इन दिनों वायरल इंफेक्शन दिल्ली और एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में बड़ी तेजी से फैलता जा रहा है। अस्पतालों में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, बुखार और जुकाम के मरीजों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में वायरल इंफेक्शन के मामले हर साल बढ़ते हैं, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी ज्यादा गंभीर दिखाई दे रही है। खासतौर पर छोटे बच्चे और स्कूल जाने वाले बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। कई मामलों में बड़ों को भी लंबे समय तक कमजोरी और बुखार बन रहा है।
कैसे पहचानें वायरल इंफेक्शन के लक्षण
शुरुआती दिनों में वायरल इंफेक्शन के लक्षण हल्के बुखार, गले में दर्द, नाक बहना, सिरदर्द या बदन दर्द के रूप में सामने आते हैं। बहुत से बच्चों को भूख नहीं लग रही है और वे बार-बार सुस्त हो रहे हैं। यही नहीं, कई लोगों में उल्टी, दस्त, चक्कर आना या बहुत ज्यादा खांसी भी देखने को मिल रही है। डॉक्टरों के मुताबिक अगर बुखार तीन दिन से ज्यादा हो या सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
वायरल इंफेक्शन फैलने की वजहें और रोकथाम के तरीके
इस मौसम में नमी और गंदगी की वजह से वायरल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। बारिश के बाद जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, जिससे मच्छर और अन्य कीटाणु आसानी से पनपते हैं। इतनी भीड़-भाड़ वाले शहर में लोग कई बार और जगहों पर संपर्क में आते हैं, जिससे एक संक्रमित व्यक्ति से चीजें और लोग जल्दी-जल्दी बीमार हो सकते हैं।
अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोना, बच्चों को बाहर का खाना कम करवाना और भीड़-भाड़ से दूर रखना जरूरी है। फल और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें। बीमार लोगों से जितना हो सके उतना दूरी रखें। बच्चे या बुजुर्ग अगर बीमार हैं तो स्कूल या दफ्तर भेजने से रोकें।
अस्पतालों का भारी दबाव, क्या कह रहे हैं डॉक्टर
दिल्ली और एनसीआर के हर बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों में वायरल के मरीजों की भीड़ रोज बढ़ रही है। डॉक्टर कहते हैं कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों के शरीर में प्रतिरोधक ताकत कम होती है, जिससे वह जल्दी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। परेशान करने वाली बात यह है कि कई केस में मरीज अस्पताल आने से पहले घर पर ही सामान्य दवा खाते रहते हैं, जिससे संक्रमण बढ़ जाता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि बुखार या खांसी जुकाम को हल्के में न लें और समय रहते डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
क्या है सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
दिल्ली सरकार और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार संक्रमण की निगरानी में लगी हुई हैं। स्कूलों में बच्चों को जागरूक किया जा रहा है और लोगों से मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है, भले कोरोना का खतरा कम हुआ हो। प्रशासन का कहना है कि बेट्स, क्लीनिंग और सेनिटेशन का ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि, इतनी बढ़ती भीड़ के कारण कई अस्पतालों में बेड और दवाओं की कमी भी देखी जा रही है।
घर पर इलाज के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
अगर आपका बच्चा या कोई बुजुर्ग घर पर वायरल इंफेक्शन से पीड़ित है, तो सबसे जरूरी है आराम करवाना। पानी, नारियल पानी, सूप, ताजे फल जूस देना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। तेज बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवा दें। खुद से कोई एंटीबायोटिक शुरू न करें। मरीज का अलग तौलिया और बर्तन इस्तेमाल करें। जितना हो सके साफ-सफाई का ध्यान रखें।
क्या आगे और गंभीर हो सकता है वायरस का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश के बाद सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया और लोग लापरवाह हुए, तो वायरल इंफेक्शन और फैल सकता है। इससे बड़ी संख्या में बच्चों और बुजुर्गों के लिए अस्पताल में जगह मिलना मुश्किल हो सकता है। वक्त रहते सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी से बचाव बिलकुल मुमकिन है।
अंत में – सही जानकारी और सतर्कता से ही मिलेगी सुरक्षा
साफ-सफाई और सतर्कता से ही वायरल इंफेक्शन से बचाव संभव है। बच्चों को बाहर खेलते या स्कूल भेजते समय साफ कपड़े पहनाएं, मास्क लगवाएं और उन्हें बार-बार हाथ धोने के लिए कहें। खाने-पीने की चीजें ताजी और स्वच्छ ही दें। अगर किसी भी तरह के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सही समय पर इलाज और थोड़ी सी सतर्कता से परिवार को इस बीमारी की चपेट में आने से आसानी से बचाया जा सकता है।