Delhi-Ranchi NIA operation:दिल्ली से रांची तक ISIS से जुड़े आठ संदिग्ध गिरफ्तार

दिल्ली से रांची तक फैली बड़ी कार्रवाई में NIA और पुलिस की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर आठ संदिग्धों को पकड़ा, जिनमें रांची से ISIS से जुड़े युवक की गिरफ्तारी भी शामिल।

Delhi-Ranchi NIA operation:दिल्ली से रांची तक ISIS से जुड़े आठ संदिग्ध गिरफ्तार

देश में सनसनी फैलाने वाली बड़ी कार्रवाई सामने आई है। दिल्ली से लेकर रांची तक अलग-अलग राज्यों में एक साथ छापेमारी हुई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने यह अभियान चलाया। इस दौरान आठ संदिग्ध दहशतगर्दों को हिरासत में लिया गया। इनमें से एक युवक को रांची से पकड़ा गया है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि उसके तार ISIS से जुड़े हो सकते हैं। सुबह से शुरू हुआ यह ऑपरेशन देर रात तक चला और पूरे इलाके में हलचल मच गई। अब सवाल यह है कि इतनी बड़ी कार्रवाई की शुरुआत आखिर कैसे हुई?

 

सूत्रों के हवाले से एजेंसियों की लंबी निगरानी के बाद अचानक कार्रवाई

सूत्र बताते हैं कि एजेंसियां काफी समय से इन लोगों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थीं। अचानक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार समेत 12 जगहों पर टीमें पहुंचीं और छापे मारे। जांच में कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, आपत्तिजनक कागज़ात और मोबाइल चैट के सबूत मिले हैं। यह सोचने वाली बात है कि इतने लंबे समय से चल रही तैयारी के बारे में किसी को भनक कैसे नहीं लगी?

 

रांची से ISIS से जुड़े संदिग्ध की गिरफ्तारी ने बढ़ाई चिंता

झारखंड की राजधानी रांची से पकड़ा गया एक युवक चर्चा में है। जांचकर्ताओं का कहना है कि उसके तार सीधे ISIS नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। स्थानीय लोग इस गिरफ्तारी से हैरान हैं। मोहल्ले के एक बुजुर्ग ने कहा, "हमें तो कभी शक भी नहीं हुआ कि यह लड़का ऐसे कामों में शामिल हो सकता है।" क्या आतंकी अब छोटे शहरों में भी अपनी जड़ें फैला रहे हैं?

 

दिल्ली और यूपी से भी उठे संदिग्ध, घरों से मिले अहम सबूत

दिल्ली और उत्तर प्रदेश में की गई छापेमारी में पांच लोग हिरासत में लिए गए। उनके घरों से कई लैपटॉप, पेन ड्राइव और कुछ ऐसे कागजात मिले हैं जो आतंकी साजिश की ओर इशारा करते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मोबाइल फोन से कई विदेशी नंबरों पर बातचीत के सबूत मिले हैं। यह जांच अब और गहराई से होगी।

 

गांव और मोहल्लों में फैला डर और लोगों की प्रतिक्रियाएं

जहां-जहां छापे पड़े, वहां के लोग अब भी सदमे में हैं। एक स्थानीय महिला बोलीं, "रात से नींद नहीं आई, इतनी पुलिस देखकर दिल घबरा गया।" वहीं युवाओं के बीच डर है कि कहीं पुलिस बेगुनाहों को न पकड़ ले। लोग पूछ रहे हैं, क्या हमारे बीच ही कोई आतंकी घूम रहा था? यह सवाल आम नागरिकों के मन में डर को और गहरा कर देता है।

 

आतंकियों के नेटवर्क पर कसा शिकंजा, एजेंसियों ने क्या बताया

NIA और पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि यह कार्रवाई केवल शुरुआत है। अभी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। एजेंसियों का दावा है कि ये लोग सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर ले जाने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे में यह ऑपरेशन आने वाले दिनों में और बड़ा हो सकता है।

 

क्या देशभर में फैला है एक बड़ा नेटवर्क?

गिरफ्तारी और सबूतों से यह साफ हो रहा है कि आतंकी नेटवर्क अब छोटे-छोटे शहरों तक फैल चुका है। सवाल उठता है कि आखिर यह लोग आर्थिक मदद कहां से पा रहे हैं? सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि विदेश से फंडिंग और इंटरनेट पर चलने वाले प्रचार अभियान इसका बड़ा कारण हैं। क्या हमें डिजिटल निगरानी और कड़ी करनी होगी?

 

आम नागरिकों की जिम्मेदारी और सतर्क रहने की जरूरत

इस घटना से साफ है कि खतरा सिर्फ सीमा पार से नहीं, बल्कि घर-गली तक पहुंच चुका है। ऐसे में नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है। अगर किसी के व्यवहार या गतिविधि में कुछ संदिग्ध दिखे तो तुरंत सूचना देनी चाहिए। कहते हैं न – “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।” शायद यही वाक्य इस मामले में भी फिट बैठता है।

 

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के अगले कदम

सरकारी सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में आतंकवाद के खिलाफ और सख्त कदम उठाए जाएंगे। जांच पूरी होने के बाद चार्जशीट दाखिल की जाएगी और गिरफ्तार संदिग्धों से पूछताछ जारी है। एजेंसियां अब यह भी देख रही हैं कि कहीं इनके संपर्क विदेशों में बैठे बड़े आतंकी संगठनों से तो नहीं थे।

 

समाप्ति पर एक बड़ा सवाल: क्या हम सुरक्षित हैं?

यह पूरी घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि देश के भीतर सुरक्षा कितनी मजबूत है। क्या हमें अब सिर्फ सरकार और पुलिस पर भरोसा करके बैठना चाहिए, या फिर खुद भी चौकस रहना होगा? हर आम इंसान की सतर्कता ही सबसे बड़ी ढाल बन सकती है। यही वक्त की पुकार है कि एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़े हों।