Himachal University : में SFI और ABVP छात्रों के बीच हिंसक झड़प, छात्रा पर हमला से फैला तनाव
हिमाचल यूनिवर्सिटी में छात्र संगठनों के बीच टकराव एक बार फिर हिंसा में बदल गया। SFI और ABVP के छात्रों के बीच झड़प में एक छात्रा पर हमला हुआ, जिससे परिसर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। यह कोई पहली घटना नहीं है, पहले भी इस तरह की घटनाओं ने विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था और छात्र राजनीति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब छात्र और अभिभावक प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं।
हिमाचल यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को परिसर में उस समय तनाव बढ़ गया जब SFI से जुड़े लगभग 15 से 20 छात्रों ने ABVP की एक छात्रा पर लात-घूंसों से हमला कर दिया। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है। छात्रों के बीच की यह हिंसा अचानक नहीं भड़की, बल्कि इसके पीछे पिछले कई महीनों से चले आ रहे तनाव की झलक साफ नजर आई। बताया जाता है कि जब पीड़ित छात्रा अपने साथियों के साथ कैंपस में थी, तभी विरोधी संगठन के छात्रों ने उस पर हमला कर दिया। मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और आसपास मौजूद लोग कुछ समय तक समझ ही नहीं पाए कि अचानक यह सब कैसे हो गया।
इस पूरे मामले में हैरानी की बात यह है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठा पाया। इससे पहले भी कैंपस में ऐसे घटनाक्रम हो चुके हैं। लेकिन हर बार जांच और कार्रवाई की बातें तो की जाती हैं, मगर परिणाम बहुत कम देखने को मिलते हैं। यह घटना छात्रों की सुरक्षा पर सीधे-सीधे चोट करती है और बताती है कि राजनीतिक संगठनों की खींचतान अब छात्रों के जीवन को खतरे में डाल रही है।
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पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। हिमाचल यूनिवर्सिटी में छात्र संगठनों के बीच झगड़े और मारपीट की खबरें समय-समय पर सामने आती रही हैं। कुछ महीने पहले भी SFI से जुड़े छात्रों पर आरोप लगा था कि उन्होंने एक जनजातीय छात्रा के साथ मारपीट की थी, जिसमें उसका हाथ तक टूट गया था। उस समय भी काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे, मगर प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिणाम यह हुआ कि एक बार फिर वैसी ही घटना ने पूरे कैंपस को हिला दिया।
छात्र राजनीति का असर अकादमिक माहौल पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। जब छात्र अपनी पढ़ाई की बजाय गुटबाजी और झगड़ों में उलझ जाते हैं, तो इसका असर उनके भविष्य पर भी पड़ता है। माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजते हैं, लेकिन जब उन्हें ऐसी घटनाओं की खबर मिलती है तो उनका भरोसा भी डगमगाने लगता है। यह सवाल अब और बड़ा हो गया है कि आखिर क्यों बार-बार हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं और क्यों रोकथाम के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे।
छात्र राजनीति और हिंसा का बढ़ता खतरा
भारतीय विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति हमेशा से चर्चा का विषय रही है। जहां इसे लोकतंत्र की नर्सरी कहा जाता है, वहीं आज यह हिंसा और बदले की भावना से भर चुकी दिख रही है। हिमाचल यूनिवर्सिटी इसका ताजा उदाहरण है। छात्र संगठन अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए अब हिंसक रास्ते अपनाने लगे हैं। यह न केवल संस्थान की छवि को खराब करता है, बल्कि छात्रों के करियर को भी खतरे में डाल देता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि छात्र राजनीति का उद्देश्य छात्रों की समस्याओं का समाधान और उनकी आवाज उठाना होना चाहिए। लेकिन जब यही राजनीति हिंसा और मारपीट का माध्यम बन जाती है, तो इसका नकारात्मक असर पूरे शैक्षणिक माहौल पर पड़ता है। इस बार ABVP छात्रा पर हुआ हमला इस बात का संकेत है कि हालात किस कदर बिगड़ चुके हैं। अगर समय रहते स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल
जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, तब प्रशासन और पुलिस की भूमिका सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में आ जाती है। हिमाचल यूनिवर्सिटी में यह घटना थाने से कुछ ही दूरी पर हुई, मगर समय पर कोई रोकथाम नहीं हो सकी। यह बताता है कि या तो सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है या फिर ऐसी घटनाओं को हल्के में लिया जा रहा है। छात्रों और उनके परिवारों का भरोसा बनाए रखने के लिए प्रशासन को तुरंत और कड़े कदम उठाने होंगे।
कई छात्रों ने इस घटना के बाद विरोध जताया और कहा कि जब तक प्रशासन और पुलिस सख्ती नहीं दिखाएंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर जिम्मेदारी तय क्यों नहीं होती। हर बार छात्रों को ही दोषी ठहराकर मामला दबा दिया जाता है, जबकि असल समस्या की जड़ तक पहुंचने की जरूरत होती है। यह साफ है कि अगर प्रशासन और पुलिस ने अपना काम ईमानदारी से किया होता तो शायद आज हालात इतने बिगड़ते ही नहीं।
आगे का रास्ता और समाधान की उम्मीद
अब सवाल यह है कि इस समस्या का हल कैसे निकले। सबसे पहले तो यह जरूरी है कि हिमाचल यूनिवर्सिटी में छात्रों की सुरक्षा के लिए ठोस इंतजाम किए जाएं। छात्र राजनीति पर पूर्ण प्रतिबंध तो संभव नहीं है, लेकिन इसमें मौजूद हिंसक प्रवृत्तियों पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है। इसके लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे और दोषियों के खिलाफ बिना किसी दबाव के कार्रवाई करनी होगी।
इसके साथ ही, छात्रों को भी समझना होगा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। शिक्षा का असली उद्देश्य ज्ञान और जागरूकता है, न कि विरोधियों पर हमला करना। अगर छात्र संगठन अपने असली मकसद की ओर लौटें और हिंसा छोड़कर संवाद को अपनाएं, तो हालात काफी हद तक सुधर सकते हैं।
समाज और सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वे युवाओं को सही दिशा दिखाएं। आखिरकार, यही छात्र आने वाले समय में देश का नेतृत्व करेंगे। अगर वे हिंसा और झगड़ों में ही उलझे रहेंगे, तो यह पूरे समाज के लिए नुकसानदायक होगा। अब वक्त आ गया है कि सब मिलकर इस समस्या को गंभीरता से लें और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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