Jaipur News RPSC कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा का इस्तीफा,जानिए कोर्ट की कौन-सी टिप्पणी बनी वजह
कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा ने कोर्ट की टिप्पणी के बाद अचानक इस्तीफा दे दिया। इस फैसले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा और सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वजह है सुविख्यात कवि कुमार विश्वास की पत्नी एवं आयोग की सदस्य डॉ. मंजू शर्मा का अचानक इस्तीफा। उन्होंने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में न सिर्फ इस फैसले के पीछे के कारणों को उजागर किया, बल्कि एक मिसाल भी पेश की — कि सार्वजनिक जीवन में केवल ईमानदारी ही नहीं, बल्कि पारदर्शिता और शुचिता का भी ध्यान रखना ज़रूरी है.
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राजस्थान हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 की सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा की जांच करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में "सिस्टमैटिक भ्रष्टाचार" हुआ है। कोर्ट ने आयोग के सदस्यों, जिनमें मंजू शर्मा भी शामिल हैं, की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि इस पूरी प्रक्रिया ने जनता के भरोसे को ठेस पहुंचाई है। कोर्ट ने भर्ती की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की गड़बड़ी से आयोग की साख पर गहरा असर पड़ता है। उन्होंने आयोग के सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया और पारदर्शिता और शुचिता बनाए रखने की गंभीर जरूरत पर जोर दिया
मंजू शर्मा का इस्तीफा – नैतिकता का उदाहरण
अपने इस्तीफे में डॉ. मंजू शर्मा ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ न किसी पुलिस थाने में मामला लंबित है, न किसी जांच एजेंसी ने उन्हें आरोपी बनाया है. उनका कहना है कि कार्य और निजी जीवन में उन्होंने हमेशा पारदर्शिता और ईमानदारी बरती, लेकिन भर्ती विवाद ने न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को प्रभावित किया, बल्कि आयोग की गरिमा पर भी प्रश्न उठाया। ऐसे समय में सार्वजनिक जीवन में शुचिता की रक्षा के लिए उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ना उचित समझा
RPSC की साख पर सवाल
हाल के वर्षों में RPSC लगातार विवादों में रहा — कई सदस्यों पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे, यहां तक कि कुछ जेल भी गए। इससे आयोग की विश्वसनीयता और प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता पर बड़े सवाल खड़े हो गए. ऐसे समय में मंजू शर्मा का कदम प्रशासनिक ईमानदारी और व्यक्तिगत साख की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सामाजिक और राजनीतिक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि संवैधानिक संस्थानों में काम करने वाले लोगों के लिए न केवल ईमानदार होना जरूरी है, बल्कि यह भी जरूरी है कि उनकी ईमानदारी पर कभी शक न हो। मंजू शर्मा का फैसला समाज में पारदर्शिता और नैतिक जिम्मेदारी की मिसाल है. यह कदम आयोग की छवि सुधारने और जनता के भरोसे को बहाल करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
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