कभी-कभी ज़िंदगी इतनी फिल्मी हो जाती है कि स्क्रिप्ट पढ़कर भी यकीन नहीं होता। लेकिन हिमाचल के बिलासपुर जिले में जो हुआ, वो किसी डरावनी कहानी से कम नहीं था। एक चलती निजी बस पर अचानक पहाड़ी से भूस्खलन का मलबा गिरा, और कुछ ही पलों में मुसाफिरी एक त्रासदी में बदल गई। अब तक 18 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, और रेस्क्यू टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं।
सोचिए, एक शांत पहाड़ी रास्ता, बस में सफर करते लोग, और अचानक ऊपर से पहाड़ का एक हिस्सा गिरता है — सब कुछ कुछ ही सेकंड में मलबे में दब जाता है। यही वो भयानक पल था जिसने पूरे हिमाचल को हिला दिया।
यह हादसा बरठीं के भल्लू पुल के पास हुआ, जब मरोतन से घुमारवीं जा रही संतोषी निजी बस शुक्र खड्ड के किनारे से गुजर रही थी। तभी अचानक ऊपर की पहाड़ी से भारी मात्रा में मिट्टी और पत्थर बस की छत पर गिर गए। बस की छत उड़कर नीचे जा गिरी और पूरी गाड़ी मलबे में दब गई। बचाव दल मौके पर पहुंचा और अब तक 18 शव बाहर निकाले जा चुके हैं। राहत की बात यह रही कि दो बच्चियां और एक बच्चा जिंदा निकाले गए। हालांकि, उनमें से एक बच्ची की मां इस हादसे में नहीं बच सकी।
बचाव कर्मियों के मुताबिक बस पूरी तरह दब चुकी थी। ऐसे में हर मिनट कीमती साबित हो रही थी। बरठीं अस्पताल में घायलों का इलाज जारी है और प्रशासन लगातार राहत कार्य में जुटा है। मौके पर हर तरफ अफरातफरी और भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
मुख्यमंत्री सुक्खू से लेकर पीएम मोदी तक, सभी ने जताया दुख — सरकार ने राहत कार्य तेज़ करने और मृतकों के परिवारों को सहायता देने का ऐलान किया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस कठिन समय में प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है और हर संभव सहायता दी जाएगी। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्य में कोई देरी न हो और सभी घायलों को त्वरित उपचार मिले।
मुख्यमंत्री खुद शिमला से स्थिति पर नज़र रख रहे हैं। वहीं, उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने अपना कार्यक्रम छोड़ हादसा स्थल के लिए रवाना हो गए। प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें लगातार मौके पर हैं और मलबे को हटाने में जुटी हैं।
राजनीति के बड़े चेहरे भी हुए भावुक — भाजपा नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और सेलिब्रिटीज़ ने जताया शोक, कहा ‘यह राज्य के लिए काला दिन’।
हादसे की खबर फैलते ही पूरे देश से संवेदनाओं की लहर दौड़ गई। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, अनुराग ठाकुर, जयराम ठाकुर और कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर गहरा दुख व्यक्त किया। यहां तक कि एक्ट्रेस कंगना रनौत ने भी ट्वीट करते हुए पीड़ित परिवारों के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा, “हिमाचल की धरती पर ऐसा दुखद हादसा बेहद पीड़ादायक है।”
सबका कहना एक ही था — यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हिमाचल के हर परिवार के लिए एक भावनात्मक झटका है। नेताओं ने कहा कि सरकार और संगठन पूरी मजबूती से पीड़ितों के साथ खड़े हैं।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने जताया शोक — पीएमएनआरएफ से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता की घोषणा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में हुए हादसे से दुखी हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर घायलों को जल्द स्वस्थ करें।” प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिवारों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता देने की घोषणा की।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं और बचाव कार्य तेजी से जारी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हर संभव मदद करेगी और घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के कारण हुई बस दुर्घटना में कई लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुखद है। अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करती हूं और घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।”
पहाड़ों की खूबसूरती के बीच छिपा डर — हिमाचल जैसे इलाकों में लगातार बारिश और भूस्खलन से हर साल ऐसे हादसे होते हैं, जिनसे सवाल उठता है: क्या हम वाकई तैयार हैं?
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत घाटियां जितनी प्यारी दिखती हैं, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती हैं। हर साल भूस्खलन और सड़क हादसे कई जानें ले जाते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि पहाड़ अब पहले जैसे नहीं रहे, लगातार निर्माण कार्य और बारिश के कारण मिट्टी ढीली हो चुकी है। सवाल ये है — क्या हमारी पहाड़ी व्यवस्था ऐसे हादसों के लिए तैयार है? और अगर नहीं, तो अब और कितनी चेतावनी चाहिए?
बिलासपुर का यह हादसा फिर याद दिलाता है कि पहाड़ों में सफर जितना खूबसूरत है, उतना ही नाज़ुक भी। लेकिन उम्मीद यही है कि हर त्रासदी से कुछ सीख मिले, ताकि अगली बार कोई परिवार इस तरह न टूटे।
ज़िंदगी चलती रहेगी, लेकिन उन 18 मुसाफिरों की यादें हमेशा पहाड़ों की हवा में रहेंगी — शायद ये कहती हुई, “कभी-कभी ठहरना भी ज़रूरी है…”
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क्या हिमाचल बस हादसा: भूस्खलन से मलबे में दबी बस, 18 की मौत; पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने जताया शोक सही दिशा है?
Gaurav Jha
मैं गौरव झा, GCShorts.com पर संपादकीय दिशा, SEO और प्लेटफ़ॉर्म के तकनीकी संचालन का नेतृत्व करता हूँ। मेरा फोकस तेज़, मोबाइल-फर्स्ट अनुभव, स्पष्ट सूचना संरचना और मज़बूत स्ट्रक्चर्ड डेटा पर है, ताकि पाठकों तक भरोसेमंद खबरें शीघ्र और साफ़ तरीके से पहुँचें। पाठकों और समुदाय से मिलने वाले सुझाव/फ़ीडबैक मेरे लिए अहम हैं उन्हीं के आधार पर कवरेज, UX और परफ़ॉर्मेंस में लगातार सुधार करता रहता हूँ।