FY26 में बैंक क्रेडिट वृद्धि धीमी होगी: ICRA का अनुमान 10-11%
ICRA रिपोर्ट के अनुसार FY26 में बैंकिंग क्रेडिट वृद्धि में धीमापन, NBFC लोन विस्तार और GST सुधार का प्रभाव
ICRA रिपोर्ट: FY26 में बैंक क्रेडिट ग्रोथ होगी 10-11% के बीच
ICRA लिमिटेड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र में क्रेडिट वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2025-26 में करीब 10.4 से 11.3 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है, जो पिछले वित्तीय वर्षों 2024-25 में 10.9 प्रतिशत और 2023-24 में 16.3 प्रतिशत रही थी। हालांकि, कुल उधारी का प्रवाह ₹19 से ₹20.5 ट्रिलियन के दायरे में रहने का अनुमान है, जो पूर्व वित्त वर्ष के ₹18 ट्रिलियन से थोड़ा अधिक होगा। इस धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि का मुख्य कारण बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बढ़ते मार्जिन दबाव हैं।
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इस अवधि के दौरान गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (NBFCs) भी अपने लोन बुक का विस्तार 15 से 17 प्रतिशत के बीच करेंगी, जो पिछले वर्ष के 17 प्रतिशत से थोड़ी कमी दर्शाता है। इसके साथ ही, इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस देने वाली NBFC को छोड़कर अन्य कंपनियां भी समुचित वृद्धि दिखाएंगी।
ICRA ने यह भी बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बैंक क्रेडिट का सकल विस्तार ₹3.9 ट्रिलियन रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में ₹5.1 ट्रिलियन था। इसका मुख्य कारण बैंकों द्वारा अपने मार्जिन की सुरक्षा हेतु तेज़ी से उधार विस्तार करने की बजाय सावधानी से उधार देना है। निजी बैंक भी इसी नीति को अपनाए हुए हैं और उन्होंने अपनी प्राथमिकता मार्जिन बनाए रखने पर केंद्रित की है, जिसके चलते वे उधार की मात्रा को सीमित कर रहे हैं।
साथ ही, सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती घरेलू मांग को बढ़ावा देने और निर्यात पर लागू टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए फायदेमंद साबित होगी। यह कदम बैंक और NBFC दोनों के लिए उधारी विस्तार को प्रोत्साहित करेगा और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाएगा।
ICRA ने यह भी कहा कि जमा दरों (डिपॉजिट रेट) में धीरे-धीरे कमी बैंकिंग संस्थानों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाली है और इससे बैंकों की लागत में सुधार होगा। मौजूदा क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात में कमी और सिस्टम में व्यापक तरलता के कारण उधारी वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। हालांकि, बहुमूल्य ऋण बाजारों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और मार्जिन पर दबाव के कारण बैंकिंग क्षेत्र में क्रेडिट की बढ़ोतरी धीमी रहेगी।
कंपनी बांड जारी करने के क्षेत्र में भी नए रिकॉर्ड देखे गए हैं, जैसे वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में ₹3.5 ट्रिलियन का उच्चतम बॉन्ड निर्गमन, जो दर्शाता है कि ऋण पूंजी बाजार मजबूत होते जा रहे हैं और यह बैंकिंग क्रेडिट वृद्धि पर प्रभाव डाल रहा है।
ICRA का मानना है कि पूरे वर्ष के लिए क्रेडिट प्रवाह की स्थिति बेहतर रहेगी, क्योंकि सामान्यत: वर्ष के अंतिम सात महीने 70 से 130 प्रतिशत तक क्रेडिट वृद्धि में योगदान देते हैं। जीएसटी कटौती, बेहतर उपभोग और स्थिर मार्जिन के चलते बैंकिंग क्षेत्र में क्रेडिट ग्रोथ 10.4 से 11.3 प्रतिशत के ऊपरी स्तर पर पहुँच सकती है।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि आर्थिक विकास के लिए बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों की भूमिका अहम है। हालांकि क्रेडिट वृद्धि में धीमापन दिख रहा है, लेकिन तार्किक और सतत उधारी नीति के चलते यह वृद्धि संतुलित और स्थायी होगी, जो देश की आर्थिक विकास यात्रा में मददगार साबित होगी।
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