गुजरात के देहगाम गांव में उस रात कुछ अलग ही माहौल था। गांव के लोग गरबा नाइट के लिए सजे थे, लेकिन एक सोशल मीडिया पोस्ट ने सब कुछ बदल दिया। अचानक सब कुछ बदल गया, और देखते ही देखते माहौल में तनाव आ गया। इस छोटी-सी पोस्ट ने गांव में बवाल की चिंगारी लगा दी, जिसका नतीजा सभी ने खुद देखा।
गरबा नाइट की खुशियां पल में लिपटी डर और दहशत में
गरबा नाइट सिर्फ नाच-गाने का मौका नहीं होता, यह लोगों को जोड़ने का त्योहार है। लेकिन देहगाम में यह त्योहार उस रात डर और बेचैनी में बदल गया। एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद लोग दो गुटों में बंट गए। देखते ही देखते बात बहस से हिंसा तक पहुंच गई। गांव में अफरा-तफरी मच गई और लोग अपने घरों में दुबक गए।
बीती रात गांधीनगर के देहगाम हुई कोमी हिंसा के बाद स्थिति संपूर्ण नियंत्रण में।
— Dixit Soni (@DixitGujarat) September 25, 2025
दरअसल, सोशल मीडिया में हुई एक पोस्ट के बाद दो समुदाय के बीच बढ़ा था तनाव।
आगजनी और पथराव के बाद पुलिस ने हालात पर काबू पाया।
हिंदू की दुकान जलाने वाले और गरबा पंडाल पर हमला करनेवालों ५० से ज्यादा… pic.twitter.com/70HHpSg9Mt
क्यों बेकाबू हो गई भीड़
बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर एक संवेदनशील पोस्ट डाली गई थी। किसी ने बिना सोचे-समझे शेयर कर दी, और फिर बारूद पर आग पड़ गई। थोड़ी ही देर में दोनों गुट आमने-सामने आ गए। वहां मौजूद युवकों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि हाथापाई के बाद मामला पत्थरबाजी और तोड़फोड़ तक पहुंच गया। माहौल इस कदर बिगड़ा कि संभालना मुश्किल हो गया।
आठ से ज्यादा वाहन तहस-नहस, दुकानों में जमकर तोड़फोड़
हिंसा का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आठ से अधिक वाहन टूट गए। कई लोगों की बाइक, ऑटो और गाड़ियां तोड़ दी गईं। गांव की एक दुकान में घुस कर भीड़ ने पूरी तरह तोड़फोड़ मचाई, सामान फेंक दिया और फिर वहां आग लगा दी। दुकान से उठता धुआं देख लोग घबरा गए। रात भर अफरा-तफरी मची रही।
पुलिस टीम पर भी हमला, हालात काबू से बाहर
हालात को संभालने के लिए पुलिस बुलाई गई थी। पुलिस को लगा था कि उनकी मौजूदगी से लोग शांत हो जाएंगे, लेकिन भीड़ का गुस्सा इसी पर फूट पड़ा। भीड़ ने पुलिस दल को घेर लिया और पत्थर बरसाए। कुछ पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। हालात बिगड़ते देख तुरंत और फोर्स बुलानी पड़ी। रात भर पुलिस आसपास के इलाकों में तैनात रही।
गांव में दहशत, लोगों की आंखों में डर
जब किसी गांव में दंगा या हिंसा होती है, तो वहां की सुकून भरी जिंदगी एक पल में बदल जाती है। घरों में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे पूरी रात जागते रहे। हर किसी के मन में एक ही डर था – पता नहीं किसकी गलती की सजा किसे मिल जाए। गांव के गलियारों में सन्नाटा फैल गया, दुकानदारों ने अगले दिन दुकानें नहीं खोलीं।
सोशल मीडिया: खबर देने का साधन या बवाल का कारण?
आज के समय में सोशल मीडिया एक ताकतवर जरिया बन गया है। एक छोटी सी गलत पोस्ट विकराल रूप ले सकती है। देहगाम जैसी घटनाएं इसी की मिसाल हैं। यहां एक पोस्ट ने गांव का चैन छीन लिया। सोचने की बात यह भी है कि हम सोशल मीडिया पर जो भी पोस्ट करते हैं, उसका असर पूरा समाज झेलता है।
पुलिस प्रशासन की सूझबूझ से काबू में आई स्थिति
हालत बिगड़ने के बाद भी पुलिस ने चुप नहीं बैठी। फोर्स की नई टीम मौके पर पहुंची और गांव को चारों तरफ से घेर लिया। कुछ देर में गांव में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए पुलिस ने फ्लैग मार्च भी निकाला। पूरे दिन इलाके में भारी पुलिस बल तैनात रहा। किसी को भी विवादित इलाकों में जाने की इजाजत नहीं दी गई।
आगे क्या होगा, गांव में लौटेगा भरोसा?
ऐसे हादसों के बाद गांव में भरोसा फिर से बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने दोनों पक्षों से बातचीत कराई और भरोसा दिलाया कि दोषियों पर कार्रवाई होगी। गांव वालों से अपील की गई कि वे सोशल मीडिया की अफवाहों पर ध्यान न दें। शांति बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।
जिम्मेदार सोशल मीडिया इस्तेमाल करें
देहगाम घटना हमें यही सबक देती है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल बहुत सोच-समझ कर करना चाहिए। एक गैर-जिम्मेदाराना पोस्ट पूरे गांव का माहौल खराब कर सकती है। बच्चों, युवाओं और बड़ों को समझना होगा कि कोई भी पोस्ट करने से पहले दस बार सोचें। तभी ऐसे हादसे रोक सकते हैं।