JNU Election Results 2025: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) के चुनाव नतीजे आ चुके हैं और कैंपस एक बार फिर ‘रेड’ रंग में रंग गया है। इस बार भी लेफ्ट यूनिटी ने चारों प्रमुख पदों पर कब्ज़ा किया है। जेएनयू की नई प्रेसिडेंट बनी हैं अदिति मिश्रा, जिन्होंने ABVP के विकास पटेल को 1,861 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। इस साल JNU Election Results देशभर के युवा वर्ग में चर्चा का विषय बने हुए हैं क्योंकि यह चुनाव न सिर्फ छात्र राजनीति बल्कि जेंडर जस्टिस और वैचारिक बदलाव की मिसाल पेश करता है।
कौन हैं अदिति मिश्रा बनारस की बेटी, जो हमेशा लड़ी ‘हक की लड़ाई’ के लिए
अदिति मिश्रा उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) की रहने वाली हैं। उन्होंने BHU से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और तभी से उनके भीतर आंदोलनकारी जज़्बा जाग उठा। 2017 में BHU के हॉस्टल कर्फ्यू के खिलाफ उन्होंने छात्राओं का नेतृत्व किया, जिससे प्रशासन को अपने नियम वापस लेने पड़े। इसके बाद अदिति ने Pondicherry University में मास्टर्स के दौरान भी छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई।
उनकी यात्रा बनारस से दिल्ली तक केवल शैक्षणिक नहीं रही, बल्कि यह यात्रा महिला अधिकार, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक आवाज़ों के संघर्ष की कहानी भी है।
AISA की कार्यकर्ता अदिति विचारों की मिसाल बनीं
अदिति मिश्रा AISA (All India Students’ Association) से जुड़ी हैं, जो Left Unity का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वह फिलहाल जेएनयू के School of International Studies में पीएचडी कर रही हैं और Internal Complaints Committee (ICC) की सदस्य भी हैं। उन्होंने जेएनयू कैंपस में gender justice, transparency और equal representation पर काम किया है।
उनकी मान्यता है कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए और संस्थानों में inclusive policy अपनाई जानी चाहिए। अदिति की जीत यह दिखाती है कि student politics सिर्फ विचारधारा नहीं, बल्कि समाज बदलने का जरिया भी है।
अदिति की जीत के मायने जेएनयू राजनीति में नई दिशा
JNU Elections Result 2025 सिर्फ एक राजनीतिक परिणाम नहीं, बल्कि उस पीढ़ी की आवाज़ है जो समानता और अधिकारों की बात करती है। अदिति मिश्रा की जीत ने यह साबित किया कि विचारों की ताकत नारेबाज़ी से बड़ी होती है।
हालांकि हाल के JNU Violence घटनाओं ने यह सवाल जरूर खड़ा किया है कि क्या जेएनयू अपनी पुरानी लोकतांत्रिक परंपरा को बचा पाएगा? मगर अदिति जैसे नेताओं से उम्मीद है कि कैंपस फिर से संवाद, विचार और स्वस्थ परंपरा को मजबूत करेगा।
भविष्य की दिशा अदिति बनीं युवाओं की प्रेरणा
अदिति की कहानी सिर्फ एक यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है। उनकी सोच, संघर्ष और उपलब्धियाँ आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल हैं। उन्होंने साबित किया कि leadership का मतलब सिर्फ पद नहीं, बल्कि लोगों के लिए खड़ा होना है।
उनकी जीत से जेएनयू में फिर एक बार उम्मीद की लौ जली है.
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Mansi Arya
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