हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मंडी जिले के सुंदरनगर उपमंडल की निहरी तहसील का ब्रगटा गांव सोमवार रात एक बड़े हादसे का गवाह बना। यहां देर रात भारी भूस्खलन हुआ, जिसकी चपेट में एक घर आ गया। मलबे में दबने से तीन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। राहत और बचाव दल ने कड़ी मशक्कत के बाद दो लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इस दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है।
बारिश के बाद मुश्किल में हिमाचल के पहाड़ी गांव
हिमाचल प्रदेश की ऊंची पहाड़ियों और संकरे रास्तों वाले गांव हर साल बरसात में खतरे से दो-चार होते हैं। इस साल मानसून की बारिश लगातार जानलेवा साबित हो रही है। सोमवार रात जब हिमाचल भूस्खलन ने निहरी में अपना कहर बरपाया, तो लोग अचानक चीख-पुकार सुनकर बाहर निकल पड़े। मलबा इतनी तेजी से नीचे आया कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। गांव के माहौल में अचानक मातम छा गया। बचाव दल को भी अंधेरे और खराब मौसम में राहत कार्य करने में काफी दिक्कत आई।
मलबे में दबकर खत्म हुए जीवन के सपने
ब्रगटा गांव में हुए इस भूस्खलन ने तीन निर्दोष जिंदगियों को छीन लिया। परिवार के लोग बारिश से बचकर घर में सो रहे थे, लेकिन उन्हें अंदाजा तक नहीं था कि अचानक पहाड़ का एक हिस्सा टूटकर उनके घर को निगल जाएगा। जो लोग मारे गए, वे साधारण किसान परिवार से थे। गांव के लोग बताते हैं कि रविवार से ही लगातार पहाड़ी से पत्थर गिरने लगे थे, लेकिन इतने बड़े भूस्खलन की किसी को उम्मीद नहीं थी।
राहत दल की तत्परता और लोगों का सहयोग
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने शोर मचाकर प्रशासन को जानकारी दी। पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर भेजी गई। अंधेरे और फिसलन भरी जमीन के बावजूद बचाव दल ने घंटों की कड़ी मेहनत की। जिन दो लोगों को निकाला गया, उन्हें तुरंत अस्पताल भेजा गया। डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया है। ग्रामीणों ने भी फावड़े और टॉर्च लेकर बचाव दल की मदद की। एक स्थानीय युवक ने बताया कि ऐसे वक्त में पूरा गांव एकजुट होकर काम करता है। यही वजह रही कि दो जिंदगियां बचा ली गईं।
हिमाचल में भूस्खलन की बार-बार बढ़ती घटनाएं
हिमाचल भूस्खलन कोई नई घटना नहीं है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार कटाव और जंगलों की अंधाधुंध कटाई ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। सड़क चौड़ीकरण और भारी मशीनों के इस्तेमाल से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक भी बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि हिमालय क्षेत्र में अचानक बारिश और भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ेंगी। इस बरसात में अकेले मंडी जिला ही नहीं, शिमला, कुल्लू और किन्नौर में भी जानमाल का भारी नुकसान हुआ है।
गांव के लोगों का दर्द और भविष्य की चिंता
ब्रगटा गांव के लोग अभी सदमे में हैं। जिन परिवारों ने अपने अपने प्रियजनों को खोया, उनके घरों में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। पड़ोसी महिलाएं और बुजुर्ग लगातार रो रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि सरकार को अब पहाड़ी इलाकों में रहने वाले परिवारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। बारिश का मौसम हर साल पहाड़ी लोगों के लिए डर लेकर आता है। बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं और बुजुर्ग हर वक्त आसमान की ओर देखकर दुआ करते हैं कि पहाड़ न टूटे।
सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल
हर बार हिमाचल भूस्खलन की खबर आती है, प्रशासन जांच और राहत का भरोसा देता है। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि गांवों में कोई ठोस इंतजाम नहीं होते। कई बार चेतावनी जारी करने के बावजूद लोग समय पर नहीं हट पाते। ब्रगटा गांव की इस घटना के बाद भी लोगों ने सवाल उठाए हैं कि आखिर प्रशासन पहले से क्यों तैयार नहीं था। अगर गांव के लोगों को सुरक्षित जगह भेज दिया जाता, तो शायद ये जानें बच सकती थीं।
विज्ञान और तकनीक से मिल सकता है समाधान
विशेषज्ञ मानते हैं कि आधुनिक तकनीक अपनाकर पहाड़ी गांवों की सुरक्षा के इंतजाम किए जा सकते हैं। पहाड़ों पर सेंसर लगाए जाएं जो जमीन की हलचल को पहले ही पकड़ लें, तो लोगों को समय रहते चेतावनी मिल सकती है। मोबाइल नेटवर्क और सायरन सिस्टम के जरिए अगर गांव वालों तक सही जानकारी पहुंचाई जाए तो वे आसानी से अपने घरों से बाहर निकल सकते हैं। लेकिन इस दिशा में अब तक काम केवल कागजों पर ही सिमटा हुआ है।
मानसून का कहर जरूरी करता है दीर्घकालीन योजना
हर साल की तबाही के बाद अगर वही हालात बने रहे तो आने वाला समय और गंभीर होगा। हिमाचल भूस्खलन से जुड़ी घटनाएं सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि आम लोगों की जिंदगियों से जुड़ी त्रासदी हैं। सरकार को दीर्घकालीन नीतियां बनाकर पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षित आवास, मजबूत सड़कें और वन संरक्षण पर जोर देना होगा। अगर विकास और प्रकृति के बीच संतुलन नहीं बन पाया, तो हर साल पहाड़ी प्रदेशों को इसी तरह खामियाजा भुगतना पड़ेगा।