Dhanteras 2025 में यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शाम के समय लोग अपने घरों में दीप जलाकर, भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा करते हैं। यह दिन धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है और दिवाली के शुभ आरंभ का प्रतीक होता है। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना या चांदी खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ें पूरे साल घर में लक्ष्मी का वास बनाए रखती हैं।
Dhanteras 2025 का महत्व और पूजा का समय
Dhanteras 2025 में यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शाम के समय लोग अपने घरों में दीप जलाकर, भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा करते हैं। यह दिन धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है और दिवाली के शुभ आरंभ का प्रतीक होता है। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना या चांदी खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ें पूरे साल घर में लक्ष्मी का वास बनाए रखती हैं।
कुबेर देवता कौन हैं और क्यों कहलाते हैं धन के देवता
कुबेर देवता का नाम जब भी लिया जाता है, तो लोगों के मन में धन और वैभव की छवि बन जाती है। वे स्वर्ग के “धनाध्यक्ष” माने जाते हैं और उनकी जिम्मेदारी पूरे ब्रह्मांड के धन वितरण की होती है। कुबेर जी को भगवान शिव का परम भक्त माना गया है और कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। कई मंदिरों में कुबेर जी की मूर्ति धन से भरे पात्र के साथ स्थापित की जाती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि एक समय कुबेर देवता को अपने वैभव का घमंड हो गया था।
जब कुबेर देवता के मन में आया अहंकार
एक समय कुबेर देवता को लगने लगा कि उनके समान कोई नहीं है। उनके पास असीमित धन था, रत्नों से भरे महल थे, और असंख्य नौकर-चाकर उनकी सेवा में लगे रहते थे। इस अहंकार के कारण वे सोचने लगे कि उन्हें अपना वैभव सबको दिखाना चाहिए। उन्होंने विचार किया कि क्यों न स्वर्ग के देवताओं और स्वयं भगवान शिव को अपने दरबार में आमंत्रित कर अपने वैभव का प्रदर्शन किया जाए।
भगवान शिव ने भेजे गणेश जी
जब कुबेर जी ने भगवान शिव को अपने महाभोज के लिए निमंत्रित किया, तो शिवजी ने मुस्कुराकर कहा, “कुबेर, मैं तो नहीं आ पाऊँगा, पर मेरा पुत्र गणेश अवश्य आएगा।” कुबेर जी को यह सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि वे शिव और पार्वती को बुलाना चाहते थे, न कि छोटे गणेश को। लेकिन उन्होंने गणेश जी को आदरपूर्वक आमंत्रित कर लिया।
गणेश जी का अपार भूख और कुबेर का चकित होना
भोजन का समय आया, कुबेर देवता बड़े गर्व से अपने दरबार में बैठे। दरबार में तरह-तरह के व्यंजन रखे गए। जैसे ही गणेश जी वहाँ पहुँचे, उन्होंने एक के बाद एक व्यंजन खाना शुरू किया। देखते ही देखते पूरा भोजन समाप्त हो गया। कुबेर ने तुरंत और भोजन मंगवाया, लेकिन गणेश जी की भूख कम ही नहीं हुई। वे लगातार खाते रहे, और कुबेर के भंडार भी धीरे-धीरे खाली होने लगे।
जब गणेश जी ने कुबेर से कहा – मैं अभी भी भूखा हूँ
कुबेर देवता अब सोच में पड़ गए। उन्होंने अपने सभी सेवकों को भेजा कि और भोजन लाया जाए, लेकिन चाहे जितना लाया गया, गणेश जी की भूख नहीं मिट रही थी। अंत में उन्होंने कहा, “कुबेर, क्या तुम्हारा धन केवल दिखावे का है? क्या यह साधारण अतिथि को भी तृप्त नहीं कर सकता?” यह सुनकर कुबेर देवता घबरा गए और समझ गए कि उनके अहंकार का अंत आने वाला है।
भगवान शिव की शरण में कुबेर देवता
घबराए हुए कुबेर तुरंत कैलाश पर्वत पहुँचे और भगवान शिव के चरणों में गिरकर बोले, “भगवान, मैंने बड़ा अहंकार किया। मुझे क्षमा करें। मेरा सारा वैभव भी गणेश जी की भूख को नहीं मिटा सका।” तब भगवान शिव ने मुस्कुराकर कहा, “कुबेर, धन का अर्थ केवल सोना-चांदी नहीं, बल्कि विनम्रता, भक्ति और सेवा भाव भी है। जब तक इनका मेल नहीं होगा, धन व्यर्थ है।”
भगवान गणेश ने शांत की अपनी भूख
फिर भगवान शिव ने कहा कि कुबेर एक मुट्ठी चावल लेकर गणेश जी के पास जाएँ और नम्रता से विनती करें। कुबेर ने ऐसा ही किया। गणेश जी ने प्रसन्न होकर चावल ग्रहण किए और कहा, “अब मेरी भूख शांत हो गई।” कुबेर देवता ने उसी पल समझ लिया कि असली धन ईमानदारी, विनम्रता और प्रेम में बसता है, न कि वैभव में।
Dhanteras 2025 पर इस कथा से मिलने वाला जीवन संदेश
Dhanteras 2025 पर जब हम दीप जलाते हैं और लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं, तो यह कथा हमें याद दिलाती है कि धन का वास्तविक अर्थ केवल सोने-चांदी का संग्रह नहीं, बल्कि सही कर्म करना, दूसरों की मदद करना और ईश्वर के प्रति श्रद्धा रखना है। कुबेर देवता और भगवान गणेश की यह कथा हमें सिखाती है कि अहंकार चाहे कितना बड़ा क्यों न हो, सत्य और विनम्रता के आगे हमेशा झुक जाता है।
घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने का सरल मंत्र
इस धनतेरस पर जब आप अपने घर में दीपक जलाएँ, तो भगवान गणेश और कुबेर देवता को याद करें। मन से कहें कि “हमारे घर में सदैव विनम्रता और सच्चाई का वास बना रहे।” तभी वास्तविक आलोक आपके जीवन में बहेगा। धन का असली अर्थ तब ही पूर्ण होता है जब उसमें प्रेम और संतोष का संग हो। यही Dhanteras 2025 का सबसे बड़ा संदेश है।
इस वर्ष की धनतेरस आपके परिवार में सुख, शांति और अपार समृद्धि लेकर आए – यही कामना है।
POLL ✦
आपका मत क्या कहता है?
Mansi Arya
मैं हूँ मानसी आर्या, GCShorts.com की एडिटर। टेक-गियर, न्यूज़ कवरेज, ये सब मेरे जिम्मे है। कंटेंट की प्लानिंग से लेकर प्रोडक्शन तक सब कुछ देखती हूँ। डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया की झलक भी है मेरे फैसलों में, जिससे खबरें जल्दी, बढ़िया और असली आपके पास पहुँचती रहें। कोई फालतू झंझट नहीं, बस काम की बातें।