Delhi Police : आतंकी मायाजाल पर तगड़ा वार की तेज कार्रवाई ने बचाई अनगिनत जानें
सुबह के सन्नाटे में टूटी शांति, राजधानी को दहला देने की थी तैयारी सुबह करीब चार बजे, जब शहर की ज़्यादातर गलियाँ सूनी थीं, दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के वायरलेस पर एक चिंताजनक संदेश गूँजा। सूचना थी कि कुछ संदिग्ध मिशन पर निकले हैं और शहर के भीड़ भरे बाज़ारों को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं। महज़ मिनटों में टीमों को तैयार किया गया और थरथराती हवा में सायरन की आवाज़ भर दी गई। इस ऐन वक़्त पर शुरू हुई जंग ने राजधानी को बड़ा हादसा देखने से बचा लिया।
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गुप्त सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी ने बदल दिया पूरा खेल
पिछले कुछ हफ़्तों से खुफिया एजेंसियाँ लगातार फोन कॉल, चैट ग्रुप और संदिग्ध ट्रांज़ैक्शन का विश्लेषण कर रही थीं। इसी दौरान एक प्रमुख हैंडल से चौंकाने वाला संदेश मिला, जिसमें “D-Day” का ज़िक्र था। इस सुराग के बाद जाँच एजेंसियों ने संदिग्धों को साये की तरह पीछा करना शुरू किया। अधिकारियों के मुताबिक यह आतंकी साजिश कई माह से रची जा रही थी, लेकिन सूचना लीक होने पर पूरी टीम को एक साथ एक्टिवेट किया गया और ऑपरेशन का ब्लूप्रिंट चंद घण्टों में तैयार हो गया।
छापेमारी की सांस रोक देने वाली कहानी, हर सेकंड पर नजर
मंगलवार की देर रात स्पेशल सेल ने उत्तरी दिल्ली के एक पुराने गोदाम को चारो ओर से घेर लिया। गोदाम का लोहे का शटर ऊपर खिसकाया गया तो अंदर स्याह अँधेरे में बैटरी की मद्धिम रोशनी चमक रही थी। कमरे में छह मेज़ें लगी थीं जिन पर तार, बैटरी, बारूद और घड़ी के पुर्ज़े बिखरे पड़े थे। टीम लीडर ने इशारे से दस्ते को दो हिस्सों में बाँटा। एक दस्ते ने बिजली काट कर अँधेरा किया, दूसरे ने दरवाज़ा तोड़ा। महज़ बीस सेकंड में पाँचों संदिग्धों को हथकड़ी लग चुकी थी। इतनी साफ़-सुथरी कार्यवाही से कोई गोली नहीं चली, न कोई धमाका हुआ।
बरामद सामग्री ने खोली बड़ी साजिश की परतें
जाँच टीम को मौके से पीईटीएन, आरडीएक्स के पड़े हुए टुकड़े, प्रेशर कुकर, सर्किट बोर्ड और टाइमर मिले। इसके अलावा लैपटॉप, कई मोबाइल सिम और एक नोटबुक बरामद हुई, जिसमें स्थानीय बाज़ारों के नक्शे और भीड़–घंटों का ब्यौरा था। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह विस्फोटक सक्रिय हो जाता तो कम से कम सौ मीटर के दायरे में गंभीर तबाही मच सकती थी। बरामदगी से साफ है कि निशाना केवल संपत्ति नहीं, बड़ी संख्या में मासूम लोगों की जानें थीं।
पाँचों गिरफ्तार युवक कौन हैं, अब तक क्या पता चला
पकड़े गए युवकों की उम्र उन्नीस से पच्चीस वर्ष के बीच है और सभी अलग-अलग राज्यों से राजधानी पहुँचे थे। प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा हुआ है कि इन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए कट्टरपंथी नेटवर्क ने जोड़ रखा था। इन्हें हथियार और बारूद की ऑन-लाइन ट्रेनिंग वीडियो के सहारे तैयार किया गया। पुलिस का मानना है कि इनका सरगना विदेश में बैठ कर इन्हें निर्देश भेज रहा था। अभी तक इनके दस से ज़्यादा बैंक खातों और क्रिप्टो वॉलेट का पता चला है, जिनकी जाँच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।
दिल्ली पुलिस की मैन-पावर, टेक्नोलॉजी और निडरता ने रचा इतिहास
इस ऑपरेशन में आधुनिक सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन कैमरा और कॉल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हुआ। पुलिस आयुक्त ने बताया कि शहर को सुरक्षित रखने के लिए 24x7 नियंत्रण कक्ष बना दिया गया है, जहाँ संदिग्ध ट्रैफ़िक की पल-पल रिपोर्ट मिलती है। ऑपरेशन के दौरान हर अधिकारी के हेलमेट पर बॉडी कैमरा था, जिससे कार्रवाई पारदर्शी रही और सबूत भी सुरक्षित रहे। यह मॉडल अब अन्य राज्यों के लिए भी एक बेंचमार्क बन सकता है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह कामयाबी, बड़े नेटवर्क पर पड़ेगा सीधा असर
दिल्ली न सिर्फ़ देश की राजनीतिक धुरी है बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र भी है। ऐसे में अगर आतंकी हमला सफल होता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को नुकसान पहुँचता। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस गिरफ़्तारी से केवल एक हमला ही नहीं टला, बल्कि उन चैनलों का भी पर्दाफाश हुआ है जिनके ज़रिए कट्टरपंथी समूह नए सदस्य भर्ती करते हैं। आने वाले हफ़्तों में कई और गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं, जिससे पूरे नेटवर्क को झटका लगेगा।
सतर्क नागरिक ही सबसे बड़ा हथियार, आपकी छोटी-सी मदद से बच सकती हैं जानें
पुलिस अधिकारियों ने आम लोगों से अपील की है कि अगर गली-मोहल्ले में कोई लावारिस सामान दिखे या कोई व्यक्ति संदिग्ध गतिविधि करता नज़र आए, तो तुरंत 112 पर कॉल करें। साथ ही किसी भी तरह की भड़काऊ संदेश या वीडियो को फ़ॉरवर्ड न करें। हर नागरिक की सतर्कता पुलिस बल की ताक़त बढ़ाती है। इस मामले में भी पास-पड़ोस के लोगों ने देर रात गोदाम में चल रही गतिविधि पर शक जताया था, जिसने पुलिस को सही दिशा में काम करने में मदद की।
मानसिक जंग भी उतनी ही कठिन, डर से ऊपर उठना ज़रूरी
आतंकी घटनाएँ सिर्फ़ विस्फोट से नहीं, अफ़वाह से भी लोगों को तोड़ती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दहशतगर्द अक्सर सोशल मीडिया पर अफ़वाह फैला कर डर का माहौल बनाते हैं, ताकि पुलिस और जनता का मनोबल गिर जाए। इसलिए फ़र्ज़ बनता है कि हम तथ्यों की जाँच किए बिना कोई सूचना न साझा करें। सोशल मीडिया पर आधिकारिक हैंडल से ही अपडेट लें और अपने बच्चों को भी जिम्मेदार इंटरनेट उपयोग सिखाएँ।
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