सीधी बात कहूँ तो, 2025 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहन मार्केट ऐसा बढ़ने वाला है कि लोग पेट्रोल कार लेने से पहले दो बार सोचेंगे। एसएंडपी की रिपोर्ट कहती है कि मार्केट तीन गुना बढ़ जाएगा। और हाँ, दस साल ऑटो इंडस्ट्री में काम करने के बाद मैं ये कह सकता हूँ कि ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं।
जहाँ तक मेरा अनुभव है, अब लोग सिर्फ दिखावे के लिए गाड़ी नहीं खरीदते। टिकाऊ गाड़ी चाहिए, बैटरी भरोसेमंद चाहिए, और चार्जिंग नेटवर्क आसान होना चाहिए। मुझे अभी भी याद है जब मैंने पहली बार एक इलेक्ट्रिक कार टेस्ट ड्राइव की थी सॉफ्टवेयर अजीब था, स्क्रीन फ्रीज हो गई, और डीलर बस हाथ उठाकर चला गया। तब मुझे लगा, सारी हाइप के पीछे भी अगर आधार कमजोर हो तो फायदा नहीं।
कंपनियां तैयार हैं, पर क्या सच में?
मार्केट बढ़ने वाला है, ये सही है, लेकिन असली सवाल ये है कि कंपनियां कितनी तैयार हैं। महिंद्रा, टाटा, ओला—सब बैटरियों और चार्जिंग नेटवर्क में भारी निवेश कर रहे हैं। लेकिन मेरा अनुभव कहता है, योजनाएँ और असली दुनिया का अनुभव अक्सर मेल नहीं खाते। उदाहरण के तौर पर, एक मॉडल ने 500 किलोमीटर रेंज का दावा किया था, लेकिन असली में मैंने बस 380 किलोमीटर ही देखा।
एक और बात, एक डीलर ने मुझसे कहा, “सर, हम इलेक्ट्रिक वाहन बेच रहे हैं, लेकिन सर्विस सेंटर अभी सिर्फ बड़े शहरों में हैं। गांवों में? भूल जाओ।” ये छोटी बात लग सकती है, लेकिन खरीदारों का भरोसा बहुत प्रभावित होती है।

बदलता ग्राहक नजरिया
अब लोग सिर्फ कीमत या दिखावे के हिसाब से कार नहीं लेते। टिकाऊपन, सॉफ्टवेयर की विश्वसनीयता और resale वैल्यू मायने रखती है। मैंने तीन साल पुराने एक इलेक्ट्रिक कार के मालिक से बात की उसने कहा, “बैटरी अच्छी है, लेकिन डैशबोर्ड का लैग बहुत परेशान करता है।” ऐसे छोटे फीडबैक दिखाते हैं कि विकास जरूर आएगा, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं।
मार्केट तीन गुना बढ़ने वाला है, ये रोमांचक है। लेकिन विकास सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगा। कंपनियों को अपना खेल मजबूत रखना होगा। अगर इलेक्ट्रिक वाहन वाकई अपने वादे पूरे करें, तो विकास टिकाऊ होगा, वरना हाइप जल्दी फीका पड़ जाएगा।
अंत में सोच
सीधी बात, भारत में इलेक्ट्रिक वाहन विकास अवश्य होगा। लेकिन असली चुनौती कंपनियों के लिए है खरीदारों का भरोसा जीतना और डिलीवरी में ईमानदारी रखना। मेरे दस साल के अनुभव में, सिर्फ तकनीक या प्रचार से लंबी अवधि का असर नहीं बनता। छोटे बग, सेवा की कमी और पारदर्शिता की कमी बाजार का भरोसा जल्दी तोड़ सकती है।
तो हाँ, 2025 आने वाला है और इलेक्ट्रिक वाहन पूरे भारत में तेजी से फैलेंगे। लेकिन खरीदार और कंपनियां दोनों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।


