India China Trade: सीमा तनाव के चार साल बाद भारत और चीन के बीच India China Trade को लेकर एक बार फिर से सकारात्मक संकेत सामने आए हैं। केंद्र सरकार अब चीन और अन्य देशों से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, जूते, स्टील, और रोजमर्रा के घरेलू सामानों के लंबित आयात प्रस्तावों को मंजूरी देने की तैयारी में है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब जीएसटी में हालिया कटौती के बाद उपभोक्ता वस्तुओं की मांग तेजी से बढ़ी है। सरकार का मानना है कि आयात से सप्लाई चेन सुधरेगी और त्योहारों के सीजन में बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी।
सीमा तनाव से व्यापारिक बदलाव तक अब बदल रहा है दृष्टिकोण
साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत ने चीन से आने वाले कई उत्पादों पर रोक लगा दी थी। उस वक्त “भारत और चीन संबंध” काफी तनावपूर्ण हो गए थे। लेकिन अब सरकार का रुख बदलता दिखाई दे रहा है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने हाल ही में सभी प्रमुख उद्योग निकायों से विदेशी निर्माताओं के सर्टिफिकेशन से जुड़ी देरी पर रिपोर्ट मांगी है। यह कदम दर्शाता है कि भारत एक संतुलित और व्यावहारिक व्यापार नीति की ओर बढ़ रहा है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, आने वाले हफ्तों में चीन समेत अन्य देशों के सप्लायर्स को लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कदम स्थानीय उद्योगों को भी राहत देगा क्योंकि कई कंपनियां कच्चे माल की कमी से जूझ रही हैं।
BIS अप्रूवल से सुधरेगी क्वालिटी और सप्लाई चेन
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के नियमों के अनुसार, चाहे निर्माण इकाई भारत में हो या विदेश में — किसी भी उत्पाद को क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) के तहत अप्रूवल जरूरी है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट से लेकर बी2बी प्रोडक्ट्स तक शामिल हैं।
जहां भारतीय कंपनियों को मंजूरी जल्दी मिल जाती है, वहीं विदेशी प्लांट्स को अप्रूवल में लंबा समय लगता था। इससे चाइनीस सामान के आयात पर रोक जैसी स्थिति बनी रही थी, जिसने कई भारतीय उद्योगों की सप्लाई चेन पर असर डाला।
अब इस प्रक्रिया को तेज करने से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, जूते और घरेलू सामान के बाजार में उपलब्धता सुधरेगी। यह न सिर्फ उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है बल्कि छोटे निर्माताओं को भी प्रतिस्पर्धा में बने रहने में मदद करेगी।
नए व्यापार संकेत और राजनीतिक नजदीकियां
हाल ही में चीन ने छह महीने के अंतराल के बाद भारत को दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक (rare earth magnets) का निर्यात फिर शुरू किया है। यह rare earth china news के तहत एक बड़ा कदम माना जा रहा है क्योंकि इससे इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर एनर्जी और मोबाइल इंडस्ट्री जैसे क्षेत्रों को स्थिरता मिलेगी।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और भारतीय व्यापार वीजा जारी होना फिर से शुरू हुआ है। ये सारे संकेत बताते हैं कि भारत और चीन के बीच व्यापार में फिर से विश्वास और संतुलन लौट रहा है।
भविष्य की दिशा आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक जुड़ाव
विश्लेषकों का मानना है कि भारत फिलहाल आत्मनिर्भरता और वैश्विक जुड़ाव के बीच संतुलन बना रहा है। ‘trade between india and china’ में सुधार से न केवल औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि उपभोक्ता बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। सरकार अब “Make in India” और “Ease of Doing Business” दोनों को संतुलित तरीके से आगे बढ़ाना चाहती है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति से स्थानीय उद्योगों को तकनीकी उन्नति, रोजगार और निर्यात अवसरों में सुधार देखने को मिलेगा। यदि यह नीति संतुलित तरीके से लागू होती है तो आने वाले वर्षों में भारत-चीन व्यापारिक समीकरण एक नए दौर में प्रवेश कर सकता है।
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