Delhi : का खौफनाक सच माया गैंग और उसके सरगना माया भाई की कहानी

दिल्ली का अपराध जगत हमेशा से नए गैंगस्टरों और खौफनाक कहानियों से भरा रहा है। हाल ही में पकड़े गए माया गैंग के सरगना समीर उर्फ माया भाई की कहानी पूरी तरह से फिल्मी है। कब्रिस्तान में बैठकर मीटिंग करना और मौत का टैटू बनवाना उसके डर की पहचान बन गया। इस गैंग ने कई हत्याएं करके आतंक फैलाया और आज भी यह सवाल बना हुआ है कि क्या माया गैंग अब खत्म हो जाएगा या फिर लौटेगा।

Delhi : का खौफनाक सच माया गैंग और उसके सरगना माया भाई की कहानी

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    दिल्ली पुलिस ने हाल ही में एक बड़े अभियान के तहत कुख्यात माया गैंग के सरगना समीर उर्फ माया भाई को गिरफ्तार कर लिया। यह गैंग पिछले कई सालों से राजधानी और आसपास के इलाकों में खून से सनी वारदातों को अंजाम देता आ रहा था। माया भाई का नाम सुनकर ही इलाके के लोग खौफ से कांप उठते थे क्योंकि वह अपनी पहचान बनाने के लिए हत्या और डर का खेल खेलता था।

     

    फिल्मों जैसे हथकंडों से बना नाम और पहचान

    समीर ने अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद अपने आपको एक अलग अंदाज़ में पेश किया। उसने खुद को गैंगस्टर की तरह नहीं बल्कि फिल्मों जैसी छवि वाले अपराधी की तरह दिखाना शुरू किया। उसके हाथों पर बना 'मौत' का टैटू इलाके में चर्चाओं का विषय बन गया। इतना ही नहीं, उसने अक्सर कब्रिस्तान में बैठकर अपने गैंग के साथ मीटिंग की ताकि लोगों में यह संदेश जाए कि वह मौत से नहीं डरता बल्कि मौत के साथ जीता है। यही फिल्मी अंदाज़ उसे युवाओं के बीच चर्चित बनाता रहा।

    Delhi : का खौफनाक सच माया गैंग और उसके सरगना माया भाई की कहानी

    पुराने गैंगस्टरों से अलग है माया गैंग का खेल

    दिल्ली के अपराध जगत में आमतौर पर गैंग का मकसद फिरौती वसूली, जमीन पर कब्जा और गैंगवार की धमकी देना होता है। लेकिन माया गैंग ने शुरुआत से ही हत्या और दहशत को अपना हथियार बनाया। इससे यह गैंग जल्दी ही लोगों के बीच खौफ का पर्याय बन गया। माया भाई का मानना था कि यदि सीधे-सीधे खून बहाया जाएगा, तो डर अपने आप बैठ जाएगा। इसी सोच के कारण उसने कई हत्याएं कीं और पुलिस की नजर में सबसे वांछित अपराधियों में शामिल हो गया।

    Delhi : का खौफनाक सच माया गैंग और उसके सरगना माया भाई की कहानी
    फाइल फोटो : माया गैंग का टैटू

    शुरुआत कैसे हुई माया गैंग की कहानी

    समीर उर्फ माया भाई की कहानी झुग्गी-झोपड़ियों से शुरू होती है। बचपन में ही उसने गरीबी और समाज की बेरुखी देखी। स्कूल छोड़ने के बाद दोस्तों के साथ चोरी-छिपे गलत काम करने लगा। शुरुआत में मोबाइल लूटना और छोटी चोरी करना ही उसका काम था। लेकिन धीरे-धीरे उसका झुकाव बड़ा अपराध करने की ओर हुआ और उसने अपना खुद का गैंग खड़ा कर लिया। यह गैंग तेजी से बड़ा हुआ क्योंकि समीर अपने साथियों को डर, ताकत और पैसों का लालच देकर जोड़ता चला गया।

     

    मौत को साथी बनाकर चलता था समीर माया भाई

    दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, समीर रात के समय अक्सर कब्रिस्तान में बैठता था। वहां बैठकर वह अपने गैंग के साथ योजनाएं बनाता और विरोधियों के सफाए की रणनीति तय करता। यही वजह थी कि इलाके में उसकी छवि "मौत को साथी मानने वाले" अपराधी की बन गई। यहां तक कि उसने अपने शरीर पर टैटू के जरिए यह संदेश दिया कि अब वह मौत की छाया में जीता है। ऐसे फिल्मी अंदाज़ से उसने अपने गैंग का नाम और मजबूत किया।

     

    दिल्ली की वारदातें जिसने दिला दी दहशत की पहचान

    पिछले कुछ सालों में माया गैंग ने राजधानी में कई बड़े कत्ल किए। पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, यह गैंग सीधे लोगों पर हमला करता था और कई बार सार्वजनिक जगहों पर हत्या कर देता था, ताकि इलाके के लोग उसका नाम सुनकर खौफ खाएं। इस गैंग की वारदातें अखबारों और टीवी पर सुर्खियां बनने लगीं और जल्द ही माया भाई सबसे चर्चित आपराधिक चेहरा बन गया।

     

    क्यों अलग था माया गैंग दूसरों से

    दिल्ली के पुराने गैंग जैसे भूरे, नीरज बवालिया या टिल्लू ताजपुरिया फिरौती और जमीन विवादों से जुड़े रहते थे। लेकिन माया भाई का मकसद कुछ अलग था। वह चाहता था कि लोग उसका नाम सुनते ही डर से थर-थर कांपें। यही वजह है कि उसका गैंग हत्या और हिंसा पर टिका रहा। इस खौफ से ही उसने इलाके पर कब्जा जमाने की कोशिश की।

     

    कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे फिल्मी अंदाज़ वाला अपराधी

    दिल्ली पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश में थी। तकनीक और मुखबिरों की मदद से पुलिस ने आखिरकार एक ऑपरेशन में उसे पकड़ लिया। गिरफ्तारी के समय भी समीर ने खुद को "फिल्मी स्टाइल" में पेश करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद उसकी कहानी खुलकर सामने आ गई।

     

    अब सवाल यह कि क्या होगा भविष्य में

    समीर उर्फ माया भाई की गिरफ्तारी से दिल्ली पुलिस ने राहत की सांस ली है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यही आखिरी अध्याय है? अक्सर ऐसे गैंगटसरों की गिरफ्तारी के बाद उनका गैंग छोटे स्तर पर बचा रहता है और नए नेता की तलाश करता है। माया गैंग के साथ भी यही सवाल बना हुआ है। क्या समीर के जेल जाने से यह गैंग खत्म हो जाएगा या इसके नए सरगना के रूप में कोई और सामने आएगा?

     

    फिल्मी अंदाज़ ने दिया जुर्म को नया चेहरा

    सच यह है कि समीर उर्फ माया भाई की कहानी पूरी तरह से फिल्मी लगती है, लेकिन उसके पीछे खून और खौफ का सच छिपा है। कब्रिस्तान, मौत का टैटू और फिल्मी स्टाइल उसके नकाब थे, जिनसे वह अपने अपराधों को और भी चर्चित बनाना चाहता था। लेकिन अब पुलिस की गिरफ्त में उसका चेहरा उजागर हो चुका है और लोग राहत की सांस ले रहे हैं।

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