पाकिस्तान में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी में पाकिस्तानी फौज ने खुद ही अपने देशवासियों पर एयरस्ट्राइक कर दी। इस हमले में गांव के करीब 30 से ज्यादा निर्दोष लोग मारे गए। मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। बमबारी ने पूरे गांव की शांति को खत्म कर दिया और वहां सिर्फ चीख-पुकार रह गई।
पाकिस्तानी सेना ने क्यों चलाए अपने ही नागरिकों पर बम
स्थानीय लोगों और मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार, सेना का कहना है कि इस इलाके में कुछ आतंकियों की मौजूदगी की खबर थी। लेकिन जब हमला हुआ तो बम सीधे उन मकानों पर गिरे जिनमें आम नागरिक रह रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर कोई आतंकी नहीं था। जो लोग इस हमले में मारे गए वे सब मासूम आम लोग थे। यह घटना इस सवाल को और गहरा कर देती है कि आखिर पाकिस्तानी फौज ने बिना पूरी जांच किए कैसे अपने ही नागरिकों को निशाना बना दिया।
गांव की तस्वीरें और जमीनी हालात
हमले के बाद गांव का हाल बेहद भयावह हो गया। जगह-जगह टूटी-फूटी दीवारें, धुएं से भरा वातावरण और खून से लथपथ सड़कों का मंजर देखने को मिला। गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि अचानक रात के सन्नाटे में बम बरसना क्यों शुरू हो गया। कई घर पूरी तरह ढह गए। जिन बच्चों ने कभी गोलाबारी नहीं देखी थी, वे भी इस हमले में हमेशा के लिए खामोश हो गए।
महिलाओं और बच्चों की मौत ने बढ़ाया दर्द
हमले में मरने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं और छोटे बच्चे शामिल हैं। ये वही लोग थे जो अपने घरों में चैन की जिंदगी बिता रहे थे। एक पूरा परिवार बम के एक वार से हमेशा के लिए मिट गया। गांव के बचे लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि जब सेना ही उनका रक्षक है तो वह इस तरह का हमला कैसे कर सकती है। यह दर्दनाक सच देश की सरकार और सेना के लिए बड़े सवाल खड़े करता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठ सकते हैं सवाल
इस घटना ने पाकिस्तान की छवि को गहरी चोट पहुंचाई है। पहले ही देश पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। अब खुद की फौज का अपने ही नागरिकों पर हमला करना दुनिया के लिए चौंकाने वाली बात है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार संस्थाओं से सवाल उठना तय है कि आखिर पाकिस्तानी सेना ने अपने ही लोगों के साथ ऐसा क्यों किया। विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया भर में यह खबर पाकिस्तान को एक और शर्मनाक स्थिति में डाल सकती है।
पीड़ितों की चीखें और गांव वालों की आपबीती
मौके पर पहुंचे कुछ राहतकर्मियों ने बताया कि गांव में सिर्फ मातम का माहौल है। कई परिवारों ने अपने घर और अपनों को खो दिया है। एक महिला ने रोते हुए बताया कि उसका चार साल का बेटा बिस्तर पर ही बम के मलबे में दबकर मर गया। यह दर्द शायद ही कभी भरा जा सके। जिन बच्चों ने इस त्रासदी को अपनी आंखों से देखा है, उनकी मासूमियत हमेशा के लिए छिन गई है।
सरकार और फौज की चुप्पी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बमबारी के बाद भी पाकिस्तानी सरकार और सेना ने अभी तक कोई साफ बयान नहीं दिया है। न तो पीड़ितों को कोई भरोसा दिलाया गया और न ही कोई मुआवजे की बात की गई। लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर वही देश उन्हें सुरक्षा नहीं देगा जिसमें वे रहते हैं, तो वे किस पर भरोसा करें। सरकार की चुप्पी इस त्रासदी को और गहरा बना रही है।
नागरिकों का गुस्सा और आक्रोश
तिराह घाटी में बचे हुए लोग गुस्से और आक्रोश से भरे हैं। उनका कहना है कि वे अपने ही देश में अब सुरक्षित महसूस नहीं करते। जिन्होंने अपने परिवारों को खोया है, उनके लिए यह दर्द हमेशा साथ रहेगा। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक इस हमले के दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक न्याय नहीं मिलेगा। यह घटना पाकिस्तान की राजनीति और समाज पर लंबे समय तक असर डालेगी।
क्या यह हमला पाकिस्तान के भीतर असुरक्षा का प्रतीक
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला पाकिस्तान के भीतर की गहरी असुरक्षा और अव्यवस्था को दिखाता है। जहां फौज अपने लोगों की रक्षा करने की जगह उनके ही खिलाफ गोलाबारी करती है। यह स्थिति पाकिस्तान के भीतर गहरे संकट की ओर इशारा करती है। यह सवाल भी उठता है कि आने वाले समय में क्या लोग पाकिस्तानी सेना से भरोसा खो देंगे। क्योंकि सेना से डरने की वजह तो सीमाओं से आने वाले खतरे हैं, न कि अपने ही घरों से।
तिराह घाटी आज दर्द और मातम में डूबी
आज तिराह घाटी मातम में डूबी हुई है। यहां के लोग अपने घरों, बच्चों और प्रियजनों की लाशें संभाल रहे हैं। हवा में सिर्फ चीखें और मातम है। ये वही घाटी है जो कभी अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब यहां सिर्फ खून और धुएं की तस्वीरें बची हैं। यह त्रासदी आने वाले समय में पाकिस्तान के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में लिखी जाएगी।