मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का मंदसौर दौर आ शनिवार को एक हादसे से बाल-बाल बच गया। गांधी सागर अभयारण्य में हॉट एयर बैलून गतिविधियों का जायजा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री उस समय संकट में फंस गए, जब बैलून के भीतर अचानक आग लग गई। गनीमत रही कि सुरक्षाकर्मी तुरंत हरकत में आए और सीएम को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। अगर यह बैलून हवा में उड़ान भर चुका होता, तो न जाने हादसा कितना बड़ा हो सकता था।
गांधी सागर पहुंचे थे मुख्यमंत्री
शनिवार की सुबह मुख्यमंत्री मोहन यादव मंदसौर पहुंचे थे। उनका कार्यक्रम जिले में कई योजनाओं और विकास कार्यों का जायजा लेने का था। इसी क्रम में वे गांधी सागर अभयारण्य पहुंचे। यह इलाका प्रदेश का अहम पर्यटन स्थल है और यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां न केवल गांधी सागर बांध की खूबसूरती देखने लोग आते हैं, बल्कि अब यहां हॉट एयर बैलून जैसी एडवेंचर गतिविधियों की शुरुआत की जा रही है। मुख्यमंत्री इसी गतिविधि के निरीक्षण के लिए पहुंचे थे।
स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री बैलून के अंदर गए। सबकुछ सामान्य लग रहा था। लेकिन अचानक आग लगने से वहां अफरातफरी का माहौल बन गया। सुरक्षाकर्मियों ने बिना समय गंवाए सीएम को बाहर निकाला और तुरंत आग पर काबू पा लिया। यह पूरा घटनाक्रम कुछ ही मिनटों में सिमट गया लेकिन तनाव और घबराहट हर किसी के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी।
कैसे लगी आग, सवाल अभी भी बाकी
हॉट एयर बैलून में लगी आग को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक कारण सामने नहीं आया है। तकनीकी खराबी थी या हवा की तेज गति, इस पर फिलहाल जांच की जा रही है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, उस समय हवा की रफ्तार लगभग 20 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। ऐसे हालात में बैलून का संतुलन बनाए रखना आसान नहीं था। इसी वजह से बैलून उड़ान नहीं भर पाया और शायद इसी दौरान आग भड़क गई। अगर बैलून नियंत्रित स्थिति से बाहर जाकर हवा में उठ जाता, तो स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती थी।
इस घटना से यह भी साफ होता है कि ऐसी एडवेंचर गतिविधियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षा प्रोटोकॉल और व्यवस्थित तैयारी कितनी जरूरी है। खासकर तब, जब खुद राज्य का मुख्यमंत्री इसमें शामिल हो। फिलहाल मुख्य सवाल यही है कि बैलून की तकनीकी सुरक्षा जांच कितने सख्त मानकों के तहत हुई थी।
पूरी तरह सुरक्षित हैं मुख्यमंत्री
हादसे के बावजूद मुख्यमंत्री मोहन यादव को किसी तरह की चोट नहीं आई है। उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के बाद डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच की जिसमें वे स्वस्थ पाए गए। हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री की सुरक्षा टीम और प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली। मुख्यमंत्री भी शांति के साथ सुरक्षा कर्मियों का धन्यवाद करते नजर आए। उन्होंने साफ कहा कि 'यदि उनके साथी सतर्कता नहीं दिखाते तो स्थिति गंभीर हो सकती थी।'
मुख्यमंत्री को सुरक्षित देखकर वहां मौजूद लोगों को बड़ी राहत मिली। यह बात साफ है कि हालात ने कुछ पलों के लिए सबकी धड़कनें रोक दी थीं। घटनास्थल पर मौजूद आम लोग भी इस पल को कभी नहीं भूल पाएंगे जब प्रदेश के मुखिया कुछ सेकंड के लिए जानलेवा खतरे में आ गए थे।
हादसे के समय का माहौल
जब बैलून में आग लगी, उस समय वहां पर मौजूद अधिकारी, सुरक्षाकर्मी और कुछ स्थानीय लोग पूरी तरह से सन्न रह गए। देखते ही देखते धुआं उठने लगा और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। पुलिस और प्रशासन तुरंत हरकत में आया। सुरक्षाकर्मी किसी भी जोखिम की परवाह किए बिना मुख्यमंत्री को बाहर खींच लाए। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने राहत की सांस ली। वहां मौजूद गवाह कहते हैं कि पल भर के लिए सबको लगा कि प्रदेश का बड़ा नेता किसी बड़ी दुर्घटना में फंस गया है।
स्थानीय प्रशासन और दमकलकर्मियों ने तुरंत आग को काबू में किया। इस दौरान घटनास्थल पर स्थिति को सामान्य करने की कोशिशें जारी रहीं। कुछ लोगों ने अपने फोन पर पूरी घटना रिकॉर्ड की, लेकिन सुरक्षा कारणों से आसपास ज्यादा भीड़ को रोका गया।
बैलून पर सवाल, पर्यटन पर असर?
मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में हाल ही में हॉट एयर बैलून गतिविधि शुरू की गई है। इसे पर्यटन बढ़ाने और लोगों को नया आकर्षण देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री के हादसे में फंसने से अब इस गतिविधि पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। क्या सुरक्षा मानक पर्याप्त हैं? क्या तकनीकी मजबूती और प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध है? यह सब जांच का विषय बन गया है।
पर्यटन विभाग का दावा है कि एडवेंचर गतिविधियों के लिए सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। लेकिन यह घटना बताती है कि किसी भी असावधानी या तकनीकी खामी से किस तरह बड़ी दुर्घटना हो सकती है। अब देखना होगा कि इस हादसे के बाद विभाग क्या नए कदम उठाता है।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
घटना की खबर फैलते ही मंदसौर और आसपास के इलाकों में चर्चा तेज हो गई। लोगों को सबसे पहले मुख्यमंत्री की सुरक्षा की चिंता रही। सोशल मीडिया पर भी खबर तेजी से फैली और कई लोगों ने राहत जाहिर की कि सीएम सुरक्षित हैं। कुछ ने सवाल भी उठाए कि आखिर बिना पूरी तैयारी के ऐसी गतिविधियों में राज्य के मुख्यमंत्री को क्यों शामिल किया गया।
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि हादसा सबक बनने की जरूरत है। पर्यटन अच्छा है, एडवेंचर गतिविधियों से क्षेत्र को पहचान मिलती है लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। खासकर तब, जब राज्य के प्रमुख नेता किसी कार्यक्रम में शामिल हों।
सुरक्षा इंतजाम की मांग
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना के रूप में नहीं देखा जाएगा, बल्कि यह सवाल भी उठेगा कि क्या पर्यटन स्थलों पर एडवेंचर गतिविधियों के लिए सुरक्षात्मक इंतजाम पर्याप्त हैं। लोगों की मांग है कि भविष्य में ऐसी किसी भी गतिविधि का आयोजन और सख्त सुरक्षा मानकों के साथ होना चाहिए। बैलून उड़ने से पहले पूरी तकनीकी जांच हो और प्रशिक्षित स्टाफ हर समय मौजूद रहे।
अगर इस बार मुख्यमंत्री सुरक्षित हैं तो यह सिर्फ सुरक्षाकर्मियों की त्वरित कार्यवाही की वजह से संभव हुआ है। भविष्य में ऐसी चूक न हो, इसके लिए यह घटना एक चेतावनी के रूप में सामने आई है।