उत्तर प्रदेश के रामपुरा इलाके के पूरनपुरा गांव से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है। यहां 16 वर्षीय लड़की दीक्षा ने अपने माता-पिता की डांट से आहत होकर सल्फास खा लिया। कुछ ही घंटों में उसकी हालत बिगड़ गई और परिवार ने तुरंत उसे पास के मेडिकल कॉलेज पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश के बाद मृत घोषित कर दिया। इस खबर से पूरे गांव में शोक की लहर है।
माता-पिता से हुई बहस ने बिगाड़ा माहौल
जानकारी के मुताबिक, दीक्षा का अपने माता-पिता के साथ किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। पिता ने उसे डांट दिया, जिससे वह गुस्से और निराशा में आ गई। नाबालिग उम्र में बच्चों का गुस्सा अक्सर पल भर का होता है लेकिन कई बार ऐसे हालात खतरनाक कदम उठाने तक पहुंच जाते हैं। दीक्षा ने भी जल्दबाजी में ऐसा कदम उठा लिया जिसका नतीजा उसकी जान चली जाना बना।
अस्पताल पहुंचने से पहले बिगड़ी हालत
परिवारवालों ने जब देखा कि उसकी हालत बेहद खराब हो रही है, तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया। रास्ते में ही वह अर्ध-बेहोश स्थिति में आ गई थी। डॉक्टरों ने जांच की और बताया कि उसने सल्फास खाया है, जो बेहद खतरनाक जहर माना जाता है। कई बार समय पर इलाज मिलने पर भी मरीज को बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। डॉक्टरों की टीम ने पूरा प्रयास किया लेकिन अंत में उसे मृत घोषित कर दिया गया।
गांव में मातम और परिवार की स्थिति
पूरनपुरा गांव में जैसे ही इस हादसे की खबर फैली, लोग स्तब्ध रह गए। रिश्तेदार और पड़ोसी घर पर जुटने लगे। मां का रो-रोकर बुरा हाल है और पिता खुद पर आरोप लगाते हुए पूरी तरह टूट चुके हैं। परिवार के लोग इस सदमे से उबर नहीं पा रहे। 16 साल की मासूम बच्ची का यूं इस तरह चले जाना हर किसी को अंदर से हिला रहा है।
पुलिस ने शुरू की जांच
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की हर पहलू से जांच की जाएगी। पुलिस परिवार से भी पूछताछ कर रही है ताकि यह समझा जा सके कि किन हालातों में लड़की ने आत्मघाती कदम उठाया। जांच के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।
सल्फास क्यों है जानलेवा
सल्फास एक बेहद जहरीला रसायन है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर अनाज को कीड़ों से बचाने के लिए किया जाता है। इसे खाने के बाद कुछ ही मिनटों में शरीर के कई अंग खराब होने लगते हैं। दिल और फेफड़ों पर सीधा असर होता है और कई बार तुरंत मौत हो जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस ज़हर का कोई पक्का इलाज नहीं है। इसी वजह से यह भारत में सबसे खतरनाक आत्महत्या करने के तरीकों में गिना जाता है।
किशोरियों में बढ़ती आत्महत्या की चिंता
पिछले कुछ सालों में किशोर उम्र के बच्चे अवसाद, गुस्सा और घर के तनाव के चलते ऐसे खतरनाक कदम उठाते देखे गए हैं। माता-पिता और परिवार को यह समझना जरूरी है कि बच्चों की भावनाओं को हल्के में न लें। कई बार एक डांट बच्चे के दिल पर गहरा असर छोड़ जाती है। इस घटना ने फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों मदद मांगने और खुलकर बात करने की बजाय बच्चे चुपचाप मौत को गले लगाने का रास्ता चुन रहे हैं।
समाज के लिए सीख
यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। 16 साल की बच्ची का इस तरह जिंदगी खत्म करना हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें अपने बच्चों से संवाद कैसे बढ़ाना चाहिए। परिवार को चाहिए कि बच्चों की बात शांत मन से सुनें और उन्हें भरोसा दिलाएं कि हर समस्या का समाधान होता है। उन्हें अकेला महसूस न होने दें। अगर समय रहते उसे समझाया जाता और उसका तनाव कम किया जाता तो शायद उसकी जिंदगी बच सकती थी।