हाथरस में कारोबारी अभिषेक गुप्ता की हत्या ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। अब इस मामले में ऐसा खुलासा हुआ है जिसने इंसानियत और रिश्तों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस जांच और परिजनों के आरोपों के बाद सामने आया है कि अभिषेक की हत्या की साजिश उसके ही परिवार के भीतर से रची गई थी।
बुआ और भतीजे का रिश्ता बना मौत का कारण
इस कहानी की शुरुआत वहां से होती है जहां खून का रिश्ता इंसानी कमजोरी का शिकार बन गया। परिजनों का कहना है कि अभिषेक गुप्ता की अपनी बुआ पूजा शकुन पांडे उर्फ अन्नपूर्णा भारती से नजदीकी बढ़ी। यह रिश्ता आगे जाकर खतरनाक मोड़ ले गया। बताया जाता है कि बुआ अपने भतीजे के साथ शादी करना चाहती थीं, लेकिन अभिषेक ने इनकार कर दिया। यही इनकार उसकी जिंदगी पर भारी पड़ गया।
ब्लैकमेलिंग और आपत्तिजनक वीडियो का खेल
परिजनों के अनुसार, अभिषेक की बुआ के पास उसकी कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो थे। इन्हीं के सहारे वह लगातार दबाव बना रही थीं। जब अभिषेक ने उनकी मांग मानने से साफ इनकार किया, तो यह मामला ब्लैकमेलिंग तक पहुंच गया। अभिषेक खुद को इस जाल से निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हालात उसके खिलाफ होते चले गए।
तीन लाख में तय हुई मौत
परिजनों ने पुलिस को बताया कि पूजा शकुन पांडे और उनके पति ने मिलकर अभिषेक की हत्या करवाने का फैसला किया। इस काम के लिए तीन लाख रुपये में सुपारी दी गई। कल्पना कीजिए, एक जिंदगी की कीमत महज तीन लाख तय कर दी गई। हत्या को अंजाम देने वालों को पैसे दिए गए और योजना के तहत अभिषेक की जान ले ली गई। यह सुनकर ही रूह कांप उठती है कि एक भतीजा अपनी बुआ की साजिश का शिकार हो गया।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
अभिषेक गुप्ता की मौत के बाद गांव और परिवार में मातम छा गया है। लोग यकीन ही नहीं कर पा रहे कि एक शिक्षित और समाज में सम्मानित दिखने वाली महिला ऐसा घिनौना कदम उठा सकती है। परिजन लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं और चाहते हैं कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले।
पुलिस की जांच में कई नए राज
पुलिस अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि हत्या से जुड़े कई अहम सबूत हाथ लगे हैं। मोबाइल चैट, कॉल डिटेल्स और पैसों के लेन-देन से यह साफ हो रहा है कि हत्या की साजिश लंबे समय से रची जा रही थी। पुलिस का दावा है कि मामले में जल्द ही और बड़े खुलासे होंगे।
समाज के लिए सीख
हाथरस का यह हत्याकांड सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। रिश्ते अगर गलत दिशा में बढ़ते हैं तो नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है, यह इस घटना से साफ दिखता है। पैसों और निजी इच्छाओं के लिए रिश्तों का खून करना इंसानियत पर सबसे बड़ा धब्बा है।
न्याय की उम्मीद
अभिषेक गुप्ता का परिवार अब सिर्फ एक ही बात कह रहा है—उन्हें न्याय चाहिए। समाज और मीडिया दोनों ही इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। हर कोई चाहता है कि दोषियों को ऐसी सजा मिले जो आने वाले वक्त में किसी और को ऐसी हरकत करने से रोक सके।
अंतिम विचार
हाथरस हत्याकांड हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि इंसान जब अपनी इच्छाओं के अंधेरे में डूब जाता है तो खून का रिश्ता भी उसे नहीं रोक पाता। तीन लाख की रकम के लिए भतीजे की जान लेना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि इंसानियत की आत्मा को छलनी करने जैसा अपराध है। अब देखना यह होगा कि कानून कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से इस खौफनाक वारदात का हिसाब चुकता करता है।