Jabalpur High Court : ने रायसेन कलेक्टर के खिलाफ जारी किया वारंट, कड़ी फटकार भी सुनाई
जबलपुर हाईकोर्ट ने रायसेन कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा के खिलाफ 25 हजार रुपये का वारंट जारी किया है और कड़ी फटकार लगाई है। यह कार्रवाई 23 साल पुराने पारिवारिक संपत्ति विवाद के आदेशों का पालन न करने पर हुई है। कोर्ट ने कलेक्टर को अदालत में पेश होने को कहा है और साथ ही राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को भी जवाब देने का आदेश दिया है। यह मामला प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर बड़ा उदाहरण बना है।
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने उन्हें २५ हजार रुपये के जुर्माने के साथ वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई २३ साल पुराने पारिवारिक संपत्ति विवाद से जुड़े मामले में हुई है, जिसमें कलेक्टर ने रेवेन्यू बोर्ड के आदेशों का अनुपालन नहीं किया था।
Related Articles
मामले की पृष्ठभूमि
यह विवाद करीब २३ साल पुराना है और इसका संबंध एक पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे से है। उस समय रेवेन्यू बोर्ड ने कुछ आदेश जारी किए थे, जिनका पालन नहीं होने के कारण मामला न्यायालय तक पहुंचा। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में रायसेन कलेक्टर को तलब किया था, लेकिन वे कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। इसके बजाय, उन्होंने अपना जवाब अदालत को भेजा था, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने मामले में अपील दायर की है, इसलिए आदेश का पालन नहीं हो सकता।
जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
कलेक्टर के जवाब पर जबलपुर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई और उनके रवैये को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह काम कलेक्टर पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। अदालत ने जिला पुलिस प्रमुख को कलेक्टर के खिलाफ वारंट तामिल करने का आदेश दिया। इसके साथ ही राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को भी इस मामले में जवाब देने के लिए कोर्ट में तलब किया गया है।
अदालत ने कुल मिलाकर क्या कहा?
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी अधिकारी को कानून के आदेशों का पालन करना अनिवार्य है। किसी भी स्थिति में अपील या अन्य मामलों का हवाला देकर आदेश मानने से इंकार नहीं किया जा सकता। कलेक्टर जैसे प्रतिष्ठित पद पर रहने वालों से उम्मीद की जाती है कि वे न्यायालय के आदेशों का सम्मान करें और समय पर पेश होकर मामले का निपटारा सुनिश्चित करें।
कलेक्टर को कब पेश होना होगा?
जबलपुर हाईकोर्ट ने २२ सितंबर २०२५ को कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। इसी दिन राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को भी इस मामले में जवाब देने के लिए सम्मन भेजा गया है। यह सुनवाई इस मामले की आगे की दिशा तय करेगी।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति अदालत की सख्त नज़रों को दर्शाता है। विशेषकर जब बात २३ साल पुराने फैसले के पालन की हो, तो प्रशासनिक अधिकारियों से जवाबदेही की उम्मीद बढ़ जाती है। यह कदम न्यायपालिका की यह भावना जाहिर करता है कि अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन गंभीरता से करें, अन्यथा कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी।
मध्य प्रदेश में प्रशासनिक जवाबदेही का बिगुल
हाल ही में मध्य प्रदेश की कई अदालतों ने प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया है, ताकि जनता को न्याय दिलाने में सरकारी दफ्तर बाधा न बनें। ऐसे उदाहरण न्यायपालिका की जनता को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।
ये भी पढ़ें
नाम है सौरभ झा, रिपोर्टर हूँ GCShorts.com में। इंडिया की राजनीति, आम लोगों के झमेले, टेक या बिज़नेस सब पर नजर रहती है मेरी। मेरा स्टाइल? फटाफट, सटीक अपडेट्स, सिंपल एक्सप्लेनर्स और फैक्ट-चेक में पूरा भरोसा। आप तक खबर पहुंचे, वो भी बिना घुमा-फिरा के, यही मकसद है।
-
150 Years of Vande Mataram: जानिए कैसे इस गीत ने जगाई थी आज़ादी की आग! -
Firozzabad News : धूमधाम से मनाया गया गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व -
Vote Chori: क्या वाकई हो रही है वोट चोरी? राहुल गांधी के बयान से मचा सियासी हड़कंप -
CCRH Recruitment 2025: 89 सरकारी नौकरियों का सुनहरा मौका! बिना परीक्षा के भी मिल सकती है नौकरी -
Bihar Election: अब बिहार की राजनीति में डिग्री की एंट्री! जानिए कौन-कौन पढ़े-लिखे नेता मैदान में उतरे हैं -
Mirzapur Train Accident: कुंड में डुबकी से पहले मौत की डुबकी! मिर्जापुर में कालका मेल से 6 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत