मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाले इंदौर में सोमवार देर रात एक बड़ा हादसा हो गया। रानीपुरा इलाके में स्थित करीब पचास साल पुरानी तीन मंजिला इमारत अचानक गिर गई। इमारत गिरते ही इलाके में चीख-पुकार मच गई और चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए इकट्ठा हो गए, वहीं आसपास रहने वाले लोग घरों से बाहर निकलकर मदद करने पहुंचे। इस घटना की खबर जैसे ही फैली, पूरा मोहल्ला दहशत में आ गया। घटना में दो लोगों की मौत हो गई और 12 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।
हादसे में घायल लोग एमवायएच अस्पताल में भर्ती
जिन लोगों को गंभीर चोटें आई हैं उन्हें तुरंत एंबुलेंस की मदद से एमवायएच अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक घायल मरीजों में कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन ने सभी घायलों का इलाज शुरु कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घायलों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल सभी घायलों की देखभाल की जा रही है और किसी भी मरीज को इलाज में देर नहीं की गई।
स्थानीय लोगों की मदद से शुरू हुआ राहत और बचाव कार्य
इमारत गिरते ही आसपास के लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। लोगों ने रात के अंधेरे में मशाल और मोबाइल की टॉर्च जलाकर मलबा हटाने की कोशिश की। थोड़ी ही देर में पुलिस और नगर निगम की टीम मौके पर पहुंच गई। एनडीआरएफ की टीम को भी राहत कार्य के लिए बुलाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इमारत पहले से ही जर्जर हालत में थी और इसकी हालत देखकर कई बार नगर निगम को शिकायत भी की गई थी। लेकिन समय रहते कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया। हादसे ने प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
इमारत की जांच की जाएगी और कार्रवाई होगी
नगर निगम अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। अधिकारियों ने माना कि इमारत काफी पुरानी थी और फिलहाल यह जांच की जाएगी कि गिरी इमारत पर समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इंदौर नगर निगम ने कहा है कि इस हादसे की पूरी जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं इलाके के लोगों ने कहा कि आसपास कई और पुरानी इमारतें खस्ताहाल स्थिति में हैं, जिन्हें तुरंत खाली कराया जाना चाहिए ताकि आगे ऐसे हादसे न हों।
घटना के बाद लोगों में डर का माहौल
हादसे के बाद रानीपुरा के लोग बेहद सहमे हुए हैं। कई परिवारों ने एहतियात के तौर पर अपने घर छोड़ दिए हैं और रिश्तेदारों या सुरक्षित इलाकों में रात गुजारी। बच्चों और बुजुर्गों में सबसे ज्यादा डर देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर इमारत गिरने का वक्त दिन में होता तो हादसा और बड़ा हो सकता था।
इंदौर जैसे शहरों में पुरानी इमारतें बन रहीं खतरा
यह हादसा फिर से इस सवाल को सामने लाता है कि शहरों में पुरानी और जर्जर इमारतों पर क्यों नजर नहीं रखी जाती। इंदौर जैसे तेजी से बढ़ते शहरों में नई-नई इमारतें तो बन रही हैं लेकिन पुराने मकान और बिल्डिंगें टूटने की हालत में खड़ी हैं। लोग बार-बार शिकायतें करते हैं लेकिन कार्रवाई तभी होती है जब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है। यह एक बड़ी चुनौती है कि विकास के साथ-साथ ऐसी इमारतों की पहचान और समय पर देखभाल भी की जाए।
प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को मदद का भरोसा दिलाया
मध्यप्रदेश सरकार और इंदौर जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवारों की हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है। जिन दो लोगों की मौत हुई है, उनके परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की गई है। साथ ही सभी घायलों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। स्थानीय नेताओं और अफसरों ने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना और परिजनों को हिम्मत दी।
लापरवाही से सबक लेने की जरूरत
हर हादसे के बाद जांच होती है, मुआवजा दिया जाता है और प्रशासन की ओर से भरोसा दिलाया जाता है। लेकिन समय के साथ सब कुछ भुला दिया जाता है। अगर समय रहते ऐसी पुरानी और जर्जर इमारतों को खाली करा दिया जाए या तोड़ा जाए तो कई जिंदगियां बच सकती हैं। इंदौर के रानीपुरा हादसे ने एक बार फिर प्रशासन और आम लोगों को सतर्क रहने का संदेश दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या इस हादसे के बाद जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कदम उठाते हैं या यह भी सिर्फ एक और हादसे की तरह भुला दिया जाएगा।