Giriraj Singh का बयान बना बवाल, मुझे नमक हरामों का भोग नहीं चाहिए, बिहार चुनाव में मचा सियासी तूफान
बिहार चुनाव 2025 की गर्मी में केंद्रीय मंत्री Giriraj Singh का बयान ‘मुझे नमक हरामों का भोग नहीं चाहिए’ सियासी माहौल को हिला गया है। अरवल की रैली से उठी ये बात अब पूरे राज्य में चर्चा का मुद्दा बनी हुई है। विपक्ष हमलावर है और जनता सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी राय दे रही है।
अरवल से उठी लहर, जिसने सबको हिला दिया
अरवल की दोपहर थोड़ी गर्म थी। मंच पर भीड़ थी, माइक खुले थे, और बीच में केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह खड़े थे। अचानक उन्होंने कहा – "माल भी साहेब, मुझे नमक हरामों का भोग नहीं चाहिए।" बस, इतना कहना था। हवा जैसे थम गई। लोग एक दूसरे को देखने लगे। कुछ ने तालियाँ बजाईं, कुछ बस चुप रह गए। पर वीडियो कैमरे चल रहे थे। और सोशल मीडिया इंतज़ार में।
सोशल मीडिया पर बवाल, लोग दो हिस्सों में बंटे
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, ट्विटर और फेसबुक पर बाढ़ आ गई। कोई लिख रहा था – “गिरीराज ने सच बोल दिया।” तो किसी ने कहा – “ये नफरत नहीं तो क्या है?” हर कोई अपनी बात कह रहा था। कोई बचाव में, कोई विरोध में। पर बयान था, और वो बहुत तेज़ी से फैल गया।
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विपक्ष का जवाब – यह बयान जहर घोलता है
राजद और कांग्रेस ने तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली। कहा – “यह आदमी हर चुनाव में यही करता है।” राजद के प्रवक्ता बोले, गिरीराज सिंह देशभक्ति की जगह नफरत का कार्ड खेल रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेताओं ने कहा, “चुनावी फायदा पाने के लिए BJP अपने ही नेताओं पर रोक नहीं लगाती।” भाषा सीधी थी, पर दर्द भरा हुआ था। उन्होंने मांग की – “चुनाव आयोग को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।”
गिरीराज की सफाई – मैंने गलत क्या कहा?
दूसरे दिन गिरीराज सिंह सामने आए। बोले, “मैंने सिर्फ इतना कहा कि जो देश के खिलाफ है, वो नमक हराम है। मैंने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया।” उनका लहजा शांत था। पर आंखें नहीं। वहां गुस्सा था, या शायद सच्चाई जैसा उनका दावा। उन्होंने कहा, “विपक्ष मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। मुझे फर्क नहीं पड़ता।”
अरवल के लोग क्या कहते हैं
शहर में हर चौक पर चर्चा थी। चाय की दुकान पर लोग बहस कर रहे थे। एक बुजुर्ग बोले – “बात गलत नहीं, पर तरीका खराब।” पास बैठा युवक हंस पड़ा, “गिरीराज हमेशा ऐसा ही करते हैं। पहले बोलते हैं, फिर सफाई देते हैं।” गांव में कुछ लोग बोले कि मंत्री सही हैं। “देश विरोधी किसी का भी साथ नहीं होना चाहिए।” पर कई नौजवानों को यह बात पसंद नहीं आई। बोले – “अब सब कुछ धर्म से क्यों जोड़ दिया जाता है?” हां, सवाल वाजिब था।
विपक्ष का पलटवार और चुनाव आयोग की दहलीज पर पहुंचा मामला
राजद ने चुनाव आयोग को चिट्ठी भेज दी। कहा कि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। कांग्रेस ने भी यही कहा। BJP के अंदर भी कुछ चेहरे चुप हैं। ऐसा लगता है, पार्टी फिलहाल बयान से दूरी बनाए रखना चाहती है। फिर भी, बार-बार सोशल मीडिया पर वही वीडियो घूमता रहा। बार-बार वही शब्द—“नमक हरामों का भोग नहीं चाहिए।”
गिरीराज सिंह – विवाद उनका पुराना साथी
यह कोई नई बात नहीं। गिरीराज सिंह हमेशा ऐसे बयान देते रहे हैं। कभी पाकिस्तान भेजने की बात, कभी ताना कसना विरोधियों पर। वो जैसे बोलते हैं, वैसा कम ही नेता बोलते हैं। सीधापन कहते हैं, पर कभी-कभी वो सीधापन तीर बनकर निकलता है। कई बार बीजेपी को भी मुश्किल में डाल देता है। कहते हैं, “मैं डरता नहीं, सच बोलता हूं।” और शायद यही वजह है कि वो हर चुनाव में चर्चा में रहते हैं।
बिहार चुनाव का असली असर क्या होगा
अब सवाल यही है कि इस बयान का असर क्या पड़ेगा। बिहार में चुनावी माहौल पहले से गर्म है। कुछ कहते हैं बयान से बीजेपी का वोट बैंक मजबूत होगा। कुछ कहते हैं इसके उलट होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, जिस तरह गिरीराज सिंह मंच पर बोले, वो उनकी रणनीति का हिस्सा है। मगर जनता? वो शायद अब समझदार हो गई है। हर बड़े बोल में उसे अब राजनीति की गंध आने लगी है।
चुनाव की फिजा में हवा बदल रही है
सड़कें पोस्टरों से भरी हैं। हर लाउडस्पीकर पर वादा, हर सभा में जज्बात। बीच में अब यह बयान तैर रहा है, जो अभी उतरने का नाम नहीं ले रहा। अरवल से शुरू हुआ यह शब्दों का तूफान अब पूरे बिहार में फैल चुका है। लोग कह रहे हैं, चुनाव जिस दिन नतीजे दिखाएगा, उस दिन समझ आएगा कि यह बयान चुभा था या चला था।
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