आयकर रिटर्न (ITR) में अंडररिपोर्टिंग और मिसरिपोर्टिंग: जानें क्या है फर्क और क्यों हो सकता है भारी नुकसान
ITR दाखिल करते समय अंडररिपोर्टिंग और मिसरिपोर्टिंग आम गलतियाँ हैं, जो न केवल जुर्माने बल्कि कानूनी कार्रवाई का कारण भी बन सकती हैं। जानें इनके बीच का अंतर, नियम और बचाव के उपाय।
आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना हर करदाता की एक ज़िम्मेदारी है, जिसमें अपनी वास्तविक आय को सही तरीके से बताना ज़रूरी होता है। लेकिन कई बार लोग जानबूझकर या अनजाने में अपनी आमदनी को कम दिखा देते हैं या गलत जानकारी दे देते हैं। इसे ही अंडररिपोर्टिंग और मिसरिपोर्टिंग कहा जाता है। यह गलती आपके लिए वित्तीय बोझ, जुर्माना और कानूनी परेशानी खड़ी कर सकती है।
अंडररिपोर्टिंग क्या है?
जब कोई करदाता अपनी वास्तविक आय से कम आय दिखाता है और कर योग्य हिस्से को रिटर्न से हटा देता है, तो इसे अंडररिपोर्टिंग कहा जाता है। उदाहरण के लिए, किसी को सालाना ₹10 लाख की आय है लेकिन वह सिर्फ ₹8 लाख दिखाता है।
Related Articles
मिसरिपोर्टिंग क्या है?
मिसरिपोर्टिंग का मतलब है आय के स्रोत या प्रकार के बारे में गलत जानकारी देना। जैसे कि गलत इनकम डिटेल देना, ऐसे डिडक्शन का दावा करना जिसके लिए आप पात्र नहीं हैं या फर्जी खर्चे और बिल दिखाना।
क्यों ज़रूरी है आय की सही रिपोर्टिंग?
आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, आय की गलत रिपोर्टिंग से न सिर्फ अतिरिक्त कर और ब्याज देना पड़ सकता है बल्कि जुर्माना, नोटिस और गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
आयकर अधिनियम के तहत नियम और दंड
धारा 270A: अगर मूल्यांकन अधिकारी को लगता है कि आपकी रिटर्न में आय कम दिखाई गई है या गलत दावा किया गया है, तो टैक्स के बकाया हिस्से पर 50% तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जानबूझकर की गई मिसरिपोर्टिंग (जैसे फर्जी बिल, गलत दावे, तथ्यों को छुपाना) पर टैक्स के 200% तक का जुर्माना लग सकता है।
ब्याज प्रावधान: धारा 234A, 234B और 234C के तहत टैक्स की देरी से अदायगी पर लगातार ब्याज जुड़ता रहता है।
नोटिस और जांच: अगर आपके AIS, फॉर्म 26AS, बैंक डिटेल्स या थर्ड पार्टी रिपोर्टिंग में गड़बड़ी मिलती है तो विभाग नोटिस भेज सकता है।
अन्य नुकसान
गलत रिपोर्टिंग से वैध छूट और कटौती भी खारिज हो सकती है।
गंभीर मामलों में आयकर चोरी के आरोप लग सकते हैं, जिससे भारी जुर्माना और जेल तक हो सकती है।
निष्कर्ष
आईटीआर में अंडररिपोर्टिंग या मिसरिपोर्टिंग करना आपके वित्तीय और व्यक्तिगत जीवन पर गंभीर असर डाल सकता है। करदाताओं को हमेशा अपनी आय को पारदर्शी, सटीक और समय पर दर्ज करना चाहिए ताकि किसी कानूनी मुसीबत से बचा जा सके।
ये भी पढ़ें
संगीता एक अनुभवी फाइनेंस ब्लॉग राइटर हैं, जो gcshorts.com के लिए उच्च गुणवत्ता वाली जानकारीपूर्ण सामग्री लिखती हैं। वे पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट टिप्स, बजट प्लानिंग, सेविंग हैक्स और फाइनेंशियल लिटरेसी जैसे विषयों पर गहराई से लिखने में माहिर हैं। उनका उद्देश्य है पाठकों को सरल भाषा में जटिल वित्तीय जानकारियां समझाना, ताकि हर कोई अपने पैसों को समझदारी से मैनेज कर सके। Sangita के आर्टिकल्स में आपको हमेशा ट्रेंडिंग फाइनेंस न्यूज़, प्रैक्टिकल टिप्स और सटीक रिसर्च पर आधारित जानकारी मिलेगी।
-
ITR ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि बढ़ी: अब 10 दिसंबर 2025 तक भर सकते हैं रिटर्न -
NHPC JE Admit Card 2025: एनएचपीसी जूनियर इंजीनियर परीक्षा एडमिट कार्ड जारी, यहां डाउनलोड करें हॉल टिकट -
Orkla India IPO 2025: MTR, Eastern और Rasoi Magic ब्रांड्स के लिए निवेश अवसर -
Pawan Singh ने किया बड़ा ऐलान: बिहार विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगे हिस्सा -
दरभंगा विधायक मिश्रीलाल यादव का बीजेपी से इस्तीफा, बोले- पिछड़ों का सम्मान नहीं हुआ, -
Arun Kumar returns to Nitish Kumars politics : जहानाबाद के पूर्व सांसद ने अपने बेटे के साथ फिर से थामा जेडीयू का दामन, भूमिहार वोट बैंक में जेडीयू को मिलेगी मजबूती।