AAP नेता पर ED की कार्रवाई 13 ठिकानों पर बड़ी छापेमारी
दिल्ली में स्वास्थ्य विभाग घोटाले की जांच सौरभ भारद्वाज के घर समेत 13 ठिकानों पर ईडी ने मारा छापा
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के घर समेत 13 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई अस्पताल निर्माण से जुड़े कथित घोटाले की जांच के तहत की जा रही है।ईडी अधिकारियों के अनुसार, इस छापेमारी का संबंध अस्पताल निर्माण में अनियमितताओं और धन शोधन से जुड़ी जांच से है। जांच टीम ने दिल्ली और आसपास के 13 ठिकानों पर दस्तावेज और अन्य साक्ष्य जब्त किए हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ी हुई तो नहीं।
बीते साल 2024 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वास्थ्य विभाग में कथित भ्रष्टाचार की जांच को मंजूरी दी थी। यह जांच भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के बाद शुरू हुई। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन ने मिलकर स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया। आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन ईडी की कार्रवाई ने मामले की गंभीरता को और स्पष्ट कर दिया है।
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अस्पताल निर्माण में कथित गड़बड़ी
जांच में सामने आया है कि साल 2018-19 में दिल्ली में कुल 24 अस्पताल परियोजनाओं के लिए 5,590 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। इनमें 11 नई (ग्रीनफील्ड) और 13 पुराने (ब्राउनफील्ड) अस्पताल परियोजनाएं शामिल थीं। आरोप है कि इन परियोजनाओं में भारी हेराफेरी और अनियमितताएं हुईं।विशेष रूप से, सात आईसीयू अस्पतालों की परियोजनाओं (कुल बिस्तर क्षमता 6,800) को सितंबर 2021 में छह महीने के भीतर पूर्ण करने के लिए 1,125 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। लेकिन तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सिर्फ 50 प्रतिशत काम पूरा हुआ।
लोकनायक अस्पताल की नई ब्लॉक परियोजना के लिए 465.52 करोड़ रुपये की लागत तय की गई थी, लेकिन चार साल में इसमें 1,125 करोड़ रुपये खर्च हुए। पॉलीक्लिनिक परियोजना के लिए 94 पॉलीक्लिनिक बनाने के लिए 168.52 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए, लेकिन सिर्फ 52 पॉलीक्लिनिक तैयार किए गए और खर्चा बढ़कर 220 करोड़ रुपये हो गया।
वित्तीय लेन-देन और प्रशासनिक विफलताएं
स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली को लागू करने में भी एक दशक से अधिक समय लग गया। इसमें वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता का अभाव देखा गया। जांच में यह भी सामने आया कि मंत्रियों ने एनआईसी की ई-हॉस्पिटल प्रणाली सहित कई लागत प्रभावी समाधानों को बार-बार खारिज किया। इस वजह से अस्पताल निर्माण की लागत बढ़ी और परियोजनाओं में देरी हुई।विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की अनियमितताएं सिर्फ वित्तीय नुकसान ही नहीं करती, बल्कि मरीजों और आम जनता की सुविधा और स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्रभावित करती हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
छापेमारी के बाद आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर आरोपों का खंडन किया और कहा कि ईडी की कार्रवाई राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं है। वहीं, विपक्ष ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और जांच को त्वरित और पारदर्शी तरीके से पूरा किया जाना चाहिए।ईडी की यह कार्रवाई अस्पताल निर्माण घोटाले की गंभीरता को दिखाती है और यह साफ संकेत देती है कि जांच एजेंसियां किसी भी राजनीतिक दबाव के बिना वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही हैं।
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