केंद्र सरकार ने बीमा क्षेत्र में बड़ा बदलाव: 100% एफडीआई मंज़ूर
केंद्र सरकार ने बीमा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा सुधार करते हुए बीमा कंपनियों में 100% एफडीआई की अनुमति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इस महत्वपूर्ण फैसले को मंज़ूरी मिली। सरकार का मानना है कि इस कदम से देश में अधिक विदेशी पूंजी आएगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ मिलेंगी।
यह प्रस्तावित संशोधन शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार Insurance Laws (Amendment) Bill 2025 को इस सूची में शामिल किया गया है। यह बिल बीमा क्षेत्र में विकास को तेज करने, व्यापार करने में आसानी बढ़ाने और बीमा की पहुँच को व्यापक बनाने का लक्ष्य रखता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एफडीआई सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने की घोषणा की थी। अभी तक बीमा उद्योग में कुल 82,000 करोड़ रुपये का एफडीआई आ चुका है, और सरकार को उम्मीद है कि नई नीति से यह निवेश और तेज़ी से बढ़ेगा।
प्रस्तावित बदलावों में Insurance Act, 1938 में कई संशोधन शामिल हैं। सरकार पूँजी की आवश्यक शर्तों को कम करने, एक कॉम्पोज़िट लाइसेंस फ्रेमवर्क बनाने और एफडीआई कैप को पूरी तरह खोलने की तैयारी में है। इसके साथ ही LIC Act 1956 और IRDAI Act 1999 में भी बदलाव होंगे, जिससे एलआईसी के बोर्ड को नए शाखाएँ खोलने और कर्मचारियों की भर्ती जैसे संचालन संबंधी मामलों पर अधिक अधिकार मिलेंगे।
इन सुधारों का मुख्य उद्देश्य नीति धारकों की सुरक्षा मजबूत करना, उद्योग में अधिक खिलाड़ियों को लाना और देश की अर्थव्यवस्था में नए रोजगार अवसर पैदा करना है। सरकार का लक्ष्य है कि इन बड़े सुधारों से भारत में बीमा कवरेज बढ़े और वर्ष 2047 तक सबके लिए बीमा का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
बीमा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला Insurance Act 1938 देश की बीमा व्यवस्था की नींव है। यह अधिनियम बीमा कंपनियों की संरचना, नीति धारकों, शेयरधारकों और नियामक के बीच संबंध तय करता है। नई नीतियों से उद्योग का ढाँचा और अधिक मजबूत और आधुनिक बनने की उम्मीद है।


