इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए रखे जाने वाले इस व्रत की पूजा में कुछ खास चीजों का होना जरूरी है। अगर ये सामग्री नहीं होगी तो पूजा अधूरी रह जाएगी।
करवा चौथ के दिन चांद निकलने का समय
इस साल करवा चौथ के दिन शाम 8 बजकर 13 मिनट पर चांद निकलेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से रात 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।
मुख्य पूजा सामग्री जो अवश्य चाहिए
करवा चौथ की पूजा के लिए सबसे जरूरी चीज है मिट्टी का करवा और उसका ढक्कन। इसके बिना पूजा हो ही नहीं सकती। इसके साथ ही पानी का लोटा, छलनी, लकड़ी की चौकी और दीपक भी जरूरी है। छलनी से चांद देखने की परंपरा होती है।
श्रृंगार की सामग्री और सुहाग के प्रतीक
सुहागिन महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार की सामग्री बहुत जरूरी है। इसमें सिंदूर, कुमकुम, बिंदी, मेहंदी, चूड़ी, कंघा, चुनरी, बिछुआ और महावर शामिल है। ये सभी चीजें सुहाग की निशानी मानी जाती हैं। नई चूड़ियां पहनना और हाथों में मेहंदी लगाना भी परंपरा का हिस्सा है।
पूजा के लिए खाद्य सामग्री और प्रसाद
करवा चौथ की पूजा में अक्षत यानी चावल, गेहूं, शक्कर, मिठाई, आठ पूरियों की अठावरी और हलुआ चाहिए होता है। इसके अलावा कच्चा दूध, दही, शुद्ध घी और शहद भी रखना जरूरी है। फूल, पान के पत्ते और फल भी पूजा में इस्तेमाल होते हैं।
पूजा थाली को सजाने का सही तरीका
पूजा की थाली को सजाते समय बीच में करवा रखें और उसके चारों ओर बाकी सामान व्यवस्थित करें। पूजा थाली में दीपक, अगरबत्ती, कपूर, चंदन, रोली और फूल रखना न भूलें। छलनी और लोटा भी थाली के पास रखें क्योंकि चांद को अर्घ्य देने के समय इनकी जरूरत होगी।
गंगाजल और पवित्रता से जुड़ी चीजें
पूजा में पवित्रता का बहुत महत्व है। इसलिए गंगाजल का होना अनिवार्य है। अगर गंगाजल न हो तो साफ पानी में तुलसी के पत्ते डालकर भी काम चल सकता है। रुई की बाती, कपूर और अगरबत्ती भी पूजा के लिए जरूरी हैं। हल्दी का इस्तेमाल भी किया जाता है।
पूजा के समय जरूरी किताब और मंत्र
करवा चौथ की व्रत कथा की किताब या पुस्तक का होना भी जरूरी है। इसमें माता गौरी और करवा चौथ से जुड़ी कहानियां होती हैं। पूजा के समय इन कहानियों को सुनना शुभ माना जाता है। आरती की किताब भी साथ रखनी चाहिए।
चांद को अर्घ्य देने की विधि और सामग्री
चांद निकलने के बाद उसे छलनी से देखकर अर्घ्य देने की विधि होती है। इसके लिए करवे में पानी, चावल, शक्कर और फूल डालकर चांद की दिशा में अर्घ्य दिया जाता है। फिर उसी छलनी से पति का मुंह देखकर उनसे पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है। दक्षिणा के लिए कुछ पैसे भी रखने चाहिए।
गौरी माता की मूर्ति और स्थापना की सामग्री
कई जगह गौरी माता की मूर्ति बनाने की परंपरा है। इसके लिए पीली मिट्टी की जरूरत होती है। गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर भी रखी जाती है। इन देवी देवताओं के लिए अलग से वस्त्र, माला और चुनरी की व्यवस्था करनी चाहिए।
सामूहिक पूजा के लिए अतिरिक्त व्यवस्था
अगर सामूहिक पूजा कर रही हैं तो अतिरिक्त सामान की जरूरत होगी। सभी महिलाओं के लिए अलग अलग थाली, प्रसाद और दक्षिणा की व्यवस्था करनी होगी। बैठने के लिए आसन या चटाई भी रखनी चाहिए। बड़ी उम्र की महिलाओं का आशीर्वाद लेना भी परंपरा का हिस्सा है।
व्रत के दिन सुबह सरगी की तैयारी
सुबह सरगी खाने के लिए भी तैयारी करनी होती है। इसमें फेनी, परांठा, फल, मिठाई और दूध शामिल होता है। सास अपनी बहू के लिए सरगी तैयार करती है। यह करवा चौथ की अहम परंपरा है जिसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
पूजा सामग्री खरीदते समय रखें ये बातें
सभी सामान खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी का करवा नया हो और उसमें कोई दरार न हो। चूड़ियां टूटी न हों और अगरबत्ती अच्छी गुणवत्ता की हो। मिठाई भी ताजी और शुद्ध होनी चाहिए। सभी सामान पहले से तैयार रखें ताकि पूजा के समय कोई परेशानी न हो।
करवा चौथ पूजा का महत्व और फल
सभी सामग्री के साथ पूरी श्रद्धा से की गई करवा चौथ की पूजा से पति की आयु बढ़ती है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं। यह व्रत महिलाओं की आस्था और त्याग का प्रतीक है। सही सामग्री के साथ की गई पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए किसी भी चीज की कमी न रखें और पूरे मन से यह पवित्र व्रत करें।