Greater Noida : वेस्ट की ऐस सिटी सोसाइटी में मां-बेटे की छलांग हम दुनिया छोड़ रहे हैं सॉरी नोट से मचा सन्नाटा

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ऐस सिटी सोसाइटी में 37 साल की साक्षी चावला और उनके 11 साल के बेटे दक्ष चावला की मौत ने सभी को हिला दिया है। दोनों ने 13वीं मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। घर से ‘हम दुनिया छोड़ रहे हैं, सॉरी…’ लिखा हुआ नोट मिला है। इस दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है और लोग मानसिक तनाव व परिवारिक मतभेद पर सवाल उठा रहे हैं।

Greater Noida : वेस्ट की ऐस सिटी सोसाइटी में मां-बेटे की छलांग हम दुनिया छोड़ रहे हैं सॉरी नोट से मचा सन्नाटा

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ऐस सिटी सोसायटी से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को अंदर तक झकझोर दिया है। शनिवार की शाम यहां रहने वाली 37 साल की साक्षी चावला और उनका 11 साल का बेटा दक्ष चावला अचानक 13वीं मंजिल से कूद गए। नीचे गिरते ही दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे ने सोसायटी में रह रहे लोगों को भय और सदमे में डाल दिया है।

 

हम दुनिया छोड़ रहे हैं, सॉरी  नोट से खुली घटना की सच्चाई

जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो घर से एक छोटा सा नोट मिला। इस नोट में साक्षी ने अपने पति के नाम लिखा था—‘हम दुनिया छोड़ रहे हैं, सॉरी…’। इन कुछ शब्दों ने पूरे मामले को और भी ज्यादा भावुक और रहस्यमय बना दिया। आखिर एक औरत और उसका बच्चा ऐसा कदम क्यों उठाते हैं? यही सवाल अब हर किसी के मन में घूम रहा है।

 

साक्षी चावला और दक्ष चावला की जिंदगी जो अचानक थम गई

साक्षी चावला की उम्र महज़ 37 साल थी। वह एक साधारण गृहिणी के तौर पर जानी जाती थीं और अपने 11 साल के बेटे दक्ष की परवरिश में व्यस्त रहती थीं। दक्ष छठी कक्षा का छात्र था और पढ़ाई में अच्छा था। परिवार और रिश्तेदारों के अनुसार, साक्षी हमेशा अपने बेटे को लेकर फिक्रमंद रही करती थीं। मगर किसी को भी अंदाज़ा नहीं था कि एक दिन वो इतनी बड़ी त्रासदी को जन्म देंगी।

 

CA पति के साथ चल रहा था मतभेद या कुछ और?

पुलिस जांच में शुरुआती जानकारी सामने आई है कि साक्षी के पति चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। परिवार बाहर से देखने में बिल्कुल सामान्य लगता था, लेकिन कहीं न कहीं मानसिक तनाव और गहराए पारिवारिक मतभेद इस दुखद कदम की वजह बन सकते हैं। नोट में सीधे तौर पर किसी पर आरोप नहीं लगाया गया, लेकिन ‘सॉरी’ शब्द ने पति को भी तोड़ कर रख दिया।

 

सोसायटी में मचा कोहराम, गवाहों की आंखें नम

जब इस घटना की खबर सोसायटी में फैली, लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर घटनास्थल की ओर दौड़े। जिन्होंने अपनी आंखों से यह सब देखा, वे अब भी उस क्षण को याद करके सिहर उठते हैं। कहा जा रहा है कि छत से छलांग लगाने के बाद मां-बेटे की चीख तक सुनाई नहीं दी, सिर्फ एक जोरदार आवाज आई। और उसके बाद सबकुछ बदल गया। वहां मौजूद लोग बताते हैं कि दृश्य इतना भयावह था कि कई लोग रो पड़े।

 

मानसिक तनाव और अवसाद की छुपी हुई तस्वीर

यह घटना केवल एक परिवार की निजी त्रासदी नहीं है, बल्कि हमारे समाज की उस हकीकत को भी सामने रखती है, जहां लोग मानसिक तनाव और अवसाद से जूझते रहते हैं। बहुत से लोग अंदर ही अंदर टूट जाते हैं, लेकिन बाहर से साधारण जीवन जीते नज़र आते हैं। किसी को भरोसे में लिए बिना, चुपचाप ऐसी तकलीफ झेलना आखिरकार जानलेवा साबित होता है।

 

पड़ोसियों की कही सुनी बातें और भावुक माहौल

सोसायटी के पड़ोसी बताते हैं कि साक्षी अक्सर अपने बेटे के साथ घर के नीचे खेलते और बातें करती दिखती थीं। उनका व्यवहार सामान्य लगता था। किसी ने कभी यह नहीं सोचा कि उनके अंदर इतना दर्द छिपा है। हादसे के बाद से सोसायटी का माहौल बेहद भारी है। हर गली और सीढ़ी खामोश हो गई है। बच्चे अपने दोस्त दक्ष को याद करके रो रहे हैं। महिलाएं साक्षी की मुस्कान याद कर रही हैं।

 

पुलिस की जांच और आगे की कार्यवाही

पुलिस ने घटनास्थल से नोट बरामद कर लिया है और पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। पति से पूछताछ की जा रही है और यह जानने की कोशिश हो रही है कि आखिर किन हालातों ने मां-बेटे को इतनी चरम स्थिति में पहुंचा दिया। हालांकि स्पष्ट कारण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव को बड़ी वजह माना जा रहा है।

 

इस घटना ने दिए गहरे सवाल

**ग्रेटर नोएडा वेस्ट** की इस घटना ने समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हम अपने परिवार और दोस्तों की परेशानी समय रहते पहचान पा रहे हैं? क्या लोग आज भी अपने दुख और अवसाद को साझा करने में झिझकते हैं? और सबसे अहम—क्या हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चेतना अभी भी अधूरी है? ये सवाल सिर्फ इस घटना तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हम सबकी सोच और जीवनशैली पर गहरा असर डालते हैं।

 

झकझोर देने वाली हकीकत से सबक लेने का समय

साक्षी और दक्ष की मौत ने केवल उनके परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। यह किसी फिल्म या किताब की कहानी नहीं है, बल्कि हकीकत है। यह हमें यह सिखाती है कि अवसाद और तनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अपने आसपास के लोगों पर ध्यान देना और उनके बदलाव को समझना बेहद जरूरी है।

 

अगर मदद मांगें तो हाथ बढ़ाना जरूरी है

ऐसी घटनाएं हमें यह भी बताती हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपनी तकलीफ या अकेलेपन को जाहिर करे, तो हमें उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। उसके पास बैठना, उसकी बात सुनना, उसे सहारा देना—यह सब किसी की जिंदगी बचा सकते हैं। शायद यही इस घटना से सबसे बड़ा सबक है।