पूर्वी दिल्ली के पांडव नगर इलाके में बुधवार देर रात एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया। गाजियाबाद निवासी राकेश कुमार अग्रवाल, जिनकी उम्र 49 साल थी, फ्लाईओवर से गिरने के बाद नीचे से गुजर रही गाड़ियों की चपेट में आ गए। इस भयावह घटना ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया। चश्मदीदों के अनुसार, हादसा एनएच-24 फ्लाईओवर पर हुआ जहां अचानक तेज आवाज सुनाई दी और देखते ही देखते सड़क पर अफरा-तफरी मच गई। वहां मौजूद लोगों ने देखा कि फ्लाईओवर से गिरा शख्स गंभीर रूप से घायल पड़ा था और उसके पास ही एक कार और एक स्कूटर क्षतिग्रस्त मिले। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद पीसीआर वैन मौके पर पहुंची। वहां की स्थिति ऐसी थी कि हर कोई घटना को देखकर सहम गया। पुलिस ने तुरंत घायल को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस का प्रारंभिक मानना है कि राकेश अग्रवाल किसी भारी वाहन की चपेट में आने के बाद फ्लाईओवर से नीचे गिरे। हादसा देर रात का था, इसलिए सड़क पर अधिक लोग मौजूद नहीं थे। हालांकि मौके की तस्वीरें और पास लगे सीसीटीवी फुटेज से यह साफ हो गया कि यह साधारण दुर्घटना नहीं बल्कि किसी तेज रफ़्तार वाहन की टक्कर के बाद हुआ हादसा था। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस जांच और प्रारंभिक सुराग
जैसे ही सूचना मिली, पांडव नगर थाना पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और आसपास की घेराबंदी कर दी। आसपास खड़ी हुई क्षतिग्रस्त कार और स्कूटर की जांच की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि कार और स्कूटर इस दुर्घटना का हिस्सा थे या बाद में इस अफरातफरी में वहां नुकसान हुआ। लेकिन यह स्पष्ट है कि एनएच-24 फ्लाईओवर पर रात के समय रफ़्तार और भारी वाहनों की आवाजाही अक्सर हादसों का कारण बनती है।
घायलों की स्थिति और हर गाड़ी का विवरण लिखकर पुलिस ने मौके का नक्शा तैयार किया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। अब पुलिस सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर यह जानने की कोशिश कर रही है कि किस भारी वाहन ने राकेश अग्रवाल को टक्कर मारी। दुर्घटना की गुत्थी को सुलझाने में समय लगेगा क्योंकि रात के समय अक्सर फ्लाईओवर पर गाड़ियां बहुत तेज गति से निकलती हैं और कई बार वे कैमरे में नहीं आते। पुलिस की विशेष जांच टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि जांच निष्पक्ष और तेज़ी से हो ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
परिवार और स्थानीय लोगों का दुःख
गाजियाबाद निवासी राकेश अग्रवाल के निधन की खबर जैसे ही उनके परिवार और परिचितों को मिली, घर में मातम छा गया। पड़ोसी और रिश्तेदारों का कहना है कि राकेश शांत स्वभाव के व्यक्ति थे और परिवार के लिए समर्पित रहते थे। उनकी अचानक हुई मौत ने न केवल परिवार बल्कि पूरे मोहल्ले को गहरा सदमा दिया है। परिवार ने घटना की पूरी जांच और दोषी वाहन चालक की गिरफ्तारी की मांग की है।
स्थानीय लोग भी बेहद नाराज़ हैं कि रात के समय फ्लाईओवर और हाईवे पर भारी वाहनों की रफ्तार पर कोई नियंत्रण नहीं है। उनका कहना है कि ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन द्वारा समय-समय पर नियम लागू करने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सड़कों पर रात्रिकालीन निगरानी बहुत कमजोर साबित हो रही है। यह हादसा उनके लिए चेतावनी है कि यदि इस पर जल्दी लगाम नहीं लगी तो ऐसे दिल्ली पांडव नगर फ्लाईओवर हादसे बार-बार होते रहेंगे।
सड़क सुरक्षा पर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचे पर प्रश्न खड़े करती है। बार-बार कहा जाता है कि दिल्ली जैसे बड़े महानगर में ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए, लेकिन दुर्घटनाओं के आंकड़े इसके उलट कुछ और ही कहानी कहते हैं। पांडव नगर जैसे व्यस्त इलाके से होकर गुजरने वाला एनएच-24 राष्ट्रीय राजमार्ग दिन में भी काफी व्यस्त रहता है और रात में भारी वाहनों का दबदबा होता है। ऐसे में हादसों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लाईओवर पर रात के समय CCTV निगरानी और पुलिस पेट्रोलिंग को बढ़ाना जरूरी है। हादसे में जिस तरह से कार और स्कूटर भी क्षतिग्रस्त मिले, उससे यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या वहां कोई और टकराव हुआ था। यदि हां, तो क्या इन वाहनों के चालक सुरक्षित हैं, या वे घटनास्थल से भाग गए। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर जांच एजेंसियों को बहुत सतर्कता से काम करना होगा।
लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत
यह हादसा सभी लोगों को यह संदेश देता है कि सड़क पर सावधानी और सतर्कता हर पल जरूरी है। चाहे आप स्कूटर चला रहे हों या कार, या सिर्फ पैदल सड़क पार कर रहे हों, रफ्तार और सुरक्षित दूरी के नियमों का पालन जरूरी है। विशेषकर फ्लाईओवर जैसे स्थानों पर जहां रात में दृश्यता कमजोर हो जाती है, वहां हर ड्राइवर को बेहद सतर्क रहना चाहिए।
अगर ट्रैफिक पुलिस भी अपनी गश्त और कार्यशैली को थोड़ा और सजग बना ले तो कई जानें बच सकती हैं। पांडव नगर की यह घटना उन सभी ड्राइवर्स और यात्रियों के लिए सबक है जो अक्सर रफ्तार को ही अपनी ताकत समझते हैं। याद रखना जरूरी है कि सड़क पर नियमों का पालन ही जीवन का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।