बिहार की राजनीति हमेशा से उतार-चढ़ाव से भरी रही है। लेकिन इस बार मामला सीधे परिवार से जुड़ा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के रुख ने हर किसी को चौंका दिया है। वही रोहिणी जिन्होंने कुछ साल पहले अपने पिता को किडनी देकर उनकी जिंदगी बचाई, आज पार्टी और परिवार से नाराज नजर आ रही हैं। उन्होंने अचानक RJD के सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को अनफॉलो कर दिया है और उनके तेवर साफ तौर पर बगावत की ओर इशारा कर रहे हैं।
किडनी दान से लेकर राजनीतिक दूरी तक की कहानी
साल 2022 के दिसंबर महीने में रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू प्रसाद को एक किडनी दान करके सुर्खियां बटोरी थीं। उस वक्त उन्होंने कहा था कि पिता देश की धरोहर हैं और उनकी जिंदगी बेटे-बेटियों से ज्यादा अहम है। पूरे देश ने उस पल को भावनात्मक रूप से महसूस किया था। लेकिन अब उन्हीं रोहिणी आचार्य के तेवर काफी बदलते हुए दिख रहे हैं।
सोशल मीडिया पर उनकी नाराजगी साफ झलक रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर वो बेटी, जिसने पिता के लिए अपनी किडनी दान कर दी, अब पार्टी से इतनी दूरी क्यों बना रही है। RJD नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह स्थिति असहज है, क्योंकि बिहार में चुनाव नजदीक हैं और ऐसे वक्त पार्टी के भीतर मतभेद उभर कर सामने आना किसी भी सूरत में ठीक नहीं माना जा सकता।
क्या है रोहिणी आचार्य की नाराजगी की असली वजह?
राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि रोहिणी आचार्य पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें लगातार यह महसूस हो रहा था कि परिवार और पार्टी में उनकी राय को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। इस बात ने उनके भीतर आक्रोश पैदा कर दिया। यही वजह है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर बड़ा कदम उठाया और अचानक RJD के सभी अकाउंट्स को अनफॉलो कर दिया।
सूत्रों की मानें तो रोहिणी चाहती हैं कि पार्टी में उन्हें भी एक मजबूत भूमिका दी जाए, लेकिन चूंकि RJD में ज्यादातर फैसले तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं के हाथ में हैं, इसलिए उनके मन में यह असंतोष पनपता गया। यही कारण है कि वह अब खुलकर नाराज़गी जता रही हैं।
बिहार की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा?
बिहार की राजनीति हमेशा ही परिवारवाद और अंदरूनी खींचतान से प्रभावित रहती है। ऐसे में अगर लालू प्रसाद यादव के परिवार के भीतर ही मतभेद खुलकर सामने आने लगें, तो इसका असर सीधा चुनाव पर पड़ सकता है। विपक्ष पहले ही RJD को परिवार आधारित पार्टी कहता रहा है। ऐसे में अगर घर के ही लोग नाराज दिखें तो जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह विवाद भले ही सोशल मीडिया से शुरू हुआ हो, लेकिन इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। RJD की छवि पर असर पड़ेगा और विपक्ष इसे चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।
रोहिणी आचार्य की सक्रियता और जनता से जुड़ाव
रोहिणी आचार्य, जिनका जीवन अमेरिका में बीता है, लेकिन बिहार की राजनीति और जनता से उनका रिश्ता मजबूत माना जाता है। वह समय-समय पर बिहार के मुद्दों पर सोशल मीडिया के जरिए अपनी राय रखती रही हैं। खास बात यह रही है कि वह हमेशा सीधी और साफ भाषा का इस्तेमाल करती हैं, जिससे जनता से उनका जुड़ाव बढ़ता है।
लेकिन इस बार उनकी नाराजगी ने यह संकेत दे दिया है कि मामला सिर्फ व्यक्तिगत भावना तक सीमित नहीं है। यह पार्टियों के भीतर शक्ति संतुलन और भूमिकाओं को लेकर भी एक गंभीर सवाल है।
लालू प्रसाद के लिए दोहरी मुश्किल
एक तरफ लालू प्रसाद यादव को अपनी सेहत की चिंता रहती है, वहीं दूसरी ओर अब बेटी की नाराजगी ने राजनीतिक मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। RJD के नेता भी इस स्थिति से परेशान दिख रहे हैं, क्योंकि परिवार में दरार पार्टी की एकता के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
लालू प्रसाद हमेशा अपने बच्चों और परिवार को साथ लेकर चलने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात यह दिखा रहे हैं कि चीजें बदल रही हैं। रोहिणी का यह कदम लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आने वाले वक्त में RJD के भीतर और भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
चुनाव से ठीक पहले विवाद क्यों अहम है?
बिहार में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों में हलचल बढ़ती चली जाती है। इस बार आधे से ज्यादा मुकाबला सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाएगा। ऐसे में RJD की पूरी रणनीति पर इस विवाद का सीधा असर पड़ेगा। खासकर युवा वोटरों पर इसका असर दिख सकता है, क्योंकि रोहिणी आचार्य सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और उनकी पोस्ट को युवा वर्ग ज्यादा फॉलो करता है।
अगर यही स्थिति जारी रही और उनका गुस्सा शांत न हुआ, तो यह RJD के लिए भीतर से एक बड़ी चोट साबित हो सकता है।
आगे क्या होगा?
फिलहाल रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर ज्यादा कुछ नहीं कहा है, लेकिन उनका कदम अपने आप में बहुत कुछ बयान कर रहा है। RJD को चुनाव से पहले इस स्थिति को संभालना होगा। पार्टी को यह सोचना होगा कि परिवार और संगठन दोनों को एक साथ कैसे जोड़ा जाए, ताकि नाराजगी बाहर न झलके।
राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। लेकिन इस वक्त जिस तरह से रोहिणी आचार्य बगावती तेवर दिखा रही हैं, वह RJD के लिए बड़ी चुनौती है। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि परिवार का विवाद अगर सार्वजनिक होता गया तो पार्टी की एकता पर स्थायी असर पड़ सकता है।