Madhya Pradesh custodial death case : सुप्रीम कोर्ट की फटकार, सीबीआई का इनाम और न्याय की उम्मीद

मध्य प्रदेश में हुए चर्चित कस्टोडियल डेथ केस ने पूरे देश को हिला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी न होने पर सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई और आदेश दिया कि फरार पुलिसकर्मियों को एक महीने के भीतर पकड़ा जाए। वहीं सीबीआई ने दोनों पुलिसकर्मियों की जानकारी देने पर 2-2 लाख रुपये के इनाम का ऐलान किया है। मृतक की मां ने बेटे की हत्या का गंभीर आरोप लगाया है, जबकि पुलिस इसे दिल का दौरा बता रही है।

Madhya Pradesh custodial death case : सुप्रीम कोर्ट की फटकार, सीबीआई का इनाम और न्याय की उम्मीद

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    Custodial Death Case में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI ने बड़ी घोषणा की है। मध्य प्रदेश के दो पुलिसकर्मी एक गंभीर मामले में फरार हैं। इनके बारे में जानकारी देने वाले को 2-2 लाख रुपये का इनाम मिलेगा। पिछले कई महीने से इन दोनों को तलाशा जा रहा है, लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई थी। अब CBI ने आम लोगों से पुलिसकर्मियों की लोकेशन या जानकारी देने की अपील की है।

     

    सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को लगाई फटकार, समय सीमा में गिरफ्तारी का आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने इस हिरासत में मौत के केस को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कहा कि इतने समय बाद भी जब आरोपी पुलिसकर्मी पकड़े नहीं गए हैं, तो यह लापरवाही आखिर कैसे स्वीकार की जा सकती है। अदालत ने CBI को एक महीने में दोनों की गिरफ्तारी करने का आदेश दिया है।

    जज ने सीबीआई की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए और पूछा कि आखिर गिरफ्तारी में इतनी देर क्यों हो रही है? कोर्ट ने हिदायत दी है कि अब कोई बहाना या ढिलाई नहीं चलेगी। अगर एक महीने में दोनों को पकड़ नहीं लिया गया, तो कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को अदालत में तलब किया जा सकता है।

     

    मृतक की मां का आरोप: बेटे को यातना देकर मारा गया

    इस Custodial Death केस के केंद्र में मृतक युवक की मां है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसवालों ने उनके बेटे को हिरासत में ब्रूटली पीटा और परेशान किया। उनका कहना है कि सबूत छुपाए जा रहे हैं और बेटा बेगुनाह था। मां का दर्द सामने आया कि बेटे को बर्बरता से मारा गया, पर कोई इंसाफ नहीं मिल रहा।

    उनके मुताबिक, बेटे को पुलिस थाने में रात भर पीटा गया और जब उसकी हालत बिगड़ी तो अस्पताल भी देर से ले गए। मां का दावा है कि पुलिसवालों ने सच छुपाने की कोशिश की। परिजन चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी सजा मिले और केस में खुलेआम पारदर्शिता हो।

     

    पुलिस का पक्ष: युवक की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई

    वहीं, पुलिस का कहना है कि हिरासत में युवक की मौत दिल का दौरा पड़ने

    पुलिस ने कहा है कि किसी भी तरह की प्रताड़ना या मारपीट नहीं हुई। मेडिकल रिपोर्ट भी उनके पक्ष में बताई जा रही है। मगर इस बयान पर लोग और पीड़ित परिवार सवाल उठा रहे हैं।

     

    फरार पुलिसकर्मियों की तलाश में जुटी सीबीआई

    जब से सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती की है, तबसे CBI ने फरार पुलिसकर्मियों की तलाश तेज कर दी है। इन्हें देश के अलग-अलग शहरों में खोजा जा रहा है। इन दोनों पुलिसकर्मियों नाम और तस्वीरें अब सार्वजनिक की जा सकती हैं, ताकि किसी को इनकी जानकारी हो तो वह आगे आए।

    सीबीआई ने आम जनता से अपील की है कि अगर उनके पास कोई सुराग है तो वह एजेंसी को सूचित करें। इनाम राशि तुरंत दी जाएगी और सूचना देने वाले का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़कर केस को आगे बढ़ाया जा सके।

     

    कानूनी प्रक्रिया और परिवार की उम्मीदें

    Custodial Death जैसे केसों में न्याय पाना आसान नहीं होता। पीड़ित परिवार सालों तक लड़ाई लड़ता है। इस मामले में भी मृतक की मां बार-बार पुलिस और न्याय व्यवस्था से गुहार लगा रही हैं कि उनके बेटे के साथ न्याय हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद परिवार को उम्मीद है कि अब कुछ बदलाव होगा।

    अगर पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी होती है और केस में पारदर्शिता आती है तो ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी। परिवार चाहता है कि कभी भी किसी के साथ ऐसी सख्त कार्रवाई न हो और कानून का डर बना रहे।

     

    हिरासत में मौत के केस पर क्या कहते हैं कानून

    हमारे देश में कस्टोडियल डेथ को बहुत गंभीर अपराध माना जाता है। पुलिस अगर अपनी हिरासत में किसी नागरिक के साथ बुरा व्यवहार करती है या मारपीट करती है, तो उसे कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर ऐसे मामलों में सख्ती दिखाता है।

    कानून कहता है कि हिरासत में मौत या हानि के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को सजा जरूर होनी चाहिए, ताकि आम जनता का पुलिस पर भरोसा बना रहे और कोई भी अधिकारी अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल न करे।

     

    इनाम घोषित करने की वजह और समाज में संदेश

    CBI ने पुलिसकर्मियों पर इनाम इसलिए रखा है ताकि जाँच में तेजी आए और आरोपी जल्द पकड़े जा सकें। इससे समाज में संदेश जाता है कि कानून से कोई ऊपर नहीं है, चाहे वह पुलिसकर्मी ही क्यों न हो। ऐसे केसों की पारदर्शिता से जनता में विश्वास और सुरक्षा की भावना मजबूत होती है।

    यह जरूरी है कि दोषियों को सजा मिले और केस का सच सबके सामने आए। अगर जांच सही होगी तो भविष्य में पुलिस के रहन-सहन और व्यवहार में बदलाव आ सकता है। सरकार और अदालतें भी चाहती हैं कि पीड़ित को न्याय मिले।

     

    जागरूकता और कानून का पालन जरूरी

    Custodial Death Case ने एक बार फिर समाज को झकझोर दिया है। पुलिस अगर कानून तोड़ेगी तो उसे छोड़ना सही नहीं होगा। सीबीआई जैसे एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाएं। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और इनाम की घोषणा से उम्मीद है कि दोनों पुलिसकर्मी जल्दी पकड़े जाएंगे।

    परिवार को न्याय मिलना चाहिए और पूरे समाज को यह समझना जरूरी है कि कानून सबके लिए बराबर है। जरूरी है कि जागरूकता बढ़े और कोई भी ऐसा काम न करे जिससे मानवता का अपमान हो।

    क्या Madhya Pradesh custodial death case : सुप्रीम कोर्ट की

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