुत लोग डर की वजह से इंजन बंद करने या सामान निकालने में वक्त गवां देते हैं, लेकिन असल में वो वक्त आपकी ज़िंदगी बचा सकता है।
दूसरा कदम: फायर एक्सटिंग्विशर हमेशा रखें
यह छोटी चीज़ कई बड़ी जिंदगियां बचा सकती है। आजकल कारों में छोटे ABC टाइप फायर एक्सटिंग्विशर आसानी से फिट हो जाते हैं। एक बार मैंने खुद देखा था कि जयपुर में एक Swift कार के बोनट से धुआं उठने लगा। ड्राइवर ने तुरंत एक्सटिंग्विशर निकाला और कुछ ही सेकंड में आग काबू में कर ली। अगर वो देरी करता तो पूरी गाड़ी जल चुकी होती।
तीसरा कदम: मोबाइल और पब्लिक अलर्ट का इस्तेमाल
आजकल हर किसी के पास स्मार्टफोन है। कार में आग लगते ही पुलिस या फायर ब्रिगेड को कॉल करें, या आसपास के लोगों को मदद के लिए पुकारें। कई बार भीड़ सिर्फ तमाशा देखने के लिए रुक जाती है — लेकिन अगर किसी को तुरंत बुलाया जाए तो वो पहला मिनट फर्क डाल देता है।
एक पुराना सबक, जो आज फिर याद आया
मुझे याद है, 2018 में जब दिल्ली की सर्दियों में एक पुरानी WagonR में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी, तो वहां मौजूद एक दुकानदार ने अपनी बाइक से रेत लाकर आग बुझाई थी। तब से मैंने अपनी गाड़ी में एक छोटा फायर एक्सटिंग्विशर रखना शुरू किया। लोग हंसते थे कि “तू क्या फायरमैन है?”, लेकिन मुझे पता था — हादसा पूछकर नहीं आता।
सरकार और लोगों की जिम्मेदारी दोनों
अब वक्त है कि नगर निकाय और ट्रैफिक विभाग पार्किंग ज़ोन में फायर हाइड्रेंट या मिनी फायर स्टेशन जैसी सुविधा बनाएं। वहीं, आम लोगों को भी यह समझना होगा कि गाड़ी में ईंधन भरवाते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल, धूप में पार्किंग, या बार-बार इग्निशन ऑन-ऑफ करना खतरनाक हो सकता है।
नतीजा क्या?
दिल्ली की ये घटना एक चेतावनी है — सिर्फ गाड़ियों के लिए नहीं, हमारे रवैये के लिए भी। हमें ‘कुछ नहीं होगा’ की सोच से बाहर निकलना होगा। सुरक्षा कोई ऑप्शन नहीं, ज़रूरत है। अगली बार जब आप गाड़ी स्टार्ट करें, तो बस एक नज़र डाल लें — फ्यूल कैप सही बंद है, वायरिंग सुरक्षित है, और एक्सटिंग्विशर अपनी जगह पर है। शायद वही छोटी सी आदत, किसी की जान बचा ले।


