धनतेरस हमारे धर्म और संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन घरों में दीप जलाए जाते हैं और खासतौर से धन की देवी-देवताओं की पूजा होती है। लोग मानते हैं कि धनतेरस का शुभ समय उनकी ज़िंदगी में सुख-शांति और आर्थिक वृद्धि लाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि धनतेरस पर किस देवता की पूजा की जाती है और धनवंतरी भगवान कौन हैं और उनकी पूजा का महत्व क्या है।
धनतेरस पर किस देवता की होती है पूजा
धनतेरस के दिन सबसे पहले माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। माँ लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से घर में धन-धान्य की वृद्धि और सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, धन्वंतरि भगवान की पूजा का भी विशेष महत्व है। वे आयुर्वेद के जन्मदाता माने जाते हैं और स्वास्थ्य और लंबी उम्र का प्रतीक हैं। इस दिन उनकी पूजा से बीमारी दूर होती है और जीवन में रोग-रहित स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
धनवंतरी भगवान कौन हैं और उनकी पूजा का महत्व
धनवंतरी भगवान को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में माना जाता है। वे आयुर्वेद के देवता भी हैं और स्वास्थ्य के देवता कहे जाते हैं। कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब समुद्र मंथन हुआ था, तब धनवंतरी भगवान अमृतकलश की रक्षा करते हुए प्रकट हुए थे। उनकी छवि हाथ में अमृत कलश लिए हुई दिखाई जाती है। धनवंतरी भगवान की पूजा करने से न केवल शरीर की बीमारियां दूर होती हैं, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी मिलता है। लोग उन्हें स्वस्थ जीवन की कामना से पूजते हैं, खासकर धनतेरस पर जब स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों का महत्व होता है।
धनतेरस पर पूजा की विधि और खास बातें
धनतेरस के दिन सुबह ताजी साफ-सुथरी जगह पर पूजा की तैयारी होती है। परिवार के सभी सदस्य दीप जलाकर माँ लक्ष्मी और भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं। पूजा में आम तौर पर तिलक, फूल, रोली, चन्दन, अक्षत और मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं। इसके साथ ही सोने-चांदी या नए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है, जो समृद्धि और सौभाग्य लाने का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी से धन की वृद्धि की प्रार्थना की जाती है और भगवान धनवंतरी से स्वास्थ्य और रोगमुक्त जीवन की कामना की जाती है। इस दिन घर और पूजा स्थल को दीपों से सजाया जाता है ताकि सकारात्मक ऊर्जा और शुभता बनी रहे।
धनतेरस का त्योहार क्यों खास माना जाता है
धनतेरस का त्योहार व्यापारियों, दुकानदारों और आम लोगों के लिए खास होता है क्योंकि यह नए व्यापार की शुरुआत और वित्तीय समृद्धि की शुरुआत का प्रतीक रहता है। माना जाता है कि इस दिन धन-प्राप्ति का योग सबसे अच्छा होता है। लोग इस दिन अपने धन का बचाव करने का संकल्प लेते हैं और भाग्यशाली वस्तुएं खरीदते हैं। परिवार के सदस्य और दोस्त एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं, मिठाईयां बांटते हैं और अपने घर को साफ-सुथरा करके नए अवसरों का स्वागत करते हैं। बच्चों के लिए भी धनतेरस की पूजा में भाग लेना एक सीख होती है कि आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य दोनों ही जीवन में ज़रूरी हैं।
धनवंतरी भगवान की छवि और उनकी पूजा कैसे करें
धनवंतरी भगवान की छवि में वे सफेद वस्त्र धरे होते हैं, जो स्वास्थ्य और शुद्धता का प्रतीक है। उनके हाथ में अमृत का कलश और एक शंख होता है। पूजा में उनकी तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और दूर्वा, हल्दी, कुमकुम जैसे पदार्थ चढ़ाएं। भक्ति और श्रद्धा के साथ उनका जाप और आरती करें। इस दिन स्वास्थ्य लाभ के लिए विशेष रूप से उनका स्मरण किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में भी धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक मानकर उनकी पूजा करने की अपार महत्ता दी गई है।
धनतेरस पर बच्चों को क्यों समझाना चाहिए इसकी महत्ता
धनतेरस सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि के महत्व का प्रतिमान है। बच्चों को इस दिन के पीछे की कहानियां और पूजा की प्रक्रिया समझाना चाहिए ताकि वे अपने संस्कृति और परंपराओं को जान सकें। बच्चे इससे सीखते हैं कि केवल धन इकठ्ठा करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी उतना ही आवश्यक है। साथ ही यह त्योहार परिवार की एकता और खुशहाली के संदेश भी देता है।
धनतेरस पर ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बातें
धनतेरस पर माँ लक्ष्मी और धनवंतरी भगवान की पूजा की जाती है, जिसके द्वारा हम खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। यह त्योहार लोगों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आर्थिक-शारीरिक दोनों प्रकार की उन्नति का संदेश देता है। इस दिन पूजा विधि सरल और सहज रखनी चाहिए ताकि हर व्यक्ति, चाहे बच्चा हो या बूढ़ा, उसे समझ सके और अपने घर में सुख-शांति ला सके। इसलिए धनतेरस हमारे जीवन का एक ऐसा पर्व है जो विश्वास, स्वास्थ्य और धन की झलक लेकर आता है।
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