Income Tax Notice: भारत में टैक्स अनुपालन तेजी से डिजिटल होता जा रहा है, और इसी बदलाव के बीच इस साल बड़ी संख्या में करदाताओं को इनकम टैक्स नोटिस भेजे गए हैं। कई लोग इसे “टैक्स चोरी पकड़ने की कार्रवाई” समझते हैं, जबकि असलियत इससे अलग है यह बदलाव पूर्व अनुमानित अनुपालन और पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया कदम है। विभाग कहता है कि अधिकतर नोटिस सुधार का मौका देने के लिए भेजे जाते हैं, न कि दंडित करने के लिए।
डेटा मिलान में बढ़ी सख्ती: क्यों आ रहे हैं इतने नोटिस?
2025 में अब तक 15 लाख से अधिक ई-नोटिस जारी किए जा चुके हैं। डिजिटल सिस्टम के विस्तार के साथ आयकर विभाग अब बैंकों, प्रॉपर्टी रजिस्ट्री दफ्तरों, स्टॉक एक्सचेंज और GST फाइलिंग से प्राप्त जानकारी को सीधे AIS (Annual Information Statement) में एकीकृत कर देता है। यदि करदाता की घोषित आय और थर्ड-पार्टी डेटा में कोई असंगति पाई जाती है, तो सिस्टम स्वतः अलर्ट जारी कर देता है।
पहले जहां ऑडिट मैनुअल तरीके से किए जाते थे, वहीं अब तकनीक आधारित रियल-टाइम डेटा ट्रैकिंग प्रणाली लागू की गई है। इसका उद्देश्य करदाताओं को समय रहते अपनी त्रुटियों को सुधारने का अवसर प्रदान करना है। डिजिटल निगरानी बढ़ने के बाद से AIS, TDS, बैंक लेनदेन और हाई-वैल्यू डील्स में असमानताएं टैक्स नोटिसों का प्रमुख कारण बनकर उभरी हैं।
नोटिस आए तो घबराएँ नहीं: नए नियम और आपकी जिम्मेदारियाँ
नया टैक्स सिस्टम करदाताओं पर दबाव नहीं डालता, बल्कि उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देता है। नोटिस आने पर सबसे पहले उसे पोर्टल पर वेरीफाई करें। सेक्शन नंबर, प्रतिक्रिया की समयसीमा और मांगे गए दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें। AIS और बैंक स्टेटमेंट के मिलान से आधी समस्या यहीं खत्म हो जाती है।
धारा 139(9), 142(1), 143(1) और 148 के तहत भेजे जाने वाले नोटिस आज डिजिटल प्रोसेस का हिस्सा बन चुके हैं। 80% से ज्यादा ई-नोटिस बिना किसी फिजिकल सुनवाई के निपटा दिए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। गलत ITR, डिडक्शंस में त्रुटि, HRA का गलत दावा, कैश डिपॉजिट रिपोर्टिंग या शेयर-म्यूचुअल फंड लेन-देन जैसे मुद्दे सामान्य कारण हैं जिन्हें आसानी से सुधारा जा सकता है।
डिजिटल टैक्स डैशबोर्ड: अब आपका नया टैक्स कमांड सेंटर
इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल अब पूरी तरह से व्यक्तिगत अनुपालन कंसोल बन चुका है। लॉग-इन करते ही “Pending Actions” और “e-Proceedings” सेक्शन आपकी पूरी टैक्स हेल्थ रिपोर्ट दिखाते हैं। AIS, TIS और 26AS को हर महीने चेक करना अब एक जरूरी आदत माननी चाहिए। “Authenticate Notice/Order” फीचर यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी ईमेल या SMS असली है या फर्जी। वहीं “Compliance Portal” आपके PAN से जुड़े सभी हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शंस की लिस्ट देता है.
नई टैक्स योजना पारदर्शिता पर आधारित है जहाँ करदाता अपने डेटा को जितना सुव्यवस्थित रखेगा, नोटिस आने की संभावना उतनी ही कम होगी। टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में “Proactive Compliance” टैक्स सिस्टम का मुख्य स्तंभ बनने जा रहा है।
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