गाजा में हालात एक बार फिर बेकाबू हो गए हैं। हमास, जिसने खुद को हमेशा फिलिस्तीनी जनता का रक्षक बताया है, अब उन्हीं लोगों पर गोलियां चला रहा है। सोमवार देर रात गाजा के एक व्यस्त इलाके में हमास ने 8 लोगों को सरेआम गोली मार दी। यह घटना इतनी अचानक हुई कि लोग कुछ समझ भी नहीं पाए और देखते ही देखते पूरा इलाका दहशत से भर गया।
जगह-जगह गूँजी गोलियों की आवाज और लोगों में दहशत
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब गोलीबारी शुरू हुई तो चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। हमास के बंदूकधारी हथियार लहराते हुए गलियां पार करते दिखे। यह दृश्य किसी युद्ध से कम नहीं था। गाजा की सड़कों पर अब भी खून के निशान और टूटे शीशे इस हिंसा की कहानी कह रहे हैं।
स्थानीय लोगों में गुस्सा और डर दोनों
घटना के बाद गाजा के लोगों में गुस्से के साथ-साथ डर का माहौल भी है। कई स्थानीय नागरिकों ने बताया कि हमास के खिलाफ बोलने पर जान का खतरा रहता है। फिर भी अब आवाजें उठने लगी हैं कि यह संगठन अपनी सीमाएं पार कर चुका है। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि जो हमारे लिए लड़ते हैं, वही हमें मारेंगे।” यह बयान गाजा के हालात की सच्चाई बयां करता है।
क्यों उतरा हमास अपने ही लोगों पर
सूत्रों के अनुसार, मरने वालों पर हमास ने ‘धोखा और गद्दारी’ का आरोप लगाया था। कहा गया कि इन लोगों ने इजराइल की खुफिया एजेंसियों को जानकारी दी थी। हालांकि किसी भी स्वतंत्र जांच में इसका सबूत नहीं मिला। विश्लेषकों का मानना है कि गाजा में हमास अपने विरोधियों को डराने के लिए ऐसे कदम उठा रहा है ताकि कोई संगठन या समूह उसके फैसलों पर सवाल न उठा सके।
फिलिस्तीनी प्रशासन की मौन भूमिका
गाजा पर नियंत्रण रखने वाला हमास खुद को "फिलिस्तीनी प्रतिरोध" की ताकत मानता है, लेकिन अब उसकी कार्रवाइयाँ खुद फिलिस्तीनियों के लिए मुसीबत बन रही हैं। फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इस घटना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अब तक कोई सख्त बयान सामने नहीं आया, जिससे यह साफ दिखता है कि गाजा की असली पीड़ा सुनने वाला आज कोई नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी और बढ़ता मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियों ने पहले ही कहा था कि गाजा "मानव संकट" की स्थिति में है। बिजली, पानी, और दवाइयों की भारी कमी के बीच अब यह हिंसा वहां के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। बच्चों का स्कूल जाना बंद है, अस्पताल घायल लोगों से भरे पड़े हैं। और अब जब हमास ने 8 लोगों को अपने हाथों से मार दिया, उम्मीद की जो बची-खुची किरण थी वह भी धुंधली पड़ गई।
गाजा के लोगों की टूटती उम्मीद और दर्दनाक सन्नाटा
गाजा के परिवारों में मातम पसरा है। जिन घरों में कल खुशियां थीं, वहां अब सिर्फ सन्नाटा है। हर आंख में एक ही सवाल है – आखिर हमास किसके लिए लड़ रहा है? अपने ही लोगों को मरते देख आम नागरिकों की उम्मीदें खत्म हो रही हैं। गाजा अब उस शहर में बदल गया है, जहां कोई भी सुरक्षित नहीं है – न पत्रकार, न आम आदमी, न बच्चा।
दुनिया को अब आंखें खोलनी होंगी
हमास की इस क्रूर कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गाजा के लोग दोहरी मार झेल रहे हैं – एक तरफ बाहरी युद्ध, दूसरी तरफ भीतर की हिंसा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अगर अब भी चुप रहा, तो यह खामोशी आने वाली पीढ़ियों के लिए भयानक सबक बन जाएगी। गाजा में शांति की बात तभी संभव है जब वहां मानवता की आवाज को ताकत मिले और हथियारों की जगह संवाद को प्राथमिकता दी जाए।
गाजा को चाहिए इंसाफ और अमन की राह
गाजा की यह कहानी सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि इंसानियत के लिए चेतावनी है। जब अपने ही लोग अपने खिलाफ खड़े हो जाएं, तो समाज का ढांचा बिखर जाता है। हमास को समझना होगा कि शासन डर से नहीं, भरोसे से चलता है। गाजा के नागरिक आज भी उम्मीद कर रहे हैं कि एक दिन उन्हें बिना डर के जीने का हक़ मिलेगा। तभी शायद इस धरती से गोली की आवाजें कभी के लिए खत्म हो सकेंगी।
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हमास ने अपने ही लोगों पर गोली क्यों चलाई?
Gaurav Jha
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