राजस्थान के जैसलमेर में हुआ वह हादसा आज भी लोगों की आंखों में आंसू ला देता है। एक सादा सा सफर, जिसमें एक परिवार अपने बच्चों के साथ निकल पड़ा था, अचानक मौत की आग में बदल गया। इस बर्निंग बस हादसे में मां-बाप, दो बेटियां और एक बेटा समेत पूरे परिवार की दर्दनाक मौत हो गई। जो बस मुसाफिरों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाने निकली थी, वो खुद उनकी आखिरी मंज़िल बन गई।
सपनों से भरे परिवार की एक झलक
यह परिवार जैसलमेर जिले के पास के एक छोटे से कस्बे से रिश्तेदारों से मिलने जा रहा था। पिता एक सरकारी स्कूल में टीचर थे, मां गृहिणी थीं। बेटियां स्कूल में पढ़ती थीं और बेटा अभी दसवीं कक्षा में था। तीनों बच्चों की अपनी-अपनी छोटी खुशियां थीं — कोई डॉक्टर बनने का सपना देख रहा था, कोई खिलौने बनाती थी, और कोई बस मां की मदद करता था। किसी को क्या पता था कि यही परिवार अब कभी साथ नहीं दिखेगा।
कैसे हुआ जैसलमेर का बर्निंग बस हादसा
सुबह का वक्त था। लोग अपने-अपने काम पर निकल रहे थे। लगभग 10 बजे के करीब राजस्थान रोडवेज की बस जैसलमेर से जोधपुर जा रही थी। अचानक सड़क पर सामने से आती ट्रक से बस की जोरदार टक्कर हो गई। कुछ ही पलों में बस में आग लग गई और देखते ही देखते चारों तरफ धुआं छा गया। यात्रियों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें गूंजने लगीं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग इतनी भीषण थी कि कई लोग बाहर निकल ही नहीं पाए। कुछ यात्रियों ने विंडो तोड़कर अपनी जान बचाई, लेकिन इस परिवार के पास ऐसा कोई मौका नहीं था। वो सब एक साथ पीछे की सीट पर बैठे थे, जहां आग सबसे पहले पहुंच गई।
मां की आखिरी पुकार जिसने सबका दिल तोड़ दिया
हादसे के बाद मौके पर पहुंचे राहतकर्मी और पुलिसकर्मी खुद भी उस दृश्य को देखकर सन्न रह गए। बताया जाता है कि जब बचाव दल पहुंचा, तब बस के भीतर से एक महिला की आवाज सुनी गई। वह अपने बच्चों को पुकार रही थी। लेकिन आग ने सब कुछ तब तक निगल लिया था। कुछ मिनटों बाद अंदर से कोई आवाज नहीं आई। वहां सिर्फ धुआं था, राख थी और कुछ पिघले हुए प्लास्टिक के टुकड़े।
पूरा गांव सन्नाटा में डूब गया
जब इस हादसे की खबर परिवार के गांव पहुंची तो हर घर में मातम छा गया। लोग उस परिवार को जानते थे, प्यार करते थे। गांव की गलियों में चारों तरफ चुप्पी थी। बच्चों के स्कूल में सुबह प्रार्थना के वक्त उनके नाम लेकर श्रद्धांजलि दी गई। टीचर रो पड़े, क्योंकि उन्होंने अपने साथी और उनके बच्चों को एक साथ खो दिया था।
सरकार और प्रशासन का बयान
राज्य के मुख्यमंत्री ने हादसे पर गहरा शोक जताया और जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि जैसलमेर बर्निंग बस हादसा राज्य के इतिहास की सबसे दर्दनाक दुर्घटनाओं में से एक है। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का ऐलान भी किया, लेकिन ज्यादातर लोग कह रहे थे — किसी पैसे से क्या उस मां-बाप और उनके बच्चों की कमी पूरी हो सकती है?
त्रासदी जिसने देश को भावुक कर दिया
इस हादसे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। हर कोई उस जली हुई बस को देखकर कांप उठा। आम लोग एक-दूसरे से कहते रहे कि जिंदगी कितनी अनिश्चित है। कुछ ही पलों में खुशहाल परिवार राख में बदल गया। इससे सीखने की बात यही है कि सड़क पर वाहन चलाते वक्त सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
मानवीय संवेदना की मिसाल बने लोग
हादसे के बाद कई स्थानीय लोग बिना देर किए मदद के लिए पहुंचे। अपने कपड़ों से आग बुझाने की कोशिश की, घायल यात्रियों को अस्पताल तक पहुंचाया। कई लोगों ने रातभर खून दान किया। इस मुश्किल घड़ी में इंसानियत का असली चेहरा देखने को मिला। जैसलमेर के लोगों ने साबित किया कि दर्द में भी एकजुट होकर जीने का साहस बचा रहना चाहिए।
एक परिवार की यादें जो अब हमेशा रहेंगी
आज उस परिवार का घर खाली है, लेकिन दीवारों पर अब भी बच्चों की हंसी की गूंज सुनाई देती है। मां की साड़ी की खुशबू अब भी कुछ कोनों में बसी है। गांव के लोग कहते हैं — वो तो चले गए, लेकिन अपनी यादें छोड़ गए। हर त्योहार पर, हर सुबह-शाम, जब किसी की बस निकलती दिखती है, लोग उस दिन की चर्चा किए बिना नहीं रह पाते।
जिंदगी की सच्चाई जो यह हादसा सिखा गया
यह कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं है, यह याद दिलाती है कि पलभर में सब कुछ खत्म हो सकता है। इसलिए जब तक जीवन है, एक-दूसरे को प्यार करें, अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें और कभी लापरवाही न करें। जैसलमेर बर्निंग बस हादसा न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी बन गया है कि सड़क पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी एक पल में जिंदगी की डोर तोड़ सकती है।
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Khanna Saini
मेरा नाम खन्ना सैनी है। मैं एक समाचार लेखक और कंटेंट क्रिएटर हूँ, और वर्तमान में GC Shorts के साथ जुड़ा हूँ। मुझे समाज, संस्कृति, इतिहास और ताज़ा घटनाओं पर लिखना पसंद है। मेरा प्रयास रहता है कि मैं पाठकों तक सही, रोचक और प्रेरक जानकारी पहुँचा सकूँ।