छपरा से नामांकन के बाद बोले खेसारी लाल यादव, लालू यादव मेरे पिता समान हैं – अब जनता ही बदलेगी बिहार का भविष्य

भोजपुरी स्टार Khesari Lal Yadav ने छपरा से नामांकन कर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। लालू यादव को पिता समान बताते हुए उन्होंने कहा कि जनता ही अब बिहार का असली नेता बनेगी। Khesari Lal Yadav ने जनता के बीच नया भरोसा जगाया है जो बदलाव की नई लहर बन रहा है।

छपरा से नामांकन के बाद बोले खेसारी लाल यादव, लालू यादव मेरे पिता समान हैं – अब जनता ही बदलेगी बिहार का भविष्य

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    छपरा से नामांकन कर बोले खेसारी लाल यादव, लालू यादव मेरे पिता समान हैं

     

    छपरा में लहर पैदा कर गए खेसारी लाल यादव

    बिहार के छपरा शहर में आज कुछ खास था। सड़कों पर भीड़, चेहरे पर मुस्कान और ऊपर नीले आसमान के नीचे बस एक नाम गूंज रहा था — खेसारी लाल यादव। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार अब राजनीति के मैदान में उतर आए हैं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन खेसारी ऐसा कदम लेंगे। पर उन्होंने कह दिया – "अब वक्त है बदलाव का।"

     

    नामांकन के बाद बोले, लालू यादव मेरे पिता समान

    नामांकन खत्म होते ही मीडिया के कैमरे उनके चारों ओर घूम रहे थे। थोड़ा मुस्कराए, फिर बोले – लालू यादव मेरे पिता समान हैं। और तेजस्वी यादव? उन्हें मैं भाई समझता हूँ। खेसारी की आवाज में सच्चाई झलक रही थी। उन्होंने कहा कि राजनीति में आना तो कभी सोचा नहीं था, लेकिन वक्त ने धकेल दिया। जैसे नदी अपने रास्ते खुद बना लेती है, वैसे ही हालात ने उन्हें इस दिशा में ला दिया।

     

    जनता ही बदल देगी बिहार का चेहरा

    वे बोले, “बिहार को बदलाव चाहिए और उसे जनता ही करेगी।” थोड़ी देर रुक कर उन्होंने कहा, “अब लोग समझ चुके हैं कि असली ताकत उनके पास है।” खेसारी ने मंच से ये भी कहा कि उन्हें किसी बड़े नेता की नहीं, जनता की ताकत पर भरोसा है। आवाज में जो विश्वास था, वो भीड़ के शोर से टकरा रहा था पर फिर भी साफ सुनाई दे रहा था। उन्होंने कहा, काम होगा – गाँव में, खेत में, स्कूल में। बदलाव वहीं से शुरू होगा।

     

    भावुक हो गए खेसारी, आंखों में चमक दिखी

    मंच पर खड़े खेसारी लाल यादव आज कुछ अलग दिख रहे थे। फिल्मों वाला जोश था, पर बातों में एक अपनापन झलक रहा था। उन्होंने कहा, “कभी सोचा नहीं था कि राजनीति में आऊँगा।” लोगों ने तालियाँ बजाईं। कई बार उन्होंने रुककर भीड़ की तरफ देखा। मानो कहना चाहते हों – “तुम लोग साथ रहो, बाक़ी मैं सब कर लूंगा।” ऐसा लगा जैसे कोई कलाकार अब जनता का आदमी बन गया हो।

     

    लालू-तेजस्वी पर जताया भरोसा

    नामांकन के बाद उनसे पूछा गया कि आखिर वे किस विचार से प्रेरित हैं। उन्होंने मुस्कराकर कहा – "लालू यादव का अनुभव, तेजस्वी की सोच... बस यही दो बातें मुझे खींच लाई।" उनका मानना है कि लालू और तेजस्वी ने हमेशा गरीबों के हित में काम किया। उन्होंने कहा, “मैं जहां से आया हूं वहां अभी भी बहुत जरूरतें हैं। अब वक्त है उन जरूरतों को आवाज देने का।” हर शब्द में सच्चाई और थोड़ी कच्ची भावनाएं महसूस हुईं।

     

    संघर्षों से बना ये सितारा अब राजनीति में

    खेसारी लाल यादव की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं। कभी दूध बेचने वाला लड़का, अब बिहार का सबसे चमकता चेहरा। भोजपुरी गीतों से पहचान मिली, और अब जनता का विश्वास लेकर राजनीति की राह पकड़ ली। सुना है जब उन्होंने पहली फिल्म की थी तो जेब में पैसे नहीं थे। अब वही लड़का छपरा में लोकतंत्र का चेहरा बनकर खड़ा है। कहानी सी लगती है, लेकिन हक़ीक़त है।

     

    क्यों कूद पड़े राजनीति में

    उन्होंने कहा, “मैं सत्ता के लिए नहीं आया, सेवा के लिए आया हूँ।” लोगों के बीच रहकर उन्होंने जो देखा, वो उन्हें बेचैन करता था। स्कूल में बच्चे टूटती छत के नीचे पढ़ते हैं, सड़कें गड्ढों से भरी हैं। वो बोले, “अब चुप नहीं बैठ सकता।” समाज बदलने की जरूरत है, बस यही सोचकर उन्होंने फॉर्म भर दिया। जैसे कोई फैसला दिल से निकलता है, वैसे ही यह नामांकन हुआ।

     

    जनता पर भरोसा, प्रचार का तरीका भी अलग

    खेसारी ने साफ कहा कि वे महंगे पोस्टर नहीं लगवाएँगे। न ही बड़ी-बड़ी रैलियाँ करेंगे। वह घर-घर जाएंगे, दरवाजे खटखटाएँगे और लोगों से सीधा बात करेंगे। “मुझे बड़े मंच नहीं चाहिए, मुझे दिल चाहिए,” उन्होंने कहा। भीड़ ने हाथ उठाकर समर्थन दिया। लोगों की आंखों में उम्मीद थी और उनके चेहरे पर विश्वास।

     

    लोकप्रियता बनी उनका सबसे बड़ा हथियार

    भोजपुरी सिनेमा के जानी-मानी शख्सियत, खेसारी लाल यादव को हर कोई जानता है। उनके गाने गांव की गलियों से लेकर शहरों तक गूंजते हैं। अब वही पहचान उन्हें राजनीति में ताकत दे रही है। लोग उन्हें एक अभिनेता के रूप में नहीं, बल्कि अपने बेटे की तरह देखते हैं। शायद इसी वजह से जब उन्होंने छपरा से नामांकन किया, तो भीड़ थमने का नाम ही नहीं ले रही थी।

     

    खेसारी की राजनीति, उम्मीद की नई कहानी

    बिहार की राजनीति में कब कौन चर्चा में आ जाए, कहना मुश्किल है। लेकिन इस बार ये कहानी कुछ अलग है। एक फिल्मी चेहरा, जो अब जनता का नेता बनना चाहता है। उन्होंने कहा, “मैं किसी से लडने नहीं, जोड़ने आया हूं।” उनकी बात में सादगी थी, कोई बनावट नहीं। वो बोले, “हम सब मिलकर बिहार को बेहतर बनाएंगे।” भीड़ ने फिर शोर मचाया। और उस शोर के बीच, एक आम आदमी का नया सफर शुरू हो गया।

     

    अब ये तो चुनाव ही बताएगा कि छपरा क्या फैसला लेगा। पर इतना तय है कि खेसारी लाल यादव का ये कदम बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा जरूर लेकर आया है। उनकी कहानी अब लोगों की जुबान पर है, उम्मीदों के साथ।