धीरेंद्र शास्त्री की धर्मसभा का नाम आते ही भीड़ अपने आप उमड़ पड़ती है। उनका हर कार्यक्रम पहले से ही चर्चा में रहता है। जिस धर्मसभा को लेकर लोग सुबह से ही इकट्ठा हो रहे थे, वह अचानक शुरू होने से एक घंटा पहले रद्द कर दी गई। यह खबर आते ही लोगों में निराशा और सवाल दोनों फैल गए। हजारों लोग मैदान में मौजूद थे और वे जानना चाहते थे कि आखिर इतनी बड़ी धर्मसभा को अचानक क्यों रोका गया।
धर्मसभा के लिए मंच सज चुका था, पंडाल तैयार था और दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी बैठ चुके थे। हर कोई धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन का इंतजार कर रहा था। लेकिन ठीक उसी समय आयोजकों ने घोषणा की कि कार्यक्रम रद्द किया जा रहा है। इस घोषणा ने वहां मौजूद लोगों को चौंका दिया।
अचानक रद्द होने की असली वजह क्या रही
किसी भी बड़े कार्यक्रम को अचानक रद्द करना आसान नहीं होता। आयोजकों की ओर से जानकारी दी गई कि सुरक्षा कारणों से यह फैसला लेना पड़ा। बताया जा रहा है कि भीड़ उम्मीद से कई गुना ज्यादा हो गई थी और प्रशासन को आशंका थी कि हालात बेकाबू हो सकते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता इस हद तक बढ़ चुकी है कि जहां भी वे जाते हैं वहां भीड़ उमड़ पड़ती है। प्रशासन के लिए इतनी बड़ी संख्या को संभालना मुश्किल हो गया। भीड़ के कारण अव्यवस्था फैलने का खतरा था और इसे देखते हुए कार्यक्रम को रोकना पड़ा। आयोजकों ने भी माना कि अगर कार्यक्रम होता तो सुरक्षा में चूक हो सकती थी।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया और निराशा
जब अचानक धर्मसभा रद्द होने की खबर आई तो वहां मौजूद श्रद्धालुओं के चेहरे उतर गए। कई लोग परिवार के साथ दूर-दराज से आए थे। उनका कहना था कि वे पूरे मन से प्रवचन सुनने आए थे और अचानक कार्यक्रम रद्द होने से वे निराश हो गए। हालांकि, ज्यादातर लोगों ने सुरक्षा कारणों को समझते हुए आयोजकों के फैसले का समर्थन किया।
लोगों का कहना है कि वे अगली धर्मसभा में जरूर शामिल होंगे। कई श्रद्धालु इस बात को लेकर भावुक भी हो गए कि उन्हें इतनी दूर से आकर खाली हाथ लौटना पड़ा। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संत का प्रवचन सुनने से बढ़कर उनकी सुरक्षा जरूरी है।
धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता और भीड़ का असर
धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। उनके प्रवचनों को सुनने के लिए लाखों की भीड़ उमड़ती है। यही वजह है कि हर धर्मसभा एक बड़े आयोजन में बदल जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। जितनी भीड़ की उम्मीद थी, उससे कई गुना ज्यादा लोग मैदान में पहुंच गए।
भीड़ का यह असर इतना बढ़ गया कि प्रशासन के लिए व्यवस्था संभालना असंभव हो गया। यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ हो। कई बार पहले भी उनके आयोजनों में भीड़ बढ़ने के कारण अव्यवस्था देखी गई है। इस बार सुरक्षा को देखते हुए समय रहते फैसला ले लिया गया।
प्रशासन और आयोजकों की भूमिका
जब कोई बड़ा धार्मिक आयोजन होता है तो प्रशासन और आयोजकों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है। इस धर्मसभा में भी प्रशासन ने शुरू से ही सुरक्षा इंतजाम किए थे। लेकिन जैसे-जैसे लोग बढ़ते गए, हालात काबू से बाहर होने लगे। भीड़ के दबाव को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने आयोजकों को सलाह दी कि कार्यक्रम रोकना ही सही होगा।
आयोजकों ने यह निर्णय लिया ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना या अव्यवस्था न हो। उन्होंने लोगों से माफी भी मांगी और भरोसा दिलाया कि अगली बार और बेहतर व्यवस्था की जाएगी। इस फैसले ने दिखाया कि सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई, चाहे इसके लिए कार्यक्रम ही क्यों न रद्द करना पड़े।
आगे क्या हो सकता है
अब सवाल यह उठ रहा है कि अगली धर्मसभा कब होगी। आयोजकों ने साफ किया है कि धीरेंद्र शास्त्री बहुत जल्द दोबारा धर्मसभा करेंगे और इस बार तैयारी और मजबूत होगी। सुरक्षा इंतजाम और भी बढ़ाए जाएंगे ताकि किसी श्रद्धालु को निराश न होना पड़े।
लोगों को उम्मीद है कि अगली बार वे अपने गुरु के प्रवचन का लाभ जरूर लेंगे। प्रशासन भी यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि आगे कोई भी अव्यवस्था न हो। कुल मिलाकर यह घटना दिखाती है कि भीड़ प्रबंधन कितना जरूरी है और लोकप्रिय संतों के कार्यक्रम कितने संवेदनशील होते हैं।