Kannauj : पत्नी छोड़ गई तो गुस्साए शख्स ने बच्चों को तमंचे के बल पर 8 घंटे तक बनाया बंधक
कन्नौज में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब पत्नी छोड़कर जाने से आहत एक शख्स ने गुस्से में अपने ही मासूम बच्चों को आठ घंटे तक तमंचे के बल पर बंधक बना लिया। पूरे गांव में दहशत और तनाव का माहौल बना रहा। लोग सांसें रोककर पुलिस की कार्रवाई का इंतजार करते रहे। आखिरकार पुलिस ने रणनीति बनाकर बच्चों को सुरक्षित छुड़ाया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने सभी को हिला दिया।
उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। एक सिरफिरे युवक ने अपनी बीवी के घर छोड़ने के बाद गुस्से में अपने ही तीन छोटे बच्चों को घर में बंद कर तमंचा
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बीवी छोड़ने के बाद टूट गया आरोपी, गुस्से ने बिगाड़ा घर का माहौल
जानकारी के मुताबिक आरोपी की शादी दूसरी बार हुई थी। उसकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी थी और उसने इसी महिला से दूसरा विवाह किया था। कुछ समय से दोनों में अनबन चल रही थी और आखिरकार पत्नी अपने मायके चली गई। पत्नी के घर छोड़ने का गम आरोपी बर्दाश्त नहीं कर सका और गुस्से में आकर उसने अपने बच्चों को ही बंधक बना लिया। रात भर पड़ोसी और रिश्तेदार उसे समझाने की कोशिश करते रहे लेकिन आरोपी का गुस्सा शांत नहीं हुआ।
आठ घंटे तक बंधक बनाए रखा, कभी बच्चों पर तमंचा तो कभी खुद पर
आरोपी घर के कमरे में खुद को और बच्चों को बंद करके बैठा रहा। समय-समय पर खिड़की से वह तमंचा दिखाता और धमकी देता कि अगर किसी ने दरवाजा तोड़ने की कोशिश की तो वह गोली चला देगा। मोहल्ले में अफरा-तफरी का माहौल था। कन्नौज पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन आरोपी लगातार पुलिस से भी भिड़ता रहा और बच्चों को छोड़ने से इंकार करता रहा। करीब आठ घंटे तक यह तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
पुलिस ने बनाई रणनीति और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला
काफी मनाने और रणनीति बनाने के बाद आखिरकार पुलिस ने आरोपी को दबोच लिया। पुलिस अधिकारियों ने पहले आरोपी से बातचीत करने की कोशिश की। धीरे-धीरे उसे शांत करने के बाद मौके का फायदा उठाकर पुलिस ने बच्चों को खिड़की से सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुहिम में पुलिस को बड़ी सावधानी बरतनी पड़ी क्योंकि बच्चों की जान का खतरा बना हुआ था।
ग्रामीणों में डर का माहौल, लेकिन बच्चों के सुरक्षित होने से मिली राहत
घटना की खबर फैलते ही पूरे गांव और आस-पास के इलाकों में दहशत फैल गई थी। लोग मौके पर जुटे रहे और घंटों तक सांसें थाम कर बैठ गए। लेकिन जैसे ही बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, लोगों ने राहत की सांस ली। गांव वालों का कहना है कि आरोपी लंबे समय से मानसिक तनाव में चल रहा था और उसके रिश्ते पत्नी से ठीक नहीं थे। पुलिस फिलहाल आरोपी से पूछताछ कर रही है और यह जानने का प्रयास कर रही है कि उसने इतनी खौफनाक हरकत क्यों की।
मानसिक तनाव और घरेलू झगड़े से बढ़ते ऐसे खतरनाक मामले
यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश से इस तरह की खबर सामने आई हो। अक्सर पति-पत्नी के बीच झगड़े का असर बच्चों पर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी घरेलू विवाद को इस सीमा तक नहीं पहुंचाना चाहिए कि बच्चों की जान खतरे में पड़ जाए। कन्नौज की इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मानसिक तनाव और गुस्से में कभी-कभी लोग किस हद तक जा सकते हैं।
पुलिस की सफलता और परिवार के लिए नई चुनौती
इस घटना के बाद पुलिस ने दावा किया है कि बच्चों के सुरक्षित बच निकलना उनके लिए बड़ी सफलता है। लेकिन अब सबसे बड़ी चुनौती इस परिवार के भविष्य को संभालने की होगी। पत्नी पहले ही घर छोड़कर जा चुकी है और अब पति जेल भेज दिया गया है। ऐसे में तीनों छोटे बच्चों की देखरेख कौन करेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है। ग्रामीण प्रशासन और चाइल्ड वेलफेयर टीम को आगे आकर इस परिवार को मदद करनी होगी।
समाज के लिए सबक गुस्से को साधना जरूरी, वरना खतरे में परिवार
इस पूरे घटनाक्रम से यह बात साफ सामने आती है कि गुस्से और मानसिक तनाव को समय पर कंट्रोल करना जरूरी है। क्योंकि जब इंसान अपने गुस्से पर काबू खो देता है तो सबसे पहले उसका नुकसान उसके ही परिवार को उठाना पड़ता है। कन्नौज की यह घटना हमें यही सीख देती है कि परिवार और रिश्तों में समस्या हो सकती है लेकिन उसका हल बच्चों की जान को दांव पर लगाकर नहीं निकाला जा सकता।
प्यार और समझ से ही टूटे हुए रिश्ते फिर जुड़ सकते हैं
पुलिस की तत्परता से इस मामले का अंत भले ही सुरक्षित हुआ हो, लेकिन इसने समाज को कई जरूरी सवालों के सामने खड़ा कर दिया है। रिश्तों को बचाने का रास्ता सिर्फ प्यार और संवाद से निकल सकता है, न कि गुस्से और हथियार से। यह खबर लोगों के लिए चेतावनी भी है कि परिवार में किसी भी तरह का झगड़ा या तनाव हो तो शांत दिमाग से बातचीत का सहारा लेना चाहिए। कन्नौज जैसे हादसे हमें यह याद दिलाते हैं कि घर में छोटे-छोटे बच्चों की सुरक्षा सबसे अहम जिम्मेदारी है।
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