Jan Aushadhi Yojana : हर गली-मोहल्ले में खुलेगा सस्ती दवाओं संग कमाई का भी मौका

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना से अब हर कोई सस्ती जेनेरिक दवाओं का लाभ घर‑घर तक पहुंचा सकता है। इस योजना के तहत न सिर्फ आम जनता को 70–90% तक कम कीमत में दवा मिलेगी, बल्कि युवाओं और उद्यमियों के लिए रोजगार और कमाई का सुनहरा अवसर भी मिलेगा। सरकार की ओर से मिलने वाला प्रोत्साहन और दवाओं पर तय मार्जिन आपकी स्थायी आय को और मजबूत बनाता है।

Jan Aushadhi Yojana : हर गली-मोहल्ले में खुलेगा सस्ती दवाओं संग कमाई का भी मौका

आज के समय में महंगी दवाइयों की कीमत आम जनता की जेब पर किसी बोझ से कम नहीं है। अस्पताल में डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं की कीमत सुनकर अक्सर लोग परेशान हो जाते हैं। प्रधानमंत्री जन औषधि योजना ने इसी समस्या का हल खोजकर देशभर में एक नई उम्मीद जगाई है। इस योजना के जरिए गरीब से गरीब व्यक्ति भी जरूरी दवाइयां बेहद कम दाम में प्राप्त कर सकता है। इतना ही नहीं, अगर आप अपना रोजगार शुरू करना चाहते हैं तो जन औषधि केंद्र खोलना भी एक बेहतर विकल्प बन सकता है।

 

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना क्यों शुरू की गई

सरकार ने इस योजना की शुरुआत साल 2008 में की थी लेकिन इसे असल ताकत 2015 के बाद मिली। इस योजना का उद्देश्य है कि देश का हर नागरिक अच्छे इलाज से वंचित न रहे, खासकर दवा की कीमतों को लेकर। बाजार में जो दवा 200 रुपये में मिलती है, वही जन औषधि केंद्र पर 20 से 50 रुपये तक उपलब्ध हो जाती है। इस तरह से मरीजों का आर्थिक बोझ कम होता है और दवाएं सभी तक पहुंचती हैं।

 

जन औषधि केंद्र क्या है

जन औषधि केंद्र एक तरह की फार्मेसी शॉप होती है जहां केवल जेनेरिक दवाएं बेची जाती हैं। इन दवाओं की विशेषता यह है कि इनमें ब्रांडिंग का खर्च नहीं जोड़ा जाता, इसलिए ये बेहद किफायती होती हैं। गुणवत्ता और प्रभाव में ये दवाएं बिल्कुल उन्हीं ब्रांडेड दवाओं जैसी होती हैं जिन्हें बड़े फार्मा कंपनियां ऊंचे दामों पर बेचती हैं।

 

कौन खोल सकता है जन औषधि केंद्र

इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति जन औषधि केंद्र खोल सकता है। चाहे वह बेरोजगार युवा हो, पंजीकृत डॉक्टर हो, फार्मासिस्ट हो, या फिर कोई एनजीओ। यहां तक कि किसी भी स्वयं सहायता समूह या ट्रस्ट को भी इसका लाइसेंस मिल सकता है। शर्त बस यही है कि आपके पास दवाइयां बेचने का वैध लाइसेंस होना चाहिए और दुकान के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।

 

जन औषधि केंद्र खोलने की प्रक्रिया

जन औषधि केंद्र खोलने के लिए सबसे पहले आवेदन करना होता है। इसके लिए आपको ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (BPPI) की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना पड़ता है। यहां ऑनलाइन फॉर्म उपलब्ध होता है जिसे भरकर सब्मिट करना होता है। आवेदन के साथ जरूरी दस्तावेज भी अपलोड करने पड़ते हैं। इनमें फार्मा डिग्री या डिप्लोमा सर्टिफिकेट, ड्रग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट या दुकान के स्वामित्व का प्रमाण शामिल होता है।

 

दुकान के लिए न्यूनतम जगह कितनी होनी चाहिए

जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आपके पास कम से कम 120 वर्ग फीट जगह होनी चाहिए। दुकान ऐसी जगह होनी चाहिए जहां लोगों की आसानी से पहुंच हो सके और मेडिकल स्टोर जैसा माहौल हो। यदि आप बड़ी सड़क या बाजार में दुकान खोलते हैं तो इसका फायदा और भी ज्यादा मिलेगा, क्योंकि अधिक भीड़ होने से बिक्री बढ़ेगी।

सरकार की ओर से मिलने वाली मदद

जन औषधि केंद्र खोलने वालों को सरकार की ओर से विशेष प्रोत्साहन भी दिया जाता है। केंद्र सरकार हर दुकान को दवा स्टॉक करने के लिए अधिकतम 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देती है। साथ ही बिक्री पर आधारित इंसेंटिव भी जोड़े जाते हैं। यानी जितनी ज्यादा बिक्री होगी, उतना ज्यादा लाभ भी मिलेगा।

 

कमाई कितनी हो सकती है

जब आप जन औषधि केंद्र खोलते हैं तो आपकी बिक्री पर आधारित अच्छा मुनाफा मिलता है। आमतौर पर इन दवाओं के वितरण पर 20 फीसदी तक का मार्जिन रखा जाता है। इसके अलावा सरकार से मिलने वाली इंसेंटिव स्कीम अलग होती है। अगर आपकी दुकान भीड़भाड़ वाले इलाके में है, तो महीने भर में लाखों रुपये की बिक्री कोई मुश्किल काम नहीं है। इस तरह से आप एक स्थायी और सम्मानजनक आय प्राप्त कर सकते हैं।

 

जन औषधि केंद्र क्यों है बेहतर विकल्प

आज भी देश के एक बड़े हिस्से में लोग महंगी दवाएं खरीदने में सक्षम नहीं हैं। बहुत से मरीज इलाज अधूरा छोड़ देते हैं, जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ जाती हैं। जन औषधि केंद्र इस समस्या को दूर कर रहा है। इसके जरिए लोगों को सस्ती दवाएं आसानी से उपलब्ध हो रही हैं और साथ ही शिक्षा प्राप्त युवाओं को रोज़गार का साधन भी मिल रहा है।

 

जन औषधि योजना का भविष्य

सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में हर गली-मोहल्ले में जन औषधि केंद्र खोले जाएं। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ होंगी बल्कि लोगों के लिए व्यवसायिक अवसर भी बढ़ेंगे। जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी, वैसे-वैसे इन केंद्रों की मांग और पहुंच दोनों बढ़ने वाली हैं। आने वाले वर्षों में यह योजना भारत की स्वास्थ्य प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकती है।

 

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Manish Garg

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