IAS दुर्गा शक्ति नागपाल: सिस्टम की शेरनी से हर्जाना विवाद तक की कहानी

कभी रेत माफिया के खिलाफ अपनी सख़्ती से सुर्खियों में आईं IAS दुर्गा शक्ति नागपाल एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार कारण है IARI द्वारा लगाया गया 1.63 करोड़ रुपये का हर्जाना। संस्थान का दावा है कि नागपाल ने सरकारी बंगला खाली करने में देरी की। वहीं, उन्होंने कहा कि यह देरी माता-पिता के इलाज की वजह से हुई। जानिए कौन हैं दुर्गा शक्ति नागपाल, जिनकी ईमानदारी और सख़्ती आज भी मिसाल है।

IAS दुर्गा शक्ति नागपाल: सिस्टम की शेरनी से हर्जाना विवाद तक की कहानी

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    कभी नाम सुनते ही लोगों को ईमानदारी और सख़्ती याद आ जाती थी — IAS दुर्गा शक्ति नागपाल, वो अफसर जिन्होंने रेत माफिया से टकराने में भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। अब एक बार फिर वो खबरों में हैं, लेकिन इस बार वजह थोड़ी अलग है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने उन पर 1.63 करोड़ रुपये का हर्जाना ठोक दिया है। कारण — सरकारी बंगले को तीन साल तक खाली न करना।

     

    1.63 करोड़ का मामला: कैसे IAS दुर्गा शक्ति नागपाल फिर आईं चर्चा में

    दिल्ली के पूसा रोड स्थित IARI ने दावा किया कि दुर्गा शक्ति नागपाल ने आवंटन खत्म होने के बाद भी तीन साल तक बंगला अपने पास रखा। अब इस मामले में संस्थान ने उनसे हर्जाना मांगा है। नागपाल ने अपनी सफाई में कहा है कि उन्होंने बंगला अपने माता-पिता के इलाज के लिए थोड़े समय तक रखा था। लेकिन, जैसा कि सरकारी फाइलों में होता है — हर कहानी में एक ‘if’ और ‘but’ होता ही है।

     

    UPSC में टॉपर और सिस्टम की ‘आयरन लेडी’

    IAS दुर्गा शक्ति नागपाल का नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया था जब उन्होंने 2013 में नोएडा में अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्होंने सिस्टम को सीधा संदेश दिया — "कानून सबके लिए बराबर है"। हालांकि, उसी सख़्ती के चलते उन्हें निलंबित भी किया गया था। लेकिन इस घटना ने उन्हें जनता की नज़रों में एक ईमानदार और निर्भीक अधिकारी बना दिया।

    2010 बैच की IAS नागपाल आगरा की रहने वाली हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया। UPSC में उन्होंने दूसरी कोशिश में 20वीं रैंक हासिल की थी — यानी दृढ़ निश्चय और डेडिकेशन दोनों फुल चार्ज में थे!

     

    IAS पति से शादी और फिर ‘फिल्मी मोड़’

    दुर्गा शक्ति नागपाल के पति अभिषेक सिंह भी IAS अधिकारी थे, 2011 बैच के। दोनों की कहानी किसी प्रेरक किताब जैसी लगती है — दो होनहार अफसर, एक ही सर्विस, और एक ही मिशन: जनता की सेवा। लेकिन फिर कहानी में ट्विस्ट आया। अभिषेक सिंह ने साल 2023 में IAS की नौकरी छोड़कर एक्टिंग में कदम रख दिया।

    आज वो वेब सीरीज़ ‘Delhi Crime’ में नजर आ चुके हैं और फिल्मों में भी कदम रख चुके हैं। हां, अब वो ऑनस्क्रीन “एक्शन” करते हैं, जबकि दुर्गा शक्ति नागपाल रियल लाइफ में "एक्शन" के लिए जानी जाती हैं। क्या कहें, एक पावर कपल, बस दो अलग-अलग स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहे हैं!

     

    IAS दुर्गा शक्ति नागपाल का करियर और सफर — प्रेरणा और विवादों का संगम

    नागपाल का करियर हमेशा सुर्खियों में रहा। चाहे अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम हों या ट्रांसफर विवाद — उन्होंने कभी झुका नहीं। उन्हें सिस्टम में बदलाव की उम्मीद का चेहरा माना जाता है। उनकी सादगी, ईमानदारी और निर्णायक रवैया कई युवाओं को UPSC की तैयारी के लिए प्रेरित करता है।

    फिलहाल, 1.63 करोड़ का मामला उनके करियर के लिए एक नया अध्याय खोल रहा है। हालांकि, जिन्होंने रेत माफिया को झुका दिया, उनके लिए एक नोटिस शायद “सिर्फ एक और पेपरवर्क” भर हो।

     

    दिल और दिमाग से बैलेंस — यही है दुर्गा शक्ति नागपाल की असली ताकत

    IAS दुर्गा शक्ति नागपाल आज भी युवाओं के बीच “सिस्टम चेंजर अफसर” के रूप में जानी जाती हैं। उनकी कहानी बताती है कि पावर का मतलब सिर्फ कुर्सी नहीं, जिम्मेदारी होती है। भले ही विवादों ने उन्हें कई बार घेरा, लेकिन उन्होंने कभी ईमानदारी की डोर नहीं छोड़ी।

    और शायद यही वजह है कि आज भी जब कोई लड़की कहती है “मुझे IAS बनना है”, तो उसके मन में दुर्गा शक्ति नागपाल जैसा नाम जरूर गूंजता है।

     

    एक अफसर, एक इंसान, और अब फिर से खबरों की हेडलाइन

    अब देखना ये है कि IARI का ये मामला किस दिशा में जाता है। लेकिन इतना तय है कि दुर्गा शक्ति नागपाल की कहानी सिर्फ प्रशासनिक सेवा की नहीं, बल्कि उस आत्मविश्वास की है जो हर कठिनाई को ठोकर मारकर आगे बढ़ता है।

    एक वक्त था जब वो रेत खनन रोक रही थीं, अब उन पर “बंगला केस” चल रहा है — पर दोनों में एक चीज़ कॉमन है: वो झुकती नहीं हैं।

     

    निष्कर्ष (थोड़ा दिल से)

    IAS दुर्गा शक्ति नागपाल का नाम आज भी उसी इज़्जत और इम्पैक्ट के साथ लिया जाता है जैसे दस साल पहले। चाहे सिस्टम से लड़ना हो या अपने परिवार की ज़िम्मेदारी निभानी हो — उन्होंने हमेशा अपने सिद्धांतों को प्राथमिकता दी। और यही उन्हें बाकी अफसरों से अलग बनाता है — क्योंकि अफसर बहुत हैं, लेकिन ‘दुर्गा’ सिर्फ एक है!

    IAS दुर्गा शक्ति नागपाल पर हर्जाना: क्या यह उचित है?

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