ग्रेटर नोएडा हर बार किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार जो खबर बाहर आई है उसने कॉलेज और हॉस्टल जीवन की सुरक्षा पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में हुए ग्रेटर नोएडा हॉस्टल गोलीकांड में एक छात्र की मौत मौके पर ही हो गई थी। अब बीती रात अस्पताल में भर्ती दूसरा छात्र भी जिंदगी की जंग हार गया। यह खबर सुनते ही विद्यार्थियों और अभिभावकों के बीच एक खौफ का माहौल फैल गया है।
गोलीकांड की शुरुआती घटना, जब हॉस्टल में मची अफरा-तफरी
यह घटना बीते सप्ताहांत की देर रात की बताई जा रही है, जब छात्र अपने-अपने कमरों में पढ़ाई और आराम में लगे थे। अचानक हॉस्टल के कॉरिडोर से गोली चलने की आवाज आई और पूरा माहौल सहम गया। हॉस्टल के छात्र और कर्मचारी डर के मारे इधर-उधर भागे। इसी बीच दो छात्रों को गोली लगी। एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल में चला लंबा इलाज, लेकिन नहीं बच सकी जान
गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया छात्र लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया। कई दिनों तक पूरी मेडिकल टीम उसकी जान बचाने की कोशिश करती रही। परिवार हर दिन उम्मीद लगाए बैठा रहा कि उनका बेटा बच जाएगा। मगर मंगलवार देर रात डॉक्टरों ने हार मान ली और छात्र ने दम तोड़ दिया। इस तरह ग्रेटर नोएडा हॉस्टल गोलीकांड में अब दो छात्रों की जान जा चुकी है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच की दिशा
घटना के तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची और इलाके को सील कर दिया गया। फॉरेंसिक टीम ने हॉस्टल से सबूत इकट्ठा किए। शुरुआती जांच के अनुसार, गोलीकांड के पीछे किसी निजी दुश्मनी की आशंका जताई जा रही है। हालांकि अभी पुलिस ने किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से इंकार किया है। संदिग्धों से पूछताछ जारी है और कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि बहुत जल्द पूरे मामले से पर्दा उठाया जाएगा।
कैंपस में छात्रों का गुस्सा और डर
इस दर्दनाक हादसे के बाद से कैंपस में हलचल बढ़ गई है। छात्र गुस्से में हैं और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर हॉस्टल और कैंपस में सुरक्षा ठीक होती, तो ऐसी घटना कभी नहीं घटती। कई अभिभावकों ने भी कॉलेज प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं न कि गोलियों के जख्म उठाने के लिए।
परिवारों का दर्द और समाज में उठते सवाल
पीड़ित छात्रों के परिवार सदमे में हैं। माता-पिता रो-रोकर बेहाल हैं। एक पल में उनकी दुनिया उजड़ गई। समाज में भी बड़े स्तर पर चर्चा है कि जहां छात्र पढ़ने जाते हैं वही जगह अगर खतरनाक बन जाए, तो भरोसा किस पर किया जाए? यह सवाल केवल इन परिवारों का नहीं बल्कि हर उस अभिभावक का है जिनके बच्चे हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
हॉस्टल सुरक्षा व्यवस्था पर खड़ा हुआ बड़ा सवाल
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं बल्कि व्यवस्था की कमजोरी भी उजागर करती है। कॉलेज प्रबंधन पर अब तक गंभीर आरोप लग रहे हैं कि सुरक्षा में लापरवाही बरती गई। सवाल यह उठता है कि कैसे किसी के पास हथियार हॉस्टल तक पहुंच गया? क्या सुरक्षा जांच सिर्फ कागजों तक ही सीमित थी? ऐसे सवाल अब पुलिस और कॉलेज प्रशासन दोनों को जवाबदेह बना रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया
घटना के बाद से स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है। अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी। दूसरी ओर, समाज के नेताओं और संगठनों ने कहा है कि ऐसी घटनाएं युवाओं का भविष्य अंधकारमय कर देती हैं। यह जरूरी है कि सरकार और कॉलेज प्रशासन मिलकर हॉस्टल की सुरक्षा प्रणाली को पूरी तरह दुरुस्त करें।
सपनों की पढ़ाई पर डर का साया छा गया
इस गोलीकांड ने न केवल दो परिवारों की दुनिया उजाड़ी बल्कि अन्य छात्रों के मन में भी भय बैठा दिया है। कई छात्रों ने अपने माता-पिता से कहा है कि वे हॉस्टल छोड़ना चाहते हैं। जबकि कुछ का कहना है कि वे अब पढ़ाई पर ध्यान ही नहीं लगा पा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या शिक्षा का माहौल इतना असुरक्षित हो गया है कि बच्चे घर से बाहर निकलते ही अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं?