केरल में रहस्यमयी बीमारी! आखिर कौन खा रहा है दिमाग?

केरल के कोझिकोड जिले में ‘दिमाग खाने वाले अमीबा’ से 9 साल की बच्ची की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया, दो अन्य संक्रमित बच्चे जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।

केरल में रहस्यमयी बीमारी! आखिर कौन खा रहा है दिमाग?

केरल में ‘दिमाग खाने वाले अमीबा’ का कहर 9 साल की बच्ची की मौत, दो अन्य जिंदगी के लिए संघर्षरत

केरल के कोझिकोड ज़िले में दुर्लभ बीमारी प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) के लगातार मामले सामने आने से हड़कंप मच गया है। हाल ही में इस संक्रमण से 9 साल की बच्ची की मौत हो गई, जबकि तीन महीने के बच्चे समेत दो अन्य मरीज गंभीर हालत में जीवन की जंग लड़ रहे हैं।

क्या है ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’?

यह बीमारी नेग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा से होती है, जिसे आम भाषा में “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” कहा जाता है। यह प्रजाति गर्म और ताजे पानी के अलावा मिट्टी में भी पाई जाती है। यह आमतौर पर नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क को संक्रमित कर देता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पानी ही एकमात्र माध्यम नहीं है। धूल और मिट्टी में मौजूद यह अमीबा भी संक्रमण का कारण बन सकता है। यही वजह है कि तीन महीने के बच्चे में यह बीमारी कैसे पहुँची, इसका अभी तक स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है।

बीमारी की पुष्टि और अन्य अमीबा

हाल ही में हुए आणविक परीक्षण में सामने आया कि केवल नेग्लेरिया फाउलेरी ही नहीं, बल्कि एकैंथअमीबा नामक प्रजाति भी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का कारण बनती है। अंतर यह है कि जहां नेग्लेरिया फाउलेरी का संक्रमण पानी से जुड़ा होता है, वहीं एकैंथअमीबा का असर दिनों से लेकर महीनों तक की ऊष्मायन अवधि में फैल सकता है।

केरल में मामले और मृत्यु दर

भारत में PAM का पहला मामला 1971 में सामने आया था। केरल में यह संक्रमण पहली बार 2016 में दर्ज किया गया। 2016 से 2023 तक केवल 8 मामले सामने आए, लेकिन 2023 में अचानक बढ़कर 36 मामले और 9 मौतें दर्ज की गईं।

वैश्विक स्तर पर इस बीमारी की मृत्यु दर 97% है, लेकिन केरल ने इसे घटाकर 25% तक करने में सफलता हासिल की है। जुलाई 2024 तक भारत में इस संक्रमण से कोई भी मरीज नहीं बचा था, लेकिन कोझिकोड का एक 14 वर्षीय लड़का देश का पहला मरीज बना जो इस घातक बीमारी से बच पाया। वह पूरी दुनिया में PAM से बचने वाले केवल 11 लोगों में से एक है।

संक्रमण बढ़ने की वजह

विशेषज्ञों के अनुसार, केरल में बढ़ते मामलों का एक बड़ा कारण एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के लिए बढ़ी हुई टेस्टिंग है। साथ ही जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण भी इसके पीछे अहम कारण माने जा रहे हैं।

केरल सरकार की तैयारी

पिछले साल अचानक मामलों में वृद्धि के बाद राज्य सरकार ने अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के लिए विशेष उपचार प्रोटोकॉल और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया। ऐसा करने वाला केरल भारत का पहला राज्य है।

‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ क्या है?
यह नेग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा है, जो नाक के जरिए शरीर में प्रवेश कर मस्तिष्क को संक्रमित करता है। इसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) कहा जाता है।
यह अमीबा कहां पाया जाता है?
यह आमतौर पर गर्म और ताजे पानी, तालाब, झील, स्विमिंग पूल और गीली मिट्टी में पाया जाता है।
यह बीमारी कैसे फैलती है?
संक्रमित पानी या मिट्टी नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करने पर यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है। पानी पीने से यह बीमारी नहीं फैलती।
इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?
तेज सिरदर्द, उल्टी, बुखार, गर्दन में अकड़न, भ्रम की स्थिति, दौरे और कोमा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
क्या यह बीमारी इलाज योग्य है?
इलाज बहुत कठिन है। मृत्यु दर लगभग 97% है, लेकिन केरल जैसे कुछ मामलों में समय पर इलाज से मरीज बच पाए हैं।
इससे बचाव कैसे करें?
गर्म व ताजे पानी में नाक को डुबोने से बचें, स्विमिंग के दौरान नोज क्लिप का इस्तेमाल करें और दूषित जल स्रोतों से दूर रहें।
भारत में इस बीमारी के कितने मामले सामने आए हैं?
भारत में पहला मामला 1971 में दर्ज हुआ था। केरल में 2016 से अब तक कई मामले सामने आए हैं, जिनमें 2023 में सबसे ज्यादा 36 केस दर्ज हुए।