Kanpur : में पांच लाख रुपये के लिए ससुरालवालों ने बहू रेशमा को कमरे में बंद कर दिया और सांप से हमला कराया
कानपुर से सामने आई यह दिल दहला देने वाली घटना इंसानियत को शर्मसार कर गई। आरोप है कि पांच लाख रुपये की मांग पूरी न होने पर ससुरालवालों ने बहू रेशमा को कमरे में बंद कर दिया और नाली से सांप छोड़कर उसकी हत्या का प्रयास किया। रेशमा की बहन समय रहते पहुंची और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस ने पति, सास-ससुर और जेठ-जेठानी समेत सात लोगों पर हत्या प्रयास और दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया है। यहां पति और ससुरालवालों ने पांच लाख रुपये की खातिर अपनी बहू को मौत के घाट उतारने की कोशिश की। घटना इतनी खौफनाक थी कि सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आरोप है कि रेशमा नाम की महिला को कमरे में बंद कर नाली के रास्ते कमरे के अंदर जिंदा सांप छोड़ दिया गया। उस सांप ने रेशमा को काट लिया, जिसके बाद वह तड़प-तड़प कर जमीन पर गिर गई।
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कैसे रचा गया खौफनाक खेल
मामला शहर के नौबस्ता इलाके का है। रेशमा की शादी कुछ साल पहले हुई थी। मायके पक्ष का आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले उससे आए दिन पांच लाख रुपये नकद की मांग कर रहे थे। जब रेशमा और उसके परिवार ने यह रकम देने से साफ मना कर दिया, तो पति, सास, ससुर और जेठ-जेठानी ने एक प्लान बनाया।
योजना के तहत रेशमा को एक कमरे में बंद कर दिया गया। बाहर से कुंडी लगाकर नाली का ढक्कन उखाड़ा और वहां से अंदर सांप छोड़ दिया। जैसे ही सांप कमरे में घुसा, रेशमा चीख-चीख कर मदद मांगती रही। लेकिन घर के ही लोग बाहर बैठकर यह तमाशा देखते रहे। किसी ने उसकी मदद नहीं की। यह पूरी साजिश महज़ पैसों की लालच में रची गई थी।
मौत से जूझती रही रेशमा, बचाने आई बहन
रेशमा की बहन रिजवाना को किसी तरह इस घटना की भनक लगी। वह तुरंत उसके ससुराल पहुंची और दरवाज़ा तोड़कर रेशमा को बाहर निकाला। उस समय उसका बदन नीला पड़ चुका था और वह दर्द से कराह रही थी। रिजवाना ने बिना देर किए अपनी बहन को नज़दीकी अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने बताया कि सांप का ज़हर खतरनाक था और उसे तुरंत इलाज की ज़रूरत पड़ी।
अगर बहन समय रहते न आई होती, तो रेशमा की जान बचाना मुश्किल हो जाता। अस्पताल में भर्ती करने के बाद शव को देखकर वहां मौजूद हर शख्स का कलेजा कांप गया। लोगों के मुंह से केवल एक ही बात निकल रही थी कि आखिर कैसे परिवार वाले इतने बेरहम हो सकते हैं।
पुलिस ने दर्ज किया मामला और किया गिरफ्तार
रेशमा की हालत देखने के बाद उसके मायके वालों ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने पति, सास, ससुर, जेठ-जेठानी समेत कुल सात लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास और दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। थानेदार का कहना है कि यह मामला बेहद गंभीर है और पुलिस किसी भी आरोपी को बख्शेगी नहीं। कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि बाकी की तलाश जारी है।
पुलिस ने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक महिला पर हमला नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए शर्म की बात है। दहेज के नाम पर अब तक कई जिंदगियां बर्बाद की जा चुकी हैं और ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करना बेहद जरूरी है।
पांच लाख रुपये का लालच कैसे बना षड्यंत्र की जड़
रेशमा के मायके वालों का कहना है कि शुरुआत में रिश्ता ठीक चल रहा था, लेकिन जल्द ही पांच लाख रुपये की मांग शुरू हो गई। कई बार समझौते और बातचीत की कोशिश हुई, लेकिन ससुराल पक्ष मानने को राज़ी नहीं हुआ। आखिरकार इसी लालच ने पूरे परिवार को अपराधी बना दिया।
यह घटना यह भी दिखाती है कि कैसे लालच आदमी को हैवान बना देता है। लोग रिश्तों की कीमत भूलकर सिर्फ पैसों के पीछे भाग रहे हैं। इंसानियत और रिश्ते दोनों ऐसे मामलों में मौत के घाट चढ़ जाते हैं।
महिला सुरक्षा और समाज पर उठे सवाल
कानपुर की यह घटना केवल एक परिवार या इलाके तक सीमित नहीं है। यह सवाल पूरे समाज पर है कि आखिर कब तक महिलाएं दहेज की इस काली प्रथा की शिकार होती रहेंगी? आज भी देश के कई कोनों से ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां बहुओं को पैसे या सामान की मांग पर प्रताड़ित किया जाता है।
रेशमा के मामले ने एक बार फिर हमें आईना दिखा दिया है कि हमें यह सोचने की ज़रूरत है कि शिक्षा और नए दौर में भी दहेज जैसी मानसिकता जिंदा क्यों है। जब तक समाज खुद आगे नहीं आएगा, तब तक कानून भी अकेले इस बुराई को खत्म नहीं कर सकता।
न्याय की उम्मीद में रेशमा और उसका परिवार
फिलहाल रेशमा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। उसका परिवार उम्मीद लगाए बैठा है कि अदालत से उसे न्याय मिलेगा। कानपुर पुलिस ने भी भरोसा दिलाया है कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
रेशमा का दर्द आज हर उस महिला का दर्द है, जो दहेज की वजह से प्रताड़ित की जाती है। यह घटना केवल पुलिस केस नहीं बल्कि समाज के लिए चेतावनी है कि अब वक्त आ गया है कि हम इस बुराई के खिलाफ खुलकर खड़े हों।
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