H-1B वीजा हमेशा से अमेरिका और दुनिया के उद्यमियों, निवेशकों और कर्मचारियों के लिए चर्चा का बड़ा विषय रहा है। इसी वीजा को लेकर एक समय ऐसा आया जब टेक उद्यमी एलन मस्क ने खुलकर कहा था कि अगर इस पर गलत फैसले लिए गए, तो वह ऐसी जंग छेड़ देंगे जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। एलन मस्क का यह बयान न केवल सख्त था बल्कि इसने यह भी साफ कर दिया कि H-1B वीजा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं बल्कि नवाचार और नई कंपनियों की नींव है।
एलन मस्क और H-1B वीजा की अहमियत
एलन मस्क खुद एक प्रवासी पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका का सफर तय किया और यहां कंपनियां खड़ी कीं जिनमें Tesla और SpaceX जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। मस्क का कहना है कि H-1B वीजा के चलते हजारों प्रतिभाशाली लोग अमेरिका आए और उन्होंने यहां नई सोच और नई तकनीक को जन्म दिया। अगर यह दरवाजा बंद हो जाता, तो न तो गूगल जैसी कंपनियां खड़ी होतीं और न ही दुनिया को आज की तरह की तकनीकी क्रांति देखने को मिलती।
H-1B वीजा विवाद क्यों हुआ
अमेरिका में लंबे समय से यह बहस चलती रही है कि H-1B वीजा का ज्यादा इस्तेमाल विदेशी लोग कर रहे हैं और इससे अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरियां कम हो रही हैं। कई राजनेता और संगठनों का मानना था कि विदेशी कर्मचारियों की वजह से सैलरी स्ट्रक्चर गड़बड़ा जाता है। इसी कारण H-1B वीजा पर कई बार कड़े नियम बनाए गए और इसे लेकर बहस और विरोध बढ़ा।
मस्क का गुस्सा और चेतावनी
जब यह विवाद अपने चरम पर था, तो मस्क ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अगर अमेरिका ने H-1B वीजा को सीमित करने का गलत कदम उठाया, तो वह इसके खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे कि लोग सोच भी नहीं पाएंगे। मस्क का कहना था कि उन्होंने और उनके जैसे हजारों उद्यमियों ने इसी वीजा की मदद से नई कंपनियां शुरू कीं और लाखों लोगों को रोजगार दिया। ऐसे में इस वीजा को खत्म करना या इसे कमजोर करना अमेरिका के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना होगा।
टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए क्यों जरूरी है H-1B वीजा
टेक्नोलॉजी कंपनियों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और मस्क की अपनी कंपनी Tesla और SpaceX में हजारों ऐसे कर्मचारी काम करते हैं जो H-1B वीजा पर अमेरिका आए। ये लोग अपने साथ नया दृष्टिकोण और हुनर लेकर आते हैं। कंपनियों का मानना है कि अगर विदेशी टैलेंट का दरवाजा बंद कर दिया गया तो अमेरिका अपनी तकनीकी बढ़त खो सकता है और जर्मनी, चीन जैसे देशों से पीछे छूट सकता है।
मस्क का बड़ा नजरिया
एलन मस्क केवल अपनी कंपनियों की बात नहीं करते बल्कि वे अमेरिकी अर्थव्यवस्था की तस्वीर भी देखते हैं। उनका मानना है कि विश्व की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका इसलिए बनी क्योंकि उसने अलग-अलग देशों के प्रतिभावान लोगों को अपनी जमीन पर आने का मौका दिया। आज जब दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नई तकनीकों की ओर बढ़ रही है, तो अमेरिका को और ज्यादा टैलेंट की जरूरत है, ना कि दरवाजे बंद करने की।
H-1B वीजा और आम लोगों का सपना
भारत, चीन, पाकिस्तान और कई अन्य देशों के लाखों विद्यार्थी और युवा हर साल H-1B वीजा के लिए आवेदन करते हैं। वे मानते हैं कि यह वीजा उनके लिए सपनों का टिकट है। इससे उन्हें केवल नौकरी ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतियोगिता करने का मौका मिलता है। यही कारण है कि भारत जैसे देशों में H-1B वीजा हमेशा से एक बड़ी खबर बनी रहती है।
राजनीति और कंपनियों के बीच टकराव
राजनीति करने वालों की नजर जहां नौकरी बचाने पर रहती है, वहीं मस्क जैसे उद्यमियों का ज़ोर नए अवसरों पर होता है। यही टकराव बार-बार सामने आता है। चुनावी वक्त में अमेरिकी नेता यह कहते हैं कि H-1B वीजा से अमेरिका की नौकरियां छीन ली जाती हैं और इसी बहाने इसे सीमित करने की बात करते हैं। जबकि हकीकत यह है कि इन प्रवासी कर्मचारियों की वजह से ही नई नौकरियां पैदा होती हैं और अमेरिका वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत रखता है।
भविष्य का सवाल
आज भी जब यह बहस जारी है, मस्क का बयान लोगों को याद आता है। वह कहते हैं कि अगर अमेरिका उदार होकर टैलेंट को जगह देगा, तो उसकी ताकत बनी रहेगी। लेकिन अगर उसने यह रास्ता रोका, तो अपनी तकनीकी बढ़त खो देगा। मस्क का मानना है कि एक सशक्त भविष्य के लिए H-1B वीजा को मजबूत करना जरूरी है, न कि कमजोर करना।