जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले से शनिवार को एक बेहद दुखद खबर आई। भारतीय सेना के जांबाज अधिकारी मेजर अप्रांत रौनक सिंह ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। मात्र 35 वर्ष की उम्र में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले मेजर सिंह का यह बलिदान पूरे देश को गमगीन कर रहा है। सेना की चिनार कोर और नॉर्दर्न कमांड ने इस वीर अफसर को श्रद्धांजलि देते हुए परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की है। सेना ने यह भी भरोसा दिलाया है कि दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को हर तरह की मदद दी जाएगी।
वीरता से भरी उनकी सेना सेवा
मेजर अप्रांत रौनक सिंह का नाम देश के उन वीरों में शामिल है जिन्होंने अपने अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा से न केवल सेना को गौरवान्वित किया, बल्कि पूरे भारत को गर्व से भर दिया। वह 2021 में तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने कुलगाम जिले में दो आतंकियों का खात्मा करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस अभियान के दौरान उनकी रणनीति और साहस ने ऑपरेशन को सफल बनाया। यही कारण था कि 2023 में उन्हें उनके अद्वितीय योगदान के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
कुलगाम का वह महत्वपूर्ण ऑपरेशन
2021 में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम क्षेत्र में तनावपूर्ण हालात बने हुए थे। आतंकी लगातार सुरक्षाबलों और आम नागरिकों को निशाना बना रहे थे। ऐसे माहौल में सेना ने ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें कई घंटे तक मुठभेड़ चली। इसी मुठभेड़ के दौरान मेजर अप्रांत रौनक सिंह ने अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए दो खतरनाक आतंकियों को ढेर कर दिया। इस ऑपरेशन को सेना की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा गया। स्थानीय लोग भी सुरक्षित महसूस करने लगे। उनकी बहादुरी ने न केवल सेना की ताकत दिखाई बल्कि आतंकियों के हौसले भी तोड़ दिए।
सेना मेडल से हुई थी वीरता की सराहना
सेना मेडल केवल उन सैनिकों और अधिकारियों को दिया जाता है जो किसी अभियान में असाधारण साहस और नेतृत्व का परिचय देते हैं। मेजर सिंह का योगदान इतना उल्लेखनीय था कि उन्हें 2023 में इस सम्मान से नवाजा गया। यह मेडल उनके साहस और समर्पण का प्रमाण था। उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गई।
परिवार और देश के लिए गर्व और दुख का पल
मेजर अप्रांत रौनक सिंह के शहीद होने की खबर ने उनके परिवार को गहरे शोक में डाल दिया है। लेकिन यह भी सच है कि बेटे के इस बलिदान पर उनका परिवार गर्व भी महसूस कर रहा है। देशभर से लोग सोशल मीडिया के जरिए इस वीर अफसर को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लोग लिख रहे हैं कि ऐसे जांबाजों की वजह से ही देश सुरक्षित है। गांव-गांव और शहर-शहर से मेजर के सम्मान में मोमबत्तियाँ जलाई जा रही हैं।
सेना द्वारा दी गई श्रद्धांजलि
भारतीय सेना की चिनार कोर ने मेजर को याद करते हुए कहा कि "उनकी वीरता और बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा।" वहीं नॉर्दर्न कमांड ने भी आधिकारिक बयान में कहा कि "हमें गर्व है कि हमारी सेना में अप्रांत रौनक सिंह जैसे अफसर रहे। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।" सेना ने साफ शब्दों में कहा कि इस कठिन समय में उनके परिवार को पूरी मदद दी जाएगी।
शौर्य की एक अमर गाथा
मेजर अप्रांत रौनक सिंह के शौर्य की यह गाथा भारतीय सेना के इतिहास का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। कुलगाम का वह ऑपरेशन और अब बारामूला में देते हुए उनका सर्वोच्च बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि हमारे सैनिक कितने कठिन हालात में रहकर देश की सुरक्षा करते हैं। उनके त्याग और साहस के कारण ही हम अपने घरों में चैन से सो पाते हैं।
देश हमेशा याद रखेगा
आज जब मेजर अप्रांत रौनक सिंह हमारे बीच नहीं हैं, तो पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है। उनकी बहादुरी, साहस और समर्पण की कहानियाँ हमेशा सुनाई जाएँगी। ये कहानियाँ बच्चों से लेकर युवाओं तक को प्रेरित करेंगी कि देश के लिए सबसे बड़ा धर्म है उसकी रक्षा करना। उनका नाम इतिहास के पन्नों में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।