मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में सोमवार शाम का वक्त लोगों के लिए कभी न भूलने वाला साबित हुआ। इंदौर एयरपोर्ट रोड स्थित शिक्षक नगर इलाके में अचानक एक बेकाबू ट्रक ने अपना संतुलन खो दिया और सड़क पर चल रहे लोगों पर चढ़ गया। देखते ही देखते पूरा इलाका चीख-पुकार और अफरा-तफरी से गूंज उठा। इस भीषण सड़क हादसे में मौके पर मौजूद दो लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि पांच से सात लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
लोगों की आंखों के सामने पलभर में गई मासूम जिंदगियाँ
इस दर्दनाक हादसे का मंजर इतना डरावना था कि इसे वहां मौजूद लोग जिंदगीभर भूल नहीं पाएंगे। जो लोग हादसे के वक्त शिक्षक नगर चौक के आसपास थे, उन्होंने बताया कि ट्रक तेजी से आ रहा था। ड्राइवर का संतुलन बिगड़ते ही ट्रक सीधे राहगीरों और दोपहिया वाहनों पर चढ़ गया। कई लोग सड़क पर गिर पड़े और कुछ लोग ट्रक की चपेट में आ गए। मौत और चीखों का यह मंजर देखकर हर कोई सन्न रह गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसा इतने कम समय में हुआ कि किसी को संभलने का अवसर तक नहीं मिला।
एयरपोर्ट रोड बार-बार हादसों के लिए क्यों बन रही है खतरा
इंदौर एयरपोर्ट रोड बीते कुछ सालों में लगातार दुर्घटनाओं का केंद्र बन चुकी है। कई महत्वपूर्ण कॉलोनियां और बाजार इस सड़क से जुड़े होने के कारण यहां ट्रैफिक का दबाव हमेशा रहता है। हालांकि सड़क चौड़ी है, लेकिन तेज रफ्तार वाहनों और भारी ट्रकों की लगातार आवाजाही स्थानीय लोगों के लिए खतरा पैदा करती है। लोगों का मानना है कि प्रशासन ने इस मार्ग पर नियमित पुलिस गश्त और ट्रैफिक नियंत्रण की व्यवस्था नहीं की है। यही वजह है कि ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जा रही हैं और आम लोग इसकी कीमत अपनी जान देकर चुका रहे हैं।
मौके पर तड़पते रहे घायल और राहगीरों ने बढ़ाया मदद का हाथ
हादसे के तुरंत बाद लोग अपनी जान की परवाह किए बिना घायलों को संभालने दौड़े। जिसने जो देखा, उसे अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की। वहां मौजूद राहगीर और स्थानीय लोग अपनी गाड़ियों से घायलों को नजदीकी अस्पताल लेकर पहुंचे। चश्मदीदों ने बताया कि कुछ लोग वहीं सड़क पर गंभीर रूप से तड़प रहे थे और समय पर मदद न मिलने पर उनकी जान चली गई। इंदौर जैसे शहर में, जहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर मानी जाती हैं, वहां भी हादसे के तुरंत बाद एंबुलेंस का न आना लोगों के गुस्से का कारण बना।
पुलिस और प्रशासन की ओर से राहत कार्य, लेकिन सवाल अब भी कायम
हादसे के बाद इंदौर पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। घटनास्थल को चारों ओर से घेरकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। वहीं मृतकों के परिजनों को हादसे की सूचना दी गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और ट्रक चालक की तलाश जारी है। हालांकि स्थानीय लोगों का सवाल अब भी बरकरार है कि आखिर क्यों शहर की सबसे व्यस्त सड़कों पर इतनी ढिलाई बरती जाती है। समय रहते अगर प्रशासन ने कड़ी निगरानी रखी होती तो शायद ये लोग आज जिंदा होते।
परिजनों पर टूटा दुख का पहाड़, रोते-रोते बेहाल हुए घर
जिन परिवारों ने इस सड़क हादसे में अपने प्रियजनों को खो दिया, उनका दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। गम में डूबे परिजनों की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे हैं। आसपास के समाज के लोग भी उनके घर पहुंचे और सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन परिवार के लोगों का दुख इतना गहरा है कि उन्हें किसी भी शब्द से दिलासा नहीं दिया जा सकता। मौत की खबर सुनते ही पूरे मोहल्ले में मातम छा गया।
इंदौर जैसे विकसित शहर में बड़ी लापरवाही पर उठे सवाल
इंदौर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा वाणिज्यिक शहर माना जाता है। यहां बेहतर सड़कें, बाजार और नियम-कानून की व्यवस्था होने का दावा किया जाता है। ऐसे में एयरपोर्ट रोड जैसा अहम मार्ग अगर सुरक्षा के मामले में कमजोर साबित होता है तो यह बड़ी चिंता की बात है। स्थानीय लोगों ने कहा कि सड़क पर कई जगह स्ट्रीट लाइट काम नहीं करतीं। रात के समय अंधेरा छा जाता है और वाहनों की तेज रफ्तार और हादसों की आशंका बढ़ जाती है। इसके बावजूद उचित कदम न उठाना प्रशासन की गंभीर लापरवाही बताई जा रही है।
सड़क सुरक्षा और नियमों की अनदेखी से बढ़ रही घटनाएँ
हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएं नई बात नहीं हैं। लेकिन हर बार ऐसा हादसा किसी परिवार की जिंदगी उथल-पुथल कर जाता है। इंदौर में हुए इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सड़क सुरक्षा के नियमों का सख्ती से पालन कराना कितना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों की नियमित जांच, ड्राइवरों की प्रशिक्षण व्यवस्था और सड़क पर समय-समय पर निगरानी ही ऐसे हादसों को रोक सकती है। स्थानीय लोग बार-बार मांग कर रहे हैं कि एयरपोर्ट रोड जैसे इलाकों में ट्रकों और भारी वाहनों की आवाजाही को सीमित किया जाए।
प्रशासन और समाज को मिलकर उठाने होंगे ठोस कदम
आज जब इंदौर जैसे शहर लोग स्मार्ट सिटी के ख्वाब देख रहे हैं, तब इतनी बड़ी घटनाएं उन सपनों को कमजोर कर देती हैं। इस हादसे से सबक लेने का वक्त है। प्रशासन को न केवल ट्रैफिक नियमों का पालन करवाना होगा बल्कि सड़कों पर हर समय पुलिस की मौजूदगी भी सुनिश्चित करनी होगी। यहां रहने वाले नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। तेज रफ्तार और लापरवाही भरी ड्राइविंग न केवल अपनी बल्कि दूसरों की जान के लिए भी खतरा बनती है।