जन्माष्टमी पर ये चीजें न हों तो माने अधूरी पूजा – जानिए पूरी सामग्री
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा में कुछ विशेष चीजें अनिवार्य मानी जाती हैं। इनके बिना पूजा अधूरी समझी जाती है। जानें पूरी सामग्री लिस्ट और हर वस्तु का धार्मिक महत्व।
जन्माष्टमी पर बिना इन चीज़ों के अधूरी मानी जाती है कान्हा की पूजा – जानिए पूरी सामग्री और महत्व
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी मानी जाती है। विशेषकर जन्माष्टमी का पर्व भक्तों के लिए बहुत खास होता है क्योंकि यह भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन है। कहते हैं कि इस दिन भगवान की पूजा-व्रत विधिपूर्वक करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा में किन-किन वस्तुओं का होना आवश्यक है? आइए विस्तार से जानते हैं।
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जन्माष्टमी की पूजा के लिए जरूरी सामग्री और उनका महत्व
1. खीरा
ख़ास तौर पर खीरे को भगवान कृष्ण की पूजा में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह नवजात शिशु की गर्भनाल की तरह प्रतीक होता है जिसे माता से अलग किया जाता है। जन्माष्टमी के दिन खीरे को काटकर नहलाकर भगवान को अर्पित किया जाता है।
2. मुरली
भगवान कृष्ण की पहचान उनकी मुरली से होती है। मुरली उनके जीवन का अहम हिस्सा थी और इसे पूजा में रखना उनकी भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
3. मोर पंख
मोर पंख भगवान कृष्ण के सिर पर सजा होता था। यह उनकी शोभा बढ़ाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर मोर पंख जरूर अर्पित करें।
4. वैजयंती माला
वैजयंती माला भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय मानी जाती है। यह पूजा में इस्तेमाल होने वाली खास माला है जो उन्हें आकर्षित करती है।
5. माखन और मिश्री
माखन मिश्री भगवान कृष्ण के सबसे पसंदीदा भोग हैं। उनके बचपन की कहानियों में इन्हें खास जगह मिली है। इसलिए जन्माष्टमी पर इनका भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पूजन में शामिल अन्य आवश्यक वस्तुएं
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भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र: पूजा का मुख्य केंद्र।
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पूजा चौकी और आसन: भगवान के बैठने व पूजा करने के लिए।
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तुलसी के पत्ते और अन्य पत्ते: तुलसी के पत्ते भगवान को बहुत प्रिय हैं।
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फूल और माला: रंग-बिरंगे फूल और माला से भगवान को सजाया जाता है।
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मौसमी फल: पूजा में ताजा फल अर्पित किए जाते हैं।
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गंगाजल, जल और पंचामृत: शुद्धिकरण और स्नान के लिए।
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दीपक, अगरबत्ती, कपूर, चंदन, हल्दी, केसर, कुंकुम: पूजा का अनिवार्य हिस्सा।
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शहद, दही, दूध और शक्कर: पंचमेवा बनाने के लिए।
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मिठाई और लड्डू गोपाल के वस्त्र: भक्तों की भक्ति दर्शाते हैं।
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शंख और इत्र: पवित्रता और सुगंध के लिए।
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मौली, अक्षत (चावल): धार्मिक अनुष्ठान में उपयोगी।
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सुपाड़ी, पान के पत्ते, इलायची, लौंग: पूजन में परंपरागत रूप से शामिल।
जन्माष्टमी पूजा का आध्यात्मिक महत्व
भगवान कृष्ण की पूजा और व्रत रखने से जीवन में मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। उनके जन्मदिन पर भक्तजन उपवास रखते हैं, कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं और आध्यात्मिक अनुष्ठान सम्पन्न करते हैं। पूजा में ऊपर बताई गई वस्तुओं का उपयोग उनकी कृपा पाने का एक माध्यम है।
जन्माष्टमी पूजा करते समय ध्यान रखें
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पूजा की सामग्री शुद्ध और साफ-सुथरी हो।
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पूजा स्थल सजाएं और घर को साफ रखें।
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मन को एकाग्र कर श्रद्धा के साथ पूजा करें।
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भक्ति भाव से माखन, मिश्री और अन्य भोग अर्पित करें।
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तुलसी के पौधे की सेवा अवश्य करें।
जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा तभी सम्पूर्ण होती है जब भक्त उनके प्रिय भोग और पूजा सामग्री का सही उपयोग करता है। खीरा, मुरली, मोरपंख, माखन मिश्री और वैजयंती माला जैसे तत्व पूजा को पूर्णता देते हैं। इस जन्माष्टमी पर पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करें और भगवान कृष्ण की असीम कृपा पाएं।
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