Ganapati visarjan में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जानिए क्या बोले प्रेमानंद महाराज जी

प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि गणपति विसर्जन के समय भक्त शराब, अश्लील गानों और पर्यावरण प्रदूषण जैसी गलतियों से बचें, तभी बप्पा का सच्चा आशीर्वाद मिलेगा।

Ganapati visarjan में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जानिए क्या बोले प्रेमानंद महाराज जी

भारत में गणेशोत्सव का पर्व पूरे भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। दस दिन तक घर-घर और पंडालों में बप्पा की आराधना करने के बाद अंतिम दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ **गणपति विसर्जन** किया जाता है। विसर्जन का यह पल केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी आस्था का क्षण माना जाता है। इस दौरान भक्त भक्ति गीतों और नारों के साथ बप्पा को विदाई देते हैं। लेकिन कई बार इस पावन अवसर पर लोग ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो परंपरा और श्रद्धा के विपरीत होती हैं। प्रख्यात संत प्रेमानंद महाराज जी ने हाल ही में अपने प्रवचन में इस विषय पर भक्तों को महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि गणपति विसर्जन का पल केवल उत्सव का समय नहीं बल्कि यह वह क्षण होता है जब हमें बप्पा को सम्मानपूर्वक विदाई देनी चाहिए। महाराज जी ने जोर देकर कहा कि विसर्जन में अशांति, शराबखोरी, ऊंची आवाज में अश्लील गाने बजाना और प्रदूषण फैलाने जैसे कार्य नहीं करने चाहिए। उनके अनुसार यह समय शांति, भक्ति और अनुशासन का है। यह केवल परंपरा का सम्मान ही नहीं बल्कि भगवान गणपति की कृपा पाने का सही तरीका भी है।

 

विसर्जन के दौरान भक्त क्यों करते हैं अनजानी गलतियां

जब भी हम किसी बड़े त्योहार को मनाते हैं तो उसमें भीड़, शोर और जोश स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। गणपति विसर्जन के समय भी यही देखा जाता है। लोग नाचते-गाते बप्पा को विदा करते हैं लेकिन आनंद में कभी-कभी हद पार कर जाते हैं। यही वह जगह है जहां भूल हो जाती है। प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि लोग अक्सर विसर्जन यात्रा के दौरान नशा करते पाए जाते हैं। शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर उत्सव में भाग लेना भक्तिभाव के विपरीत है। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि कुछ जगह विसर्जन के दौरान डीजे पर ऐसे गाने बजाए जाते हैं जिनका कोई धार्मिक महत्व नहीं होता। ऐसे गानों का असर बच्चों और बुजुर्गों पर भी पड़ता है और वातावरण की पवित्रता भी खराब होती है। इसके अलावा नदी और तालाबों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों का विसर्जन करने से पानी प्रदूषित होता है, जो प्रकृति और समाज दोनों के लिए खतरा बन जाता है। महाराज जी ने कहा कि अगर भक्त सच में गणपति बप्पा का आशीर्वाद चाहते हैं तो उन्हें इन गलतियों से बचना चाहिए।

 

प्रेमानंद महाराज जी ने विसर्जन के सही तरीके पर दिया मंत्र

भक्तों को संबोधित करते हुए प्रेमानंद महाराज जी ने समझाया कि गणपति विसर्जन का असली महत्व तभी है जब हम उसे पूरी श्रद्धा और शांति के साथ करें। विसर्जन यात्रा को धार्मिक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए न कि एक शोरगुल वाले समारोह की तरह। उन्होंने कहा कि सही तरीका यही है कि भक्त भजन, कीर्तन और गणपति बप्पा मोरया जैसे पवित्र नारों के साथ बप्पा को विदाई दें। प्रेमानंद महाराज जी ने यह भी कहा कि विसर्जन के समय पर्यावरण का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। जहां तक हो सके मिट्टी की मूर्तियों का ही विसर्जन किया जाए ताकि पानी को प्रदूषित न किया जाए। इसके साथ-साथ मूर्तियों को स्थानीय प्रशासन द्वारा बनाए गए कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करने की सलाह दी गई। यह न सिर्फ प्रकृति का संरक्षण करता है बल्कि नई पीढ़ी को भी सही संदेश देता है। उन्होंने भक्तों से यह भी आग्रह किया कि विसर्जन के दिन संयम और अनुशासन बनाए रखें। यह भगवान के साथ-साथ समाज और संस्कृति के लिए भी सम्मान प्रकट करने का तरीका है। बप्पा को विदाई इस संकल्प के साथ दी जानी चाहिए कि उनके आशीर्वाद से हम अपने जीवन को और बेहतर बनाएंगे और अच्छी आदतें अपनाएंगे।

 

गणपति बप्पा की विदाई भक्तों के लिए आशीर्वाद का अवसर

हर साल जब बप्पा विदा होते हैं तो भक्तों के मन में एक खालीपन सा आ जाता है। लेकिन यह अलविदा दरअसल अगले साल मिलने का वादा भी है। गणपति विसर्जन केवल एक पर्व का अंत नहीं बल्कि नई शुरुआत का प्रतीक होता है। प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि जब हम बप्पा को सही तरीके से विसर्जित करते हैं, तो वास्तव में हम अपनी नकारात्मकताओं को भी विदा करते हैं। यह अवसर हमें आत्मचिंतन का भी मौका देता है कि अगले साल तक हम अपनी बुरी आदतों को छोड़कर अच्छे गुणों को अपनाएं। महाराज जी ने यह भी कहा कि उत्सव का असली आनंद तभी है जब हम समाज और पर्यावरण दोनों को सुरक्षित रखते हुए इसे मनाएं। यही गणपति बप्पा की सच्ची आराधना मानी जा सकती है। विसर्जन के दिन भक्तों को केवल एक ही बात याद रखनी चाहिए कि यह कोई साधारण कार्यक्रम नहीं बल्कि भगवान की पूजा और विदाई का अहम क्षण है। इसलिए, अगर हम बप्पा को सच्चे मन से धन्यवाद और विदाई देंगे, तो निश्चित रूप से उनका आशीर्वाद हमारे जीवन में समृद्धि और खुशियां लाएगा।

गणपति विसर्जन में सबसे आम गलती क्या होती है?
गणपति विसर्जन के दौरान लोग अक्सर शोर-गुल, शराब सेवन और डीजे पर अश्लील गीत बजाने जैसी गलतियां कर बैठते हैं, जो धार्मिक वातावरण को खराब करती हैं।
प्रेमानंद महाराज जी ने विसर्जन को लेकर क्या संदेश दिया?
: प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि विसर्जन समय शांति, भक्ति और अनुशासन से होना चाहिए। इसमें नशे, ऊंचे शोर और अशुद्ध वातावरण से बचना जरूरी है।
पर्यावरण का ध्यान गणपति विसर्जन में कैसे रखा जा सकता है?
पर्यावरण का ध्यान रखने के लिए मिट्टी की मूर्तियों का विसर्जन करें और उन्हें प्राकृतिक जल स्रोतों में न डालकर प्रशासन द्वारा बनाए कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करें।
भक्त गणपति विसर्जन में भक्ति कैसे बनाए रख सकते हैं?
विसर्जन के समय भक्त भजन, कीर्तन और "गणपति बप्पा मोरया" जैसे देव नामों का उच्चारण करें ताकि वातावरण पवित्र और भक्ति भाव से सराबोर बना रहे।
गणपति विसर्जन का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
गणपति विसर्जन केवल मूर्ति की विदाई नहीं बल्कि नकारात्मक आदतों को विदा करके जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक है। इसे आत्मचिंतन और बदलाव का अवसर माना जाता है