भारत सोने को लेकर दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में गिना जाता है। यहां सोने का इस्तेमाल केवल गहनों के लिए ही नहीं बल्कि बचत और निवेश के तौर पर भी बहुत किया जाता है। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर भारत का सबसे बड़ा गोल्ड मार्केट कौन सा है और क्या वहां से सोना सस्ता खरीदा जा सकता है। इस सवाल का जवाब ढूंढना आसान नहीं है क्योंकि सोने की कीमत देशभर में एक जैसी रहती है, लेकिन फिर भी बाजार के हिसाब से थोड़ा अंतर नजर आता है।
सोने की सप्लाई कहां से होती है और क्यों है खास दिल्ली का बाजार
भारत में सोने की आधिकारिक सप्लाई विदेशों से आयात के जरिए होती है। बीच-बीच में सरकार सोने पर आयात शुल्क बढ़ाती या घटाती है जिसका असर सीधे इसकी कीमत पर पड़ता है। अब बात आती है देश के सबसे बड़े बाजार की। पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक और दरियागंज इलाका सोने और चांदी के व्यापार का बहुत पुराना और बड़ा केंद्र माना जाता है। यहां से पूरे उत्तर भारत में सोने की सप्लाई होती है। यही वजह है कि बहुत से लोग इसे भारत का सबसे बड़ा सोना बाजार कहते हैं।
क्या यहां मिलता है सस्ता सोना या फर्क बहुत कम है
आम लोग अक्सर मानते हैं कि बड़े बाजारों में जाकर उन्हें सस्ता सोना मिल जाएगा। लेकिन सच यह है कि सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत रोज तय होती है और उसी के आधार पर देशभर में रेट बदलता रहता है। किसी भी बड़े बाजार जैसे चांदनी चौक या मुंबई के झवेरी बाजार में ज्वेलरी दुकानदार अपने हिसाब से मेकिंग चार्ज लेते हैं। हां, यह जरूर है कि बड़े बाजारों में दुकानदारों की संख्या ज्यादा रहने की वजह से वहां मोलभाव की गुंजाइश बढ़ जाती है। यही कारण है कि कई लोग मानते हैं कि इन जगहों पर सोना थोड़ा सस्ता पड़ जाता है। लेकिन अगर अंतर को देखा जाए तो यह बहुत मामूली होता है।
झवेरी बाजार और चांदनी चौक का महत्व
मुंबई का झवेरी बाजार भी सोने के व्यापार के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां हजारों दुकाने हैं और दिन-रात कारोबार चलता है। यहां से न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक सोना और ज्वेलरी भेजी जाती है। ठीक वैसे ही चांदनी चौक के बाजार में भी हर प्रकार के गोल्ड ज्वेलरी मिलते हैं। यदि कोई शुद्धता यानी करेक्ट हॉलमार्क वाला सोना चाहता है तो इन जगहों पर उसे भरोसा मिल जाता है क्योंकि यहां पर पुराने से पुराने व्यापारी भी इस धंधे को नियमों के साथ आगे बढ़ाते आ रहे हैं।
नकली और असली सोना पहचानने की जिम्मेदारी भी ग्राहक की
बड़े बाजारों में ग्राहक की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है। हर दुकान पर भरोसा करना ठीक नहीं। जो भी सोना खरीदें वह हॉलमार्क वाला होना चाहिए। सरकार ने 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट सोने पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है। ऐसे में अगर कोई भी ग्राहक भारत के सबसे बड़े गोल्ड मार्केट में जाकर खरीदारी करता है तो उसे पक्का देखना चाहिए कि ज्वेलरी पर नकली मुहर या घटिया गोल्ड न हो।
सोना क्यों है भारतीय संस्कृति और बचत का अहम हिस्सा
भारत में सोने को केवल आभूषण के रूप में नहीं बल्कि संस्कृति और भविष्य की सुरक्षा से भी जोड़ा जाता है। शादी-ब्याह हो या कोई त्योहार, सोने के बिना खरीदारी अधूरी मानी जाती है। यही वजह है कि भारत में चाहे आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, लोग सोने की ओर हमेशा आकर्षित रहते हैं। बड़े बाजार जैसे चांदनी चौक और झवेरी बाजार इन्हीं परंपराओं के कारण अब भी भीड़ से भरे रहते हैं।
क्या वास्तव में बड़े बाजार से सोना खरीदना फायदेमंद है
अगर समझदारी से देखा जाए तो सोना कहीं से भी खरीदें, उसकी कीमत वैश्विक मानकों पर टिकी रहती है। फर्क केवल मेकिंग चार्ज और छूट पर होता है। कोई ग्राहक अगर बड़े बाजार जाता है तो वहां दुकानदारों की अधिकता से मोलभाव का फायदा मिल सकता है। इसके अलावा डिजाइन की विविधता भी मिलती है। लेकिन यह मान लेना कि बड़े बाजार से सोना बेहद सस्ता मिल जाएगा ठीक नहीं है। वहां गुणवत्ता और भरोसा जरूर मिलता है पर कीमत वही होती है जो पूरे देश में निर्धारित की जाती है।


